सुरक्षित नहीं रहेगा जल, तो खतरे में आ जाएगा हमारा कल

तालाब में अब पानी की जगह तैर रही गंदगी, उठ रही बदबू

<p>seoni</p>
 सिवनी. हर साल सरकार पानी की बूंद-बूंद सहजने के लिए कवायद करती है। उसके बाद भी नगरीय व ग्रामीण क्षेत्रों में जलसंकट की समस्या खड़ी हो जाती है। इसकी पूर्ति करने के लिए सरकार संसाधनों पर लाखों रुपये खर्च करते हैं। इसके बावजूद पुरानी धरोहर के रूप में प्राचीन तालाबों की तरफ अनदेखी बरती जा रही है। इससे उनका दायरा सिमटता जा रहा है। वहीं अतिक्रमणकारियों के अवैध कब्जे भी लगातार बढ़ते जा रहे हैं। इसके बाद भी प्रशासन का इस तरफ ध्यान नहीं है। इन तालाबों की मरम्मत कार्य नहीं होने के कारण हालत यह है कि इनमें से अधिकांश सूखने की कगार पर पहुंच चुके हैं। जबकि कभी इनमें वर्ष भर तक पानी संग्रहित रहता था। नगर सहित जिले में कई तालाब जिनमें कभी वर्ष भर पानी भरा रहता था। वह प्राचीन तालाब आज प्रशासन व जन प्रतिनिधियों की उपेक्षा के कारण अपना अस्तित्व खोते जा रहे हैं। ऐसे ही हाल शहर के मंगलीपेठ ललमटिया तालाब, रेलवे स्टेशन के सामने के दोनों तालाब, बुधवारी तालाब व ग्रामीण क्षेत्र में बंडोल के दोनों तालाब, छपारा क्षेत्र, कुरई क्षेत्र, बरघाट, केवलारी क्षेत्र के हालात हैं।
वर्षों पुराने इन तालाबों का ठीक से गहरीकरण नहीं होने से तालाब में मिटटी, कीचड़, जलकुंभी जमा हो गई है। ठीक से रखरखाव और मरम्मत नहीं होने के कारण इनका अस्तित्व संकट में है। इसके बावजूद जिम्मेदार इनका जीर्णोद्धार करवाने में रुचि नहीं दिखा रहे हैं।
जलसंकट में आ सकते हैं काम
क्षेत्र के प्राचीन तालाबों का ठीक से गहरीकरण व पालों की मरम्मत हो जाए तो यह आज भी जल संकट के समय नगर के लोगों की प्यास बुझाने में मददगार साबित हो सकते हैं। जबकि गर्मी में वैसे ही जलसंकट बना रहता है। तालाबों का अस्तित्व खतरे में है। कहीं तालाबों को पाटकर अतिक्रमण किया जा रहा है तो कहीं तालाबों के पास गंदगी व इनमें फेंके जाने वाले कचरे से तालाब लबालब भरे रहते हैं। कभी इन तालाबों का पानी लोग जहां पीने व अन्य कार्यों के लिए इस्तेमाल करते थे। अब हालत यह है कि कई वर्षों से इसके रखरखाव व साफ.- सफाई नहीं होने से आम लोगों व मवेशियों के लिए सिर्फ बीमारियों का घर बन कर रह गए है। तालाबों का पानी का इतना प्रदूषित हो चुका है कि इनके आसपास से निकलने पर दुर्गंध से लोगों को बुरा हाल है। कई स्थानों में तालाबों को पाट कर लोगों ने अतिक्रमण कर लिया है। कई स्थानों पर जहां तालाब को धीरे-धीरे पाट कर अवैध रूप से यहां मकानों का निर्माण किया जा रहा है।
तालाब का हो गया बुरा हाल
कई वर्षों से लोगों के द्वारा फंेके जाने वाले कचरे व अन्य केमिकलों के कारण सिवनी रेलवे स्टेशन के दोनों तालाब का पानी मवेशियों के पीने योग्य तक नहीं रह गया है। मैदानी इलाके में बने इस तालाब का भी अस्तित्व खतरे में लागातार हो रहे प्रदूषण की वजह से कभी इस तालाब का पानी लोग जो घरों में इस्तेमाल करते थे अब इसमें जगह-जगह पॉलिथिन के ढेर व घरों का कचरा ही तालाब की शोभा बढ़ा रहा है।
Copyright © 2024 Patrika Group. All Rights Reserved.