सीहोर जिले में कांग्रेस की हार के पांच प्रमुख कारण, आप भी जानें…?

दिग्विजय सिंह उन कांग्रेस नेताओं का बूथ हारे, जो चुनाव जिताने की जिम्मेदारी लिए घूम रहे थे

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सीहोर. सीहोर में चौतरफा भाजपा को बढ़त मिली है। भोपाल लोकसभा से भाजपा की प्रत्याशी साध्वी प्रज्ञा ठाकुर को सीहोर विधानसभा से 54 हजार 873, विदिशा लोकसभा से भाजपा के प्रत्याशी रमाकांत भार्गव को बुदनी 83 हजार 184 और इछावर से 40 हजार की बढ़त मिली है। इसी प्रकार देवास संसदीय क्षेत्र से भाजपा के प्रत्याशी महेन्द्र सोलंकी को आष्टा विधानसभा से 47 हजार 374 वोट की बढ़त मिली है। इस प्रकार से सीहोर जिले की चारों विधानसभा में भाजपा के उम्मीदवार जीते हैं।

खींचतान: बूथ संभालने के बजाय दिखावा करते रहे दिग्गज नेता
सीहोर जिले में कांग्रेस को चारों विधानसभा सीट पर हार का सामाना करना पड़ा है। कांग्रेस ने सीहोर विधानसभा क्षेत्र में जातिगत समीकरण से लेकर स्थानीय मुद्दो पर काफी फोकस किया, लेकिन कांग्रेस खुद की गुटबाजी और अंतर कलह को नहीं रोक पाई। कांग्रेस के स्थानीय नेता सिर्फ हवाई बातें करने में लगे रहे। कांग्रेस के स्थानीय नेताओं के बीच मनमुटाव इस कदर पूरे चुनाव में हावी रहा कि सभी एक दूसरे की टांग खींचने में लगे रहे। चुनाव प्रबंधन स्थानीय व्यक्तियों के हाथ में नहीं होने के कारण कार्यकर्ता इधर-उधर भटकते दिखाई दिए। इछावर विधानसभा में भी कांग्रेस कार्यकर्ता एकजुट नहीं दिखे, जिसके कारण यहां भी परिणाम अपेक्षा के अनुरूप नहीं आए हैं। यहां पर कांग्रेस प्रत्याशी पटेल खाती समाज को भी संभालने में पीछे रह गए। भाजपा ने न केवल भाजपा के वोट को बचाया, बल्कि कांग्रेस के परंपरागत वोटों में भी सेंध लगा दी। आष्टा विधानसभा में भी कांग्रेस को नेताओं की आपसी खींचतान के कारण काफी नुकसान उठाना पड़ा है। यहां पर विधानसभा चुनाव में पूरी ताकत से कांग्रेस के लिए काम करने वाले नेता और कार्यकर्ता अंतिम समय तक चुनाव से दूरी बनाए रहे हैं।
कांग्रेस : हार के प्रमुख कारण
1. नेताओं की आपसी खींचतान और गुटबाजी
2. पोलिंग बूथ पर ध्यान देने के बजाय दिखावा ज्यादा करना।
3. अल्पसंख्यक क्षेत्रों में वोटिंग अपेक्षा के अनुरूप नहीं होना।
4. चुनाव प्रबंधन बाहरी व्यक्तियों के हाथ में होना।
5. कर्ज माफी का लाभ किसानों को शतप्रतिशत नहीं मिलना।

 

बूथ मैनेजमेंट: नेताओं को छोड़ कार्यकर्ता और बूथ पर फोकस

भाजपा ने सीहोर जिले की चारों विधानसभा में कमल खिलाया है। भाजपा की इस जीते का एक सबसे प्रमुख कारण मोदी लहर को बताया जा रहा है, वहीं दूसरा सबसे प्रमुख कारण राष्ट्रवाद के मुद्दे को बताया जा रहा है। भाजपा ने एक तरफ जहां हिन्दू और राष्ट्रवाद का कार्ड खेला, वहीं बूथ पर अपने कार्यकर्ताओं को इतनी मुस्तैदी से तैनात किया कि कांग्रेस चाह कर भी हिला नहीं पाई। सीहोर विधानसभा की बात करें, तो चुनाव के दौरान कई बार ऐसा देखने में आया कि दिन में कांग्रेस ने जिस क्षेत्र में जनसंपर्क किया, भाजपा ने रात के अंधेरे में उसी क्षेत्र और उन्हीं नेता, कार्यकर्ताओं की नब्ज टटौली। यहां पर भाजपा का पूरा चुनावी अभियान नेताओं के बजाय कार्यकर्ता और वोटरों पर केन्द्रित रहा है। भाजपा की इस जीत का एक प्रमुख कारण इस क्षेत्र में पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान का प्रभाव होना भी बताया जा रहा है। पूरे चुनाव में पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान लोकल के नेता और कार्यकर्ताओं के संपर्क में थे। बुदनी और इछावर का चुनाव प्रबंधन तो काफी हद तक शिवराज सिंह चौहान ने खुद के हाथ में रखा। यहां पर न केवल कई सभाएं की, बल्कि क्षेत्र की प्रतिष्ठा के नाम पर भी वोट मांगे।
भाजपा की जीत के प्रमुख कारण
1. देशभर में मोदी लहर का असर।
2. नेताओं से ज्यादा कार्यकर्ता और बूथ पर फोकस।
3. दिग्विजय सिंह को छोड़कर सभी उम्मीदवार को कमजोर होना।
4. कार्यकर्ताओं से लगातार फीडबैक लेना और कमजोरी दूर करना।
5. पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान का प्रभाव।

 

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