राल्फ ने आइएमएफ के शोधकर्ता सेना ओज़्टोसुन और बाहर के दो अन्य अर्थशास्त्रियों थॉमस कोसिमानो और कॉनेल फुलेकैंप को भी अपनी गणना एवं अध्ययन में शामिल किया। उन्होंने व्हेल वैज्ञानिकों और पूर्व में प्रकाशित शोध पत्रों से भी परामर्श किया। इन चारों ने अपने शोध के आधार पर हाल ही एक रिर्पोट जारी की है जिसमें उन्होंने कहा कि दुनियाभर में मौजूद व्हेल की कुल आबादी का मूल्य करीब 1 ट्रिलियन डॉलर यानी (1 लाख करोड़ रुपए) से ज्यादा है।
पर्यावरण के लिए देवदूत हैं ‘ग्रेट व्हेल’
जलवायु परिवर्तन और कार्बनडाइऑक्साइड गैस के उत्सर्जन में वृद्धि होने का इन व्हेलों पर प्रभाव नहीं पड़ता। उनके विशाल फेफड़े कार्बन के कारण गर्म होकर उन्हें मरने के बाद ऊपर ले आते हैं। इस प्रक्रिया को व्हेल फॉल कहते हैं और यह कार्बन को सतह पर लाने की बजाय समुद्र की गहराई में ले जाती है। अब तक केवल 75 व्हेल फॉल को ही देखा जा सकता है। उनके शव पर 100 तरह के समुद्री प्रजातियां अपना भोजन के लिए आश्रित रहती हैं।
जलवायु परिवर्तन और कार्बनडाइऑक्साइड गैस के उत्सर्जन में वृद्धि होने का इन व्हेलों पर प्रभाव नहीं पड़ता। उनके विशाल फेफड़े कार्बन के कारण गर्म होकर उन्हें मरने के बाद ऊपर ले आते हैं। इस प्रक्रिया को व्हेल फॉल कहते हैं और यह कार्बन को सतह पर लाने की बजाय समुद्र की गहराई में ले जाती है। अब तक केवल 75 व्हेल फॉल को ही देखा जा सकता है। उनके शव पर 100 तरह के समुद्री प्रजातियां अपना भोजन के लिए आश्रित रहती हैं।
जलवायु परिवर्तन से भी बचाती
इस शोध के अनुसार कार्बन के एक विशाल संग्रहकर्ता के रूप में व्हेल के शरीर में संग्रहीत कार्बन जलवायु परिवर्तन में योगदान नहीं देता है। गल्फ ऑफ माइने रिसर्च इंस्टीट्यूट के पारिस्थितिकी विज्ञानी एंड्रयू पर्सिंग के अनुसार औद्योगिक क्षेत्रों में ग्रेट व्हेल इतनी कार्बन की मात्रा सोख सकती हैं कि यह रॉकी माउंटेन नेशनल पार्क के आकार के बराबर फैले जंगल द्वारा अवशोषित की जाने वाली हजारों टन कार्बन के बराबर होगी।
इस शोध के अनुसार कार्बन के एक विशाल संग्रहकर्ता के रूप में व्हेल के शरीर में संग्रहीत कार्बन जलवायु परिवर्तन में योगदान नहीं देता है। गल्फ ऑफ माइने रिसर्च इंस्टीट्यूट के पारिस्थितिकी विज्ञानी एंड्रयू पर्सिंग के अनुसार औद्योगिक क्षेत्रों में ग्रेट व्हेल इतनी कार्बन की मात्रा सोख सकती हैं कि यह रॉकी माउंटेन नेशनल पार्क के आकार के बराबर फैले जंगल द्वारा अवशोषित की जाने वाली हजारों टन कार्बन के बराबर होगी।
पोषक तत्वों की वाहक
व्हेल उसी स्थान पर भोजन करती है जहां उसे पचाती हैं। इस तरह वे पर्यावरण में कार्बन का उत्सर्जन नहीं करतीं। बल्कि वे गहराई में पानी में मौजूद पोषक तत्वों को स्थानांतरित कर ऊपरी सतह पर पहुंचाने का काम करती हैं। इस प्रक्रिया को ‘व्हेल पंप’ कहा जाता है। अपनी उच्चतम आबादी पर वे दक्षिणी गोलार्ध में प्रतिवर्ष 70 हजार टन कार्बन को अवशोषित कर सकती हैं। आइएमएफ ने हाल ही 75 डॉलर प्रति टन कार्बन पर टैक्स लगाने का सुझाव दिया है। इस गणित पर एक ग्रेट व्हेल की कीमत 50 से 60 लाख रुपए होती है।
व्हेल उसी स्थान पर भोजन करती है जहां उसे पचाती हैं। इस तरह वे पर्यावरण में कार्बन का उत्सर्जन नहीं करतीं। बल्कि वे गहराई में पानी में मौजूद पोषक तत्वों को स्थानांतरित कर ऊपरी सतह पर पहुंचाने का काम करती हैं। इस प्रक्रिया को ‘व्हेल पंप’ कहा जाता है। अपनी उच्चतम आबादी पर वे दक्षिणी गोलार्ध में प्रतिवर्ष 70 हजार टन कार्बन को अवशोषित कर सकती हैं। आइएमएफ ने हाल ही 75 डॉलर प्रति टन कार्बन पर टैक्स लगाने का सुझाव दिया है। इस गणित पर एक ग्रेट व्हेल की कीमत 50 से 60 लाख रुपए होती है।