नेशनल सेंटर फॉर सिस्मोलॉजी (NCS) की ओर से 12 और 13 अप्रैल के भूकंप के बाद कहा गया था कि ऐसा नहीं लगता है कि भूकंप के ये हल्के झटके फॉल्ट-लाइन प्रेशर की वजह से आए थे। क्योंकि कम तीव्रता वाले भूकंपों के लिए फॉल्ट लाइन की जरूरत नहीं है। हालांकि अमेरिका (US) में पिछले साल जनवरी में एक के बाद एक आए दो भूकंप के झटकों के बाद के बर्कले की भूकंप विज्ञान प्रयोगशाला (Seismology Lab) ने कहा था कि अगर भूकंप के ये छोटे-छोटे झटके किसी फॉल्ट-लाइन प्रेशर के कारण आ रहे हैं तो ये बड़े झटके की दस्तक माने जा सकते हैं। हालांकि इसका कोई प्रमाणिक आधार अभी तक मौजूद नहीं है।
क्या होता है फॉल्ट लाइन प्रेशर?
धरती के नीचे टेक्टोनिक प्लेट्स (Tectonic Plates) होती हैं। इने जुड़ने वाली जगह को फॉल्ट लाइन कहा जाता है। प्लेट्स जहां-जहां जुड़ी होती हैं, वहां-वहां टकराव ज्यादा होता है। ऐसे ही इलाकों में भूकंप ज्यादा आते हैं।
धरती के नीचे टेक्टोनिक प्लेट्स (Tectonic Plates) होती हैं। इने जुड़ने वाली जगह को फॉल्ट लाइन कहा जाता है। प्लेट्स जहां-जहां जुड़ी होती हैं, वहां-वहां टकराव ज्यादा होता है। ऐसे ही इलाकों में भूकंप ज्यादा आते हैं।
धरती पर मौजूद हैं कई फॉल्ट जोन
धरती पर कई फॉल्ट जोन हैं। जहां प्लेट्स एक-दूसरे से मिलती हैं। इन प्लेटों के आगे-पीछे या ऊपर-नीचे खिसकने पर भूकंप आता है। भारत को भूकंप के जोखिम के हिसाब से चार जोन में बांटा गया है। भूवैज्ञानिकों के अनुसार प्लेटों के सामान्य एडजस्टमेंट की स्थिति में लगातर छोटे झटके महसूस होते रहते हैं। ये लंबे समय तक चलते हैं।
धरती पर कई फॉल्ट जोन हैं। जहां प्लेट्स एक-दूसरे से मिलती हैं। इन प्लेटों के आगे-पीछे या ऊपर-नीचे खिसकने पर भूकंप आता है। भारत को भूकंप के जोखिम के हिसाब से चार जोन में बांटा गया है। भूवैज्ञानिकों के अनुसार प्लेटों के सामान्य एडजस्टमेंट की स्थिति में लगातर छोटे झटके महसूस होते रहते हैं। ये लंबे समय तक चलते हैं।
क्यों है बड़े खतरे की घंटी!
अमेरिका के भू-विज्ञानी बर्गमैन के मुताबिक बड़े भूकंप से पहले छोटे झटके आ सकते हैं। हल्के झटकों के बाद हफ्तेभर के अंदर उनसे थोड़ी ज्यादा तीव्रता के भूकंप की 10 फीसदी आशंका बनी रहती है। इन छोटे झटकों से घबराने की जरूरत नहीं है, लेकिन इनके बाद अलर्ट होने की जरूरत रहती है।
अमेरिका के भू-विज्ञानी बर्गमैन के मुताबिक बड़े भूकंप से पहले छोटे झटके आ सकते हैं। हल्के झटकों के बाद हफ्तेभर के अंदर उनसे थोड़ी ज्यादा तीव्रता के भूकंप की 10 फीसदी आशंका बनी रहती है। इन छोटे झटकों से घबराने की जरूरत नहीं है, लेकिन इनके बाद अलर्ट होने की जरूरत रहती है।