शाहडोल

मध्यप्रदेश के कई इलाकों में फिर प्रकृति की मार, आफत में है अन्नदाता

खेतों में बिछी फसलों को देखकर किसानों को आया रोना, ओलावृष्टि से खेतों में झुक गई गेहूं की बालियां, दलहनी फसलों की टूटी डालियां और झुलस गए सब्जियों के पौधे, भारी नुकसान के बाद अब किसान को प्रशासन पर टिकी राहत की उम्मीद, तीसरे दिन भी हुई बारिश, बादल छटने पर मौसम होगा साफ

शाहडोलFeb 25, 2020 / 06:29 pm

brijesh sirmour

Farmers in Rajasthan : अतिवृष्टि से बर्बाद फसलों का मुआवजा शीघ्र

शहडोल. जिले में पिछले तीन दिनों से मौसम के बदले मिजाज से किसानों की चिंता की लकीरें बढ़ा दी है। सोमवार को ब्यौहारी व जैतपुर क्षेत्र में एक बार फिर ओलावृष्टि की खबर है। रविवार को झमाझम बारिश के साथ हुई ओलावृष्टि से खेतों में खड़ी गेंहूं की बालियां जमीन पर बिछ गई, दलहनी फसलों के फलों व तनों ने पौधों का साथ छोड़ दिया तो सब्जियां व उनके पौधे काफी आहत हुए है। जिसे देखकर किसानों ने अपना सिर पकड़ लिया और उन्हे अब इस बात की चिंता हो गई है कि उनके इस नुकसान की अब भरपाई कौन करेगा। पत्रिका टीम ने सोमवार को संभागीय मुख्यालय के आसपास के ग्रामीण इलाकों में जब ओलावृष्टि से प्रभावित फसलों का जायजा लिया तो कई हकीकतें सामने आई। पता चला कि किसानों के समक्ष सिवाय शासन एवं प्रशासन से मुआवजा की मांग करने के और कोई रास्ता नहीं है। किसानों ने उम्मीद जताई है कि ऐसी स्थिति में भले ही कोई साथ न दे, मगर प्रशासन उनकी मदद जरूर करेगा। गौरतलब है कि जिले के कुल एक लाख 67 हजार किसानों में अधिकांश किसानों का जीवकोपार्जन खेती-किसानी के माध्यम से ही होता है, लेकिन यदि उनकी खेती किसानी ही चौपट हो जाए तो ऐसी परिस्थितियों में उनके समक्ष अपना व अपने परिवार का पेट पालने की समस्या खड़ी हो जाती है।
लक्ष्य से ज्यादा हुई थी गेंहूं की बोनी
विभागीय जानकारी के अनुसार इस बार जिले में गेंहूं की निर्धारित लक्ष्य से ज्यादा बोनी की गई थी। प्रशासन स्तर पर जिले में गेंहूं की 48.80 हजार हेक्टेयर भूमि पर बोनी का लक्ष्य तय किया गया था, जिसके विरूद्ध 54.80 हजार हेक्टेयर भूमि पर गेंहूं की खेती की गई थी। जिसकी मुख्य वजह इस बार गेंहूं की फसल के अनुरूप मौसम होने की बात बताई गई, मगर पिछले तीन दिनों में मौसम के परिवर्तन से किसानों के बेहतर उम्मीदों पर पानी फिर गया है।
पकने की कगार में थी दलहनी व तिलहनी फसल
जानकारों की माने तो वर्तमान में जिले में दलहनी व तिलहनी फसलें पकने की कगार पर थी। कई स्थानों पर तो दलहनी फसले कट भी चुकी थी। जिस पर ओला कहर बन कर बपरा और खेतों में पकी दलहनी फसलों के बीज झर गए तो तिलहनी फसलों को काफी नुकसान हुआ। जिले में इस बार निर्धारित लक्ष्य 23.80 हजार हेक्टेयर लक्ष्य के विरूद्ध 21.10 हजार हेक्टेयर भूमि पर दलहनी फसलें तो 19 हजार हेक्टेयर लक्ष्य के विरूद्ध 15.50 हजार हेक्टेयर भूमि पर तिलहनी फसलों की बोनी हुई थी।
जिले में लक्ष्य के विरूद्ध रबी फसलों की बोनी की फैक्ट फाइल
गेहूं 48.80 54.80
दलहन 23.80 21.10
तिलहन 19.00 15.50
जौ व अन्य फ सलें 2.00 1.10
कुल रकबा 93.61 92.5
इन फसलों का हुआ नुकसान
गेंहूं, मसूर, चना, अरहर, मटर, सरसों व अलसी, सब्जीवर्गीय में मेथी, गोभी, टमाटर, पालक, धनिया, बैगन सहित आम के बौर, महुआ, मुनगा व नीबू के फूलों के झरने की जानकारी मिली है। इसके अलावा कई क्षेत्रों में ओलावृष्टि का असर पशु-पक्षियों पर पड़ा है। कई पक्षी मर गए है तो कई पशु घायल भी हुए है। एक जानकारी के अनुसार ओलावृष्टि की मार से कुछ पशुओं ने चारा खाना बंद कर दिया है।
जायजा लेने नहीं पहुचा अमला
क्षेत्र के किसानों की माने तो ओलावृष्टि के एक दिन बाद भी शासन एवं प्रशासन स्तर पर कोई प्रतिनिधि किसानों क्षतिग्रस्त फसलों को जायजा लेने नहीं पहुंचा था। जिससे पीडि़त किसानों में काफी निराशा भी देखी गई। किसानों का कहना था कि फसलों का जायजा लेने के लिए यदि प्रशासनिक अमला सक्रिय नहंी हुआ तो वह धरना प्रदर्शन करने को बाध्य होंगे।

