वैज्ञानिकों के अनुसार बुध ग्रह का निर्माण ज्वालामुखी की वजह से हुआ है। इस ग्रह पर कभी बहुत सारे ज्वालामुखी थे, लेकिन बाद में सब निष्क्रिय हो गए। इसी वजह से इसकी सतह पर कई चट्टानें और गड्ढे देखने को मिलते हैं। इसके अलावा शुक्र ग्रह पर भी ज्वालामुखियों का ढेर मौजूद है। इसी के चलते यहां का तापमान काफी गर्म रहता है। यहां मौजूद ज्वालामुखी में से कुछ सक्रिय तो कुछ निष्क्रिय हैं।
मंगल ग्रह पर जीवन की तलाश के लिए वैज्ञानिक हमेशा से कोशिश कर रहे हैं, लेकिन यहां की पथरीली जमीन और कठिन हालात यहां पर जीवन बिताने के लिए उचित नहीं है। खगोलविदों का मानना है कि यहां माौजूद ज्वालामुखी भी इसका एक कारण है। यहां मौजूद ओलंपस मोन्स सौर मंडल का सबसे बड़ा ज्वालामुखी है, जिसकी ऊंचाई करीब 25 किलोमीटर है। ये पृथ्वी के सबसे ऊंचे पहाड़ माउंट एवरेस्ट से भी तीन गुना ऊंचा है। हालांकि यह लाखों साल से निष्क्रिय है, मगर भविष्य में क्या होगा अभी इसका अनुमान नहीं लगाया जा सकता है। इसके अलावा चंद्रमा जैसे उपग्रह पर भी कभी ज्वालामुखी हुआ करते थे। वैज्ञानिकों ने शोध में पाया कि ज्वालामुखी से पिघले हुए लावे की वजह से यहां एक विशाल मैदानी इलाका बन गया है। जिसे मारिया कहते हैं।