पोर्ट में स्मार्टफोन को भविष्य का सबसे बड़ा खतरा बताया है जिससे बच्चों के शारीरिक और मानसिक विकास पर बुरा असर पड़ रहा है। उन्होंने बताया है कि जैसे हम अपने बच्चों को शराब और दूसरे तरह के नशे से बचाने पर ध्यान देत हैं उसी तर्ज पर स्मार्टफोन के इस्तेमाल से बच्चों का बचाