विज्ञान और टेक्नोलॉजी

शोध: दिन के मुकाबले रात में तेजी से बढ़ रही है गर्मी, लुप्त हो सकती हैं कई प्रजातियां !

वैज्ञानिको ने साल 1983 से 2017 तक के आंकड़ों का अध्ययन किया है
जिसमें पता चला है कि दुनिया के आधे से ज्यादा इलाके में दिन (Day) के और रात (Night) के औसत वार्षिक तापमान (Average annual Temperture) में 0.25 डिग्री सेल्सियस तक का अंतर है।

 

Oct 07, 2020 / 04:38 pm

Vivhav Shukla

Nights warming faster than days across much of the planet

नई दिल्ली। दुनिया में कोरोना वायरस का प्रकोप घटने का नाम नहीं ले रहा। ताजे आंकड़ों के मुताबिक 3.58 करोड़ से अधिक लोग कोरोना संक्रमित (Corona) हो चुके हैं। वहीं 10.5 लाख से अधिक लोगों की जान जा चुकी है। कोरोना का प्रकोप इंसानों के साथ-साथ प्रकृति पर भी पड़ा है। हाल ही में एक रिपोर्ट आई कोरोना की वजह से पर्यावरण (Environment) में थोड़ी सुधार जरूर हुआ है।

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लेकिन ग्लोबल वार्मिंग (Global Warming) और जलवायु परिवर्तन (Climate change) को लेकर हुई एक अध्ययन में पता चला है कि पृथ्वी पर रात का वातावरण दिन के समय के मुकाबले ज्यादा तेजी से गर्म हो रहा है। जिसकी वजह से कई प्रजातियों के अस्तित्व तक पर खतरा मडंराने लगा है।

एक्स्टेर यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिको ने दुनिया भर के तीन दशकों के दैनिक तापमान (Daily Temperature) के आंकड़ों का अध्ययन किया है। इस शोध में पता चला है कि पृथ्वी के अपनी धुरी (Axis of Rotation) पर घूमने के कारण ग्लोबल वार्मिंग (Global warming) में काफी असमानता है। जिसकी वजह से ग्लोबल वार्मिंग दिन और रात के तापमान पर अलग अलग प्रभाव डाल रहा है।

इस शोध के लिए वैज्ञानिकों ने 1983 से 2017 तक के आंकड़ों का अध्ययन किया। जिसमें दुनिया के आधे से ज्यादा इलाके में दिन के और रात के औसत वार्षिक तापमान (Average annual Temperture) में 0.25 डिग्री सेल्सियस तक का अंतर पाया गया। ये अंतर वैसे तो मामूली है लेकिन इसकी वजह से कई जगहों पर दिन जल्दी गर्म होते हैं तो कई दूसरी जगहों पर रात अधिक तेजी से गर्म हो रहा है।

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ग्लोबल चेंज बायोलॉजी (Global Change Biology) में इस शोध को प्रकाशित किया गया है। शोध में कहा गया कि रात के तापमानमें बढ़ोत्तरी के इलाके दिन वाले इलाकों के मुकाबले दो गुना ज्यादा हैं। वैज्ञानिको ने बताया कि ‘गर्मी की यह असामान्यता की वजह बदलते बादलों की मात्रा है। क्योंकि शोध में पाया गया कि ठंडे इलाके में बादलों की मात्रा दिन के समय ज्यादा होती है, जबकि रत के समय गर्मी ज्यादा होती है।

शोध में पाया गया कि इस बदलाव की वजह से जीवों में तनाव और पानी की कमी की स्थिति पैदा हो सकती है और कई प्रजातियां भी खत्म हो सकती है। जीवों के साथ-साथ पौधों पर भी इसका बुरा असर दिखाई दे रहा रह है।

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