पेंच के कोर, बफर के बाद क्षेत्रीय जंगल से अब गांवों की ओर बढ़ रहा बाघों का पदचाप

बढ़ती संख्या के बाद नए क्षेत्र बना रहे बाघ आ रहे जंगल से बाहर

<p>पेंच के कोर, बफर के बाद क्षेत्रीय जंगल से अब गांवों की ओर बढ़ रहा बाघों का पदचाप</p>
सिवनी. जिले के जंगलों की शोभा बाघ बढ़ा रहे हैं। प्रतिवर्ष बढ़ रहे इनके कुनबे से वन्यप्राणी प्रेमियों के चेहरें पर मुस्कान छा गई है। दुनियाभर में विख्यात पेंच टाइगर रिजर्व में बाघों का कुनबा 70 के पार हो गया है। क्षेत्र के जंगलों में भी इनकी संख्या में इजाफा जारी है। अब ये पेंच के कोर, बफर व क्षेत्रीय जंगल से रहवासियों इलाकों में दखल देने लगे हैं। बीते कुछ माह पूर्व शहर के डूंडासिवनी क्षेत्र में बाघ की दहाड़ सुनी गई है।
बाघों की बढ़ रही संख्या और गांवों की ओर बढ़ रहे इनके पद जंगल की सुरक्षा का आवाज बुंलद करने वाले अफसरों के लिए जंगल का क्षेत्र बढ़ाना बड़ी समस्या है। जंगलों में अतिक्रमण रोकने में नाकाम अफसर तब ही बाघों की सुरक्षा कर पाएंगे, जो तेजी से उजड़ रहे जंगल को बचा पाएंगे। जिले में विकास के नाम पर जिस तेजी से जंगल काटे गए हैं। तस्करों की नजर भी जिले के सागौन के जंगलों पर दक्षिण वनमंडल का कान्हीवाड़ा परिक्षेत्र में बड़े पैमाने पर इसकी कटाई हो रही है। इन सबके बावजूद जंगलों में बाघों का कुनबा तेजी से बढ़ रहा है। पेंच टाइगर रिजर्व के आकड़ों पर गौर करें तो 70 से अधिक बाघ अकेले पेंच में है। दक्षिण व उत्तर वनमंडल के जंगलों में बाघों की चहलकदमी है। इसकी पुष्टि पेंच टाइगर रिजर्व के अधिकारियों ने भी की है। दक्षिण वनमंडल के कुरई, कान्हीवाड़ा, बरघाट, सिवनी व खवासा परिक्षेत्र के जंगल में बाघ हैं। सबसे अधिक गांवों में इसी परिक्षेत्र के बाघ चहलकदमी करते हैं। उत्तर वनमंडल के धूमा व घंसौर क्षेत्र के जंगल में भी बाघ हैं, जो कभी-कभी गांवों की ओर रूख कर पशुपालकों के पशुओं का शिकार करते हैं।
बीते कुछ माह केवलारी, सिवनी व कुरई परिक्षेत्र में रहवासियों इलाकों के आसपास क्षेत्र बना रहे बाघों ने महिला-पुरुष का शिकार भी किया है। यह भले ही आम लोगों के लिए अच्छी खबर नहीं हो, लेकिन बाघों के बढ़ते कुनबे को यह प्रदर्शित करता है।
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