जाने कहां… निकली थी खेतों में खुदाई के दौरान मंदिर के साथ देवी-देवताओं की प्रतिमाएं

फूलज्वारी में 450 साल पुराने शिव और ब्रह्मा मंदिर का हो रहा जीर्णोद्वार, मंदिर की अन्य प्रतिमाओं को रखने के लिए टीन शेड बनाने की मांग

<p>Temples and Statues of Gods and Goddesses in Phuljwari</p>

बड़वानी/सेंधवा. बड़वानी जिला अपने आप में किस तरह किले, अवशेष, मंदिरों सहित प्रतिमाओं के लिए प्राचीन समय में प्रसिद्ध स्थान रहा है। जिले में कई स्थानों पर सैंकड़ों वर्षों पुरानी संस्कृति के प्रमाण मिल चुके है, लेकिन इन्हें संजोने के लिए वैसे प्रयास नहीं हुए है, जैसे होना चाहिए। हालांकि कुछ स्थानों पर पुरातत्व महत्व की धरोहरों को संजोने के लिए प्रयास शुरू हुए है। इससे इतिहास प्रेमी खुश है। वहीं युवाओं को भी अपनी प्राचीन संस्कृति को करीब से जानने का अवसर मिल रहा है।
सेंधवा से करीब 25 किमी दूर ऐसे ही एक स्थान ग्राम फूलज्वारी में करीब 450 वर्ष से भी अधिक प्राचीन मंदिर के अस्तित्व को बचाने के लिए प्रयास शुरू हुआ है। हम बात कर रहे है निवाली तहसील के ग्राम फूलज्वारी की। जहां किसानों के खेतों में खुदाई करने के दौरान जमीन से मंदिर और देवी-देवताओं की प्रतिमाएं निकलने से ये जगह पुरातत्व महत्व की हो गई। ग्राम वझर जो की पहले ही प्राचीन प्रतिमाओं के मिलने से लोगों की आस्था का केंद्र बन चुका है। अब फूलज्वारी गांव में मंदिर और खेतों में फैले अवशेषों के कारण पूरा क्षेत्र महत्वपूर्ण बन चुका है। इसिहास प्रेमी इन स्थानों पर आ रहे है।
450 वर्ष से पुराना हो सकता है शिव और ब्रह्मा मंदिर
ग्राम फूलज्वारी में स्थित मंदिर अब जमीन के ऊपर दिखाई दे रहा है। पहले ये स्ट्रक्चर खेतों के बीच था। आम लोगों की आवाजाही बढऩे के बाद इसे सुधारा जा रहा है। वर्तमान मंदिर की स्थिति अच्छी है और यहां गर्भ ग्रह में भगवान शिवलिंग स्थापित है। वहीं गर्भ गृह में ही ब्रह्मा की प्रतिमा भी है। पुरातत्व विभाग के अधिकारियों का कहना है कि ये स्टक्चर 400 या 450 वर्ष से भी अधिक पुराना हो सकता है। मंदिर में शिव प्रतिमा के अलावा ब्रह्मा की प्रतिमा अपने आप में बेहद रोचक है। इसका कारण है कि भगवान ब्रह्मा की प्रतिमा देश में सिर्फ राजस्थान के पुष्कर में है। ऐसे में इस मंदिर में ब्रह्मा की प्रतिमा मिलना नई बहस को जन्म दे रहा है।
आसपास की प्रतिमाओं को सुधारा जाना जरुरी
पुरातत्व विभाग के विशेषज्ञ ये बात कह चुके हैं कि प्रतिमा 450 साल पहले बनाई गई होगी। हालांकि ये प्रतिमा इस मंदिर में क्यों बनाई गई। ये नहीं कहा जा सकता इसका कोई उल्लेख कहीं भी मौजूद नहीं। वर्तमान में मंदिर के आसपास पक्का निर्माण कर मंदिर को सुरक्षित करने का प्रयास किया जा रहा है। हालांकि मंदिर का गर्भ ग्रह अभी भी बेहद मजबूत है, लेकिन आसपास की प्रतिमाओं को सुधारा जाना जरूरी है। फूलज्वारी का ये मंदिर अभी भी आम लोगों की पहुंच से दूर है। क्योंकि ये सुदूर ग्रामीण अंचल में है और फिलहाल प्रचार-प्रसार नहीं होने के कारण बेहद प्राचीन मंदिर लोगों की नजर से दूर है।
प्रतिमाओं को सहेजने के लिए बनाया जाए टीन शेड
इतिहास प्रेमी कई लोग मंदिर दर्शन के लिए जा चुके हैं। उनका कहना है कि मंदिर प्राचीन होने के साथ ही बेहद ऐतिहासिक है और इसका संरक्षण प्राथमिकता के तौर पर किया जाना चाहिए। मंदिर परिसर में खेत में पहली प्रतिमाओं को धूप और पानी से बचाने के लिए टीन शेड का निर्माण किया जाना चाहिए।
वर्जन…
हमने मंदिर के फोटो देखें है। ये 12वीं शताब्दी के लग रहे है। निरीक्षण किया जाएगा।
-डीपी पांडे, अधिकारी पुरातत्व विभाग इंदौर

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