साइंस एंड टैक : क्यों भयभीत हैं फेसबुक विज्ञापनदाता

फेसबुक अब यह देखने में सक्षम नहीं है कि उसके विज्ञापनों से कितनी बिक्री हो रही है। इसलिए पता लगाना कठिन है कि फेसबुक के कौन से विज्ञापन काम कर रहे हैं।

<p>साइंस एंड टैक : क्यों भयभीत हैं फेसबुक विज्ञापनदाता</p>

कर्ट वैगनर, ब्लूमबर्ग

आइफोन पर जब यूजर्स से पूछा गया कि क्या वे अपने डेटा को शेयर करना पसंद करेंगे, तो अधिकांश का जवाब नहीं में था। यह फेसबुक इंक के विज्ञापनदाताओं के लिए चिंताजनक है, जो अपने कुछ सबसे मूल्यवान और योजनापूर्ण डेटा तक पहुंच खो रहे हैं। वे पहले ही अपने विज्ञापनों की प्रभावशीलता में गिरावट देख चुके हैं। एपल इंक ने जून की शुरुआत में आइफोन के ऑपरेटिंग सिस्टम का लेटेस्ट वर्जन आइओएस पेश किया है, जो स्पष्ट रूप से हर एप यूजर्स से पूछता है कि क्या वे अपने इंटरनेट की गतिविधियों पर नजर रखे जाने के इच्छुक हैं। मोबाइल एप की वृद्धि का विश्लेषण करने वाली वाली शाखा के अनुसार लोग अपने व्यवहार को ट्रैक करने की अनुमति केवल 25 प्रतिशत समय की ही दे रहे हैं। विज्ञापन उद्योग को वर्षों से इसी ट्रैकिंग से ऊर्जा मिल रही है। मोबाइल विश्लेषक एरिक सेफर्ट कहते हैं कि यह बहुत विनाशकारी है। मैं अधिकांश विज्ञापनदाताओं से यह बात कहूंगा। बड़ा सवाल यह है कि क्या हम केवल अल्पकालिक बदलाव देख रहे हैं, जहां हम वापस आने की उम्मीद कर सकते हैं या फिर यह सामान्य है?

फेसबुक के विज्ञापनदाताओं को विशेषकर पिछले माह इसका असर दिखा है। क्लाइंट्स की ओर से फेसबुक पर अभियान चलाने वालों का कहना है कि फेसबुक अब यह देखने में सक्षम नहीं है कि उसके विज्ञापनों से कितनी बिक्री हो रही है। इसलिए पता लगाना कठिन है कि फेसबुक के कौन से विज्ञापन काम कर रहे हैं। फेसबुक के एक प्रवक्ता ने यह जानकारी देने से इनकार किया है कि उसके कितने फीसदी यूजर्स ने ट्रैकिंग पॉलिसी को स्वीकार किया है, लेकिन मोटे तौर पर दुनियाभर के 75 प्रतिशत आइफोन यूजर्स ने नया ऑपरेटिंग सिस्टम डाउनलोड कर लिया है। सेफर्ट का अनुमान है कि यदि मोटे तौर पर 20 प्रतिशत यूजर्स भी ट्रैकिंग को स्वीकार कर लेते हैं तो आइओएस के इस वर्जन से फेसबुक का राजस्व 7 प्रतिशत तक गिर जाएगा। यदि 10 प्रतिशत यूजर्स फेसबुक को ट्रेकिंग की अनुमति देते हैं, तो राजस्व 13.6 प्रतिशत तक कम हो जाएगा।

फेसबुक के एक प्रवक्ता ने कहा कि आइओएस के परिवर्तनों के साथ कुछ उतार-चढ़ाव के अनुभव होंगे, लेकिन लंबी अवधि में इसका विशेष प्रभाव नहीं होना चाहिए। विज्ञापनदाताओं का कहना है कि ग्राहकों द्वारा उत्पादों को ऑनलाइन देखने के बाद उन्हें फिर से लक्षित करने की क्षमता खोना नुकसान पहुंचाने वाला है। एपल ने आइफोन के इर्द-गिर्द गोपनीयता को आधार बनाया है। आइफोन पर प्राइवेसी में परिवर्तन केवल फेसबुक पर ही नहीं, सभी एप डेवलपर के लिए लागू होते हैं। इतनी चुनौतियों के बावजूद, विज्ञापनदाता अभी फेसबुक छोडऩे के लिए तैयार नहीं दिख रहे हैं। मीडिया खरीदारों का कहना है कि उनके छोटे ग्राहक पहले से ही काफी संघर्ष कर रहे हैं। तो कुछ लोग एपल की गोपनीयता पर सवाल उठा रहे हैं।

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