कई साल पहले तक यह सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र कंडम बिल्डिंग में चल रहा था, लेकिन कुछ साल पहले ही करीब दो करोड़ की लागत से नई बिल्डिंग बनने के बाद उसमें शिफ्ट हो गया था। उसके बाद लगा था कि जिस तरह से अस्पताल को नई बिल्डिंग की सौगात मिली है वैसे ही हर जरूरी सामानों की पूर्ति होगी। इसे जिम्मेदारों की उदासीनता कहे या सिस्टम की कमजोरी जो ऐसा नहीं हुआ है। अस्पताल में बदलाव के नाम पर सिर्फ नया भवन ही नजर आएगा, जबकि समस्या पुराने ढर्रे की ही तरह अब भी चल रही है। लोगों का कहना है कि भवन बनाया तो सुविधा ही बढ़ा देते जिससे समस्या से तो राहत मिलती।
एक भी महिला डॉक्टर नहीं
अस्पताल के क्या हाल है उसका अंदाजा इससे ही लगाया जा सकता है कि पर्याप्त डॉक्टर तक नहीं है और महिला डॉक्टर तो है ही नहीं। गर्भवती या गंभीर महिला को अस्पताल में परिजन लेकर आते हैं तो उनको सीधे रेफर का पर्चा मिल जाता है। मजबूरी में परिजन को दर्द से कराहती महिलाओं को आष्टा, सोनकच्छ अस्पताल ले जाना पड़ता है। कई महिलाएं समय पर इलाज नहीं मिलने से रास्ते में दम तोड़ देती है। वही कई महिलाओं को घंटों तक इलाज के अभाव में काफी परेशानी का सामना करना पड़ता है। अस्पताल में महिला डॉक्टर की पदस्थापना करने मांग की जा रही है, लेकिन ध्यान नहीं दिया जा रहा है।
नहीं है सोनोग्राफी, एक्सरे मशीन
जावर के इस अस्पताल में सोनोग्राफी मशीन तक नहीं है। महिलाओं को प्राइवेट क्लीनिक पर जाकर भारी भरकम राशि देकर सोनोग्राफी कराना पड़ रही है। इससे उनको परेशानी उठाने के साथ ही आर्थिक नुकसान भी उठाना पड़ रहा है। जबकि अस्पताल में रोजाना 200 से अधिक ओपीडी दर्ज की जाती है। एक्सरे मशीन का भी अभाव बना हुआ है। म
उपस्वाथ्य, स्वास्थ्य केंद्र के यही हाल
आष्टा विकासखंड में उपस्वास्थ्य केंद्र और स्वास्थ्य केंद्रों के यही हाल है। इनमें से कई के पास तो अच्छा भवन तक नहीं है। जिन भवन में यह चल रहे हैं वह जर्जर होने के साथ बारिश के मौसम में छत से पानी के साथ प्लास्टर तक टपकता है। जिससे मरीज और परिजन को सुरक्षित जगह तलाशना पड़ती है। मेहतवाड़ा का उपस्वास्थ्य केंद्र इसकी हकीकत बताता है। इससे आसपास के 15 गांव जुड़े होने के बाद भी ध्यान नहीं दिया जा रहा है। उल्लेखनीय है कि स्वास्थ्य सेवाओं के नाम पर भले ही लाखों रुपए खर्च किए जा रहे हो, लेकिन लापरवाही का ढर्रा सुधरने का नाम नहीं ले रहा है।
वर्जन…
हमारी तरफ से अस्पताल में सुविधा, संसाधन बढ़ाने को लेकर उच्च स्तर पर अवगत करा दिया है। हम जितना कर सकते हैं उतना किया जा रहा है, जिससे कि मरीजों को दिक्कत नहीं हो।
डॉ. प्रवीर गुप्ता, बीएमओ आष्टा