तेज हवा के साथ हो सकती है बारिश
मौसम विभाग से जारी एडवाइजरी के अनुसार आगामी दिनों में भी तेज हवा के साथ बारिश का सिलसिला जारी रहेगा। आगामी 27 फरवरी तक जिले का अधिकतम तापमान 29 से 30 डिग्री सेल्सियस और न्यूनतम तापमान 10 से 11 डिग्री सेल्सियस रहने की संभावना है। इस दौरान आद्र्रता सुबह 86 प्रतिशत और दोपहर मेें 21 प्रतिशत रहने का अनुमान है। हवा की गति 6.6 से 7.4 किलोमीटर प्रति घंटा रहने की संभावना है।
दो दिन में हो गई 113 मिलीमीटर से ज्यादा बारिश
भू-अभिलेख कार्यालय से प्राप्त जानकारी के अनुसार पिछले दो दिनों में 113 मिलीमीटर से ज्यादा बारिश हो गई है। जिसमें सर्वाधिक 56 मिलीमीटर बारिश सोहागपुर तहसील में हुई। जयसिंहनगर तहसील में पांच, बुढ़ार तहसील क्षेत्र में आठ मिलीमीटर, गोहपारू में 18 मिलीमीटर, जैतपुर में 21 मिलीमीटर व ब्यौहारी तहसील क्षेत्र में पांच मिलीमीटर बारिश दर्ज की गई है।
जिले में अब तक हुई बारिश
सोहागपुर 1036
बुढ़ार 1023
गोहपारू 1244
जैतपुर 1191
ब्यौहारी 1217
जयसिंहनगर 1104
ेेेकुल वर्षा 6815
औसत वर्षा 1135.8
(बारिश का आंकड़ा मिलीमीटर में)
हजारों का हुआ नुकसान
कृषक लाल बाबू पटेल ने बताया कि ओलावृष्टि से उसका करीब 50 से 60 हजार रुपए का नुकसान हुआ है। उसने अपनी दस एकड़ जमीन पर गेहूं, चना, मसूर सहित सब्जी की भी खेती की थी।
चौपट हो गई सब्जियां
ेकृषक रामकिशोर ने बताया कि उसने इस बार अपने खेतों में मेथी, पालक, लाल भाजी, गोभी, टमाटर, धनिया सहित अन्य कई फसलों की बोनी की थी। जो ओलावृष्टि से चौपट हो गई है।
मवेशी भी हुए है घायल
कृषक रामकृपाल ने बताया कि रविवार को उनके ग्राम सिंदुरी में आलू आकार के ओले गिरे है। जिससे फसलों का नुकसान तो हुआ ही है। मवेशी भी चोंटिल हुए हैं।
कंगाल हो गया किसान
कृषक मूलचन्द्र ने बताया कि ओलावृष्टि से हमारे गांव का हर किसान कंगाल हो गया है। उसकी उम्मीदों पर पानी फिर गया है और उसकी मदद करने वाला कोई नजर नहीं आ रहा है।
घर के खप्पर भी टूट गए
ग्राम सिंदुरी निवासी कृषक पुन्नुलाल ने बताया कि बड़े साइज के ओलों से उसके घरों के खप्पर भी टूट गए है। साथ खेतों में लगी कई फसलों का काफी नुकसान हुआ है।
जमीन लेटी फसल देख आया रोना
ग्राम कटहरी निवासी कृषक कमलेश तिवारी ने बताया कि रविवार को ओलावृष्टि के बाद खेतों में जमीन पर लेटी फसल देखकर उन्हे रोना आ गया। उनका लाखों का नुकसान हुआ है।

इनका कहना है
बारिश व ओले की वजह से किन क्षेत्रों में फसल को ज्यादा नुकसान हुआ है, इसके सर्वे के लिए राजस्व अमले को निर्देशित किया गया है।
धर्मेन्द्र मिश्रा, संयुक्त कलेक्टर शहडोल

खैरहा, सिंहपुर सहित अन्य क्षेत्रों में पटवारी व आरआई को निरीक्षण कर रिपोर्ट तैयार करने के लिए निर्देश दिए गए हैं।
मिलिन्द नागदेव, एसडीएम सोहागपुर

जिले के कई हिस्सों में ओलावृष्टि की खबर है। जिसके लिए विकासखण्ड स्तर पर विभागीय अमले को गांवोंं में जाकर क्षतिग्रस्त फसलों का जायजा लेने को कहा गया है। फसलों के आकलन के बाद ही नुकसान की स्थिति स्पष्ट हो पाएगी।
जेएस पंद्राम, उपसंचालक, कृषि विभाग, शहडोल

जिले में जहां भी ओलावृष्टि हुई है, उससे फसलों के नुकसान होनेे के अलावा अन्य कोई उम्मीद शेष नहीं बचती है। ऐसी दशा में किसानों को जायद फसलोंं की दोबारा बोनी करनी पड़ेगी। वैसे देरी से बोई गई गेहूं की फसल मेंं ज्यादा नुकसान नहीं हुआ है, क्योंकि उसमें अभी बालियां नहीं आई है।
डॉ. मृगेन्द्र सिंह, वरिष्ठ कृषि वैज्ञानिक, केव्हीके, शहडोल

बारिश व ओलावृष्टि से चने की फसल जमीन पर बिछ गई है, ओलों के मार की क्षति एक-दो दिन के बाद और समझ में आएगा। कुल मिलाकर चना, मसूर व अलसी की फसल ज्यादा नष्ट हुई है। प्रशासन को क्षति का आंकलन कर क्षतिपूर्ति का प्रस्ताव शासन को भेजना चाहिए। सर्वाधिक नुकसान मुनगा की फसल को हुआ है, क्योंकि पूरे फू ल झड़ गये हैं।
भानु प्रताप सिंह, पूर्व कृषि वैज्ञानिक, शहडोल

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