नासा ने इस टॉयलेट का नाम यूनिवर्सल वेस्ट मैनेजमेंट सिस्टम (Universal Waste Management System UWMS) रखा है। मालूम हो कि अभी तक अंतरिक्ष में पुराने तकनीक के टॉयलेट का उपयोग किया जा रहा था। पुराना टॉयलेट महिलाओं के हिसाब से नहीं था। इसलिए वैज्ञानिकों ने इसमें बदलाव करते हुए इसे महिलाओं एवं पुरुषों (Astronauts) दोनों के सामान रूप से इस्तेमाल किए जाने लायक बनाया है। अभी तक नासा में जिस टॉयलेट का उपयोग हो रहा था उसे माइक्रोग्रैविटी टॉयलेट कहते थे। यह मल को खींचकर उसे रिसाइकल करता था। जबकि नए तकनीक से बनाए गए टॉयलेट में अब फनल-फंक्शन सिस्टम होगा। इसे उपयोग करने में आसानी होगी।
पुराने टॉयलेट की तुलना में नया टॉयलेट जगह कम घेरेगा। इसका वजन भी कम है। इसमें यूरिन ट्रीटमेंट की सुविधा है। साथ ही अंतरिक्षयात्रियों को टॉयलेट पर बैठते समय पैर फंसाने के लिए जगह बनाई गई है। इसके अलावा इस टॉयलेट में मल और यूरिन को अलग करने में आसानी होगी। जबकि पुराने तकनीक से बने टॉयलेट में दिक्कतें आती थी। स्पेस स्टेशन के बाद इस टॉयलेट का उपयोग रॉकेट या स्पेसक्राफ्ट में किया जा सकता है। नासा इसका उपयोग साल 2024 में अपने मून मिशन में करेगा।