आरओ खराब होने से चार डायलिसिस मशीनें बंद, दूसरे जिले जाकर इलाज करा रहे किडनी मरीज

हर दिन होती थी 20 मरीजों की डायलिसिस, निजी अस्पतालों में जाने के लिए मजबूर मरीज

<p>आरओ खराब होने से चार डायलिसिस मशीनें बंद, दूसरे जिले जाकर इलाज करा रहे किडनी मरीज</p>

शहडोल. जिला अस्पताल में आरओ मशीन खराब होने की वजह से मरीजों की डायलिसिस नहीं हो रही है। पिछले पिछले 15 दिन से जिला अस्पताल में ये समस्या बनी हुई है। डायलिसिस अचानक बंद होने की वजह से मरीजों को लम्बी चपत लग रही है। दरअसल डायलिसिस करने के लिए आरओ वाटर की जरूरत पड़ती है लेकिन सिस्टम खराब होने की वजह से आरओ पानी नहीं मिल पा रहा है। इसके चलते जिला अस्पताल में चारों डायलिसिस मशीनें बंद हैं। शहडोल सहित आसपास के जिलों से भी मरीज मरीज डायलिसिस कराने पहुंच रहे हैं। यहां आने पर उनको बताया जा रहा है कि डायलिसिस नहीं हो रही है। ऐसे में मरीज परेशान होकर वापस लौट जा रहे हैं। कुछ निजी अस्पतालों में जाकर डायलिसिस करा रहेहैं।

एक मरीज की डायलिसिस में 150 लीटर आरओ वॉटर
आरओ सिस्टम खराब होने की वजह से सभी डायलिसिस मशीनें बंद हैं। विशेषज्ञों के अनुसार, एक मरीज के डायलिसिस में लगभग 150 लीटर आरओ वॉटर की जरूरत पड़ती है लेकिन आरओ मशीन खराब हो जाने से आरओ वॉटर नहीं मिल रहा है। इसकी वजह से मशीन चालू नहीं कर पा रहे हैं। बताया जा रहा है कि फिल्टर जाम होने की वजह से ये समस्या बनी है। इसके लिए पत्राचार भी किया जा रहा है लेकिन सुधार के लिए कंपनी द्वारा इंजीनियरों को ही नहीं भेजा जा रहा है।

28 मरीजों का 200 से ज्यादा होता है डायलिसिस
जिला अस्पताल में डायलिसिस के लिए चार मशीन हैं। इसमें महीने भर में 28 मरीजों का 200 से ज्यादा डायलिसिस होता है। पिछले 15 दिन से एक भी डायलिसिस मरीजों का नहीं हो पाया है। पहले अक्सर डायलिसिस मशीन खराब होने से मरीजों को परेशानी होती थी लेकिन इस बार मशीन खराब नहीं होकर आरओ खराब होने से मरीजों की डायलिसिस नहीं हो रही है।

सप्ताह में 6 हजार, माह में लगते हैं 20 हजार से ज्यादा
प्राइवेट में डायलिसिस कराने पर एक बार में ढाई से तीन हजार रुपए लगता है। सप्ताह में दो बार होती है। इस तरह माह भर निजी अस्पतालों में डायलिसिस कराने पर 20 हजार रुपए से ज्यादा लग जाता है।
जिन मरीजों का यहां पर डायलिसिस नहीं हो रहा है। वे मजबूरी में किसी दूसरी जगह डायलिसिस करा रहे हैं। 15 दिन से लोग जिंदगी-मौत से जूझते हुए प्राइवेट अस्पतालों में डायलिसिस कराने जा रहे हैं।

मरीजों का दर्द: उमरिया तो कोई अनूपपुर में करा रहा डायलिसिस, बोले-क्या करें, मौत करीब लगती है,
जिला अस्पताल में डायलिसिस नहीं होने पर कोई मरीज उमरिया तो कोई मरीज अनूपपुर में जाकर डायलिसिस करा रहा है। मरीजों को सैकड़ों किमी दूर जाकर डायलिसिस कराना पड़ रहा है। इससे उनको आने-जाने में काफी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। पत्रिका से बातचीत में मरीजों ने कहा कि मौत करीब लगती है। डायलिसिस न होने पर हालत बिगडऩे लगती है। मरीज अमित गुप्ता ने बताया कि एक सप्ताह से जिला अस्पताल में डायलिसिस बंद है। उमरिया में जाकर आयुष्मान कार्ड पर डायलिसिस करा रहे हैं। इससे आवागमन करने में काफी परेशानी हो रही है। मरीज विनय पांडे ने कहा कि मजबूरी में अनूपपुर जाकर डायलिसिस कराना पड़ रहा है। यहां भी सरकारी में डायलिसिस करा रहे हैं लेकिन आने-जाने में परेशानी हो रही है। मरीज चंदा लखेरा ने बताया कि उमरिया में जाकर एक बार प्राइवेट में डायलिसिस कराया है। अब सरकारी में डायलिसिस करा रहे हैं। आवागमन में काफी परेेशानी हो रही है।

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