इस मामले में भोपाल के तत्कालीन जिला रोजगार अधिकारी को भी एक साल की सजा सुनाई गई। अभियोजन की ओर से सहायक जिला अभियोजन अधिकारी केदार सिंह कौरव ने पैरवी करते हुए बताया कि आखातीज 3 मई 2015 को 12 बापू गांधी नगर देवास नाका थाना लसूडिय़ा भूरी निवासी मांगीलाल पिता जगन्नाथ धनावत अपनी 15 वर्षीय बेटी का विवाह मीरपुरा अलीपुर आष्टा निवासी विजय कुमार पिता सज्जन सिंह सालगी के साथ करने जा रहा था।
इसकी सूचना मिलने पर जिला महिला सशक्तिकरण कार्यालय के परामर्शदाता सुरेश पांचाल अपनी टीम के साथ विवाह स्थल सूर्या परिसर सूर्या लाज के पास बायपास रोड एचपी पेट्रोल पंप के सामने आष्टा पहुंचे। अभियोजन के अनुसार टीम ने पाया कि विजय सालगी का साथ विवाह १५ साल की बालिका से किया जा रहा था।
टीम ने दूल्हे के माता पिता और लड़की के माता पिता को समझाइश दी गई कि यह गलत है बालिग होने पर ही लड़की का विवाह होना चाहिए। जिस पर लड़की और लड़के के माता पिता मान गए, लेकिन विवाह समारोह में मौजूद भोपाल के जिला रोजगारी अधिकारी केएस मालवीय ने परिवार के सदस्यों को उकसाकर बालविवाह करा दिया गया। इसकी लिखित शिकायत परामर्शदाता सुरेश पांचाल ने थाना आष्टा में की जाकर मामला अदालत में पेश किया गया।
न्यायिक मजिस्ट्रेट प्रथम श्रेणी एंव पीठासन अधिकारी सारिका भाटी ने दोनों पक्षों को सुनने के बाद बाल विवाह प्रतिशेध अधिनियम की धारा 9, 10, 11 के अंर्तगत दोषी पाते हुए दूल्हे विजय सालगी, उसके पिता सजनसिंह सालगी, माता शोभा सालगी, लड़की के पिता मांगीलाल धनावत, लड़की की माता गीता बाई धनावत और भोपाल के जिला रोजगार अधिकारी लाल घाटी भोपाल निवासी केएस मालवीय पिता खुशीलाल मालवीय को एक एक साल के कारावास और एक एक हजार रुपए के अर्थदंड से दंडित किया।