सेढ़ नदी के उफनाते पानी को देख थम जाती हैं जिंदगियां

कुछ देर की बारिश में डूब जाता है रपटा, पार करने में जा चुकी हैं कई जान

<p>सेढ़ नदी के उफनाते पानी को देख थम जाती हैं जिंदगियां</p>
सिवनी. लखनादौन विकासखण्ड क्षेत्र के 25 से अधिक गांव के हजारों ग्रामीणों के कदम शेढ़ नदी पर बनी पुलिया के बारिश में कई बार उफनाने से रूक जाते हंै। मजबूरी में ग्रामीण गांव में ही ठहरकर रह जाते हैं। पुलिया के उफनाने के दौरान यदि गांव में कोई बीमार पड़ जाता है तो उसे अस्पताल तक ले जाने में ग्रामीण असमर्थ हो जाते हैं।
लखनादौन विकासखंड के गांव खूबी, जमकोना, बरगड़ा, पटी, रोहिया पटी, खापा, सिलवानी, रीछा, डुंगरिया, धवई, लडैया टोला सहित करीब 25 से 30 गांव के ग्रामीणों के कदम शेढ़ नदी की पुलिया पर उफनाते तेज पानी की बाढ़ के साथ ही थम जाते हैं। इसके कारण लोगों को परेशान होना पड़ता है। बीते वर्ष बारिश के पानी के तेज बहाव के कारण इस पुलिया के दोनों ओर की साइड पट्टियां भी बह चुकी है। इससे खतरा बढ़ गया है। इन ग्रामीण क्षेत्रों के लोगों को स्वास्थ्य सेवा जैसी मूलभूत आवश्यकता के लिए भी 25 से 30 किमी का सफर तय करना पड़ता है।
ग्रामीणों ने बताया कि मार्ग के मध्य पडऩे वाली शेढ़ नदी के रपटे मे थोड़ी सी बारिश मे पुलिया से पानी उफान मारने लगता है। लोग दुआ करते हैं कि इन दिनों में कोई बीमार न पड़े। पुलिया उफान पर रहने के दौरान मरीजों, गर्भवती महिलाओं को काफी परेशानी उठानी पड़ती है। बीते वर्षो में इस पुलिया के ऊपर से बहते हुए पानी को पार करने की कोशिश मे जमकोना गांव के चंदरसिंह व खूबी गांव के बुद्धूसिंह सहित कुछ अन्य लोगों की भी मौत हो चुकी है। कई बार तो इन गांवों के मवेशी भी पानी के तेज बहाव मे फंसकर बह चुके हंै।
वर्षों से हो रही है पुल बनाने की मांग
क्षेत्र के ग्रामीणों ने बताया है कि इस स्थान पर लोग बीते कई वर्षों से एक बड़े पुल के निर्माण की मांग कर रहे हैं, लेकिन शासन ने 2009-10 में लगभग 65 लाख की लागत से 12-14 पाइप डालकर रपटे का निर्माण करवा दिया है, जो बारिश के दिनों में परेशानी का सबब बनता है। ग्रामीणों ने बताया है कि पुल निर्माण की मांग पर उन्हें अब तक सिर्फ आश्वसन ही मिला है। ग्रामीणें ने अधिकारियों व जनप्रतिनिधियों से शीघ्र ही पुल का निर्माण कराए जाने की मांग की है, ताकि उन्हें मुसीबतों से निजात मिल सके।
प्रशासन के निर्देश, खतरे वाली जगह की होगी निगरानी –
जिला प्रशासन ने सभी एसडीएमए तहसीलदार सहित संबंधित अधिकारियों को जिले के सभी तालाबों, डेम, नदी, नालों और पानी भराव वाले क्षेत्रों पर लगातार निगाह रखने और स्थानीय लोगों से संपर्क में रहने के निर्देश दिए हैं। जल भराव और अतिवृष्टि की स्थिति में लोगों को ऐसी जगहों से हटाने और वैकल्पिक व्यवस्था के लिए जगह चिंहित करने के निर्देश भी दिए गए हैं। इसके साथ ही खतरनाक और गहरे पानी वाली जगहों पर चेतावनी के बोर्ड लगाने, लोगों को ऐसी जगहों पर जाने से रोकने के लिए बेरिकेटिंग कराने के निर्देश दिए गए हैं।
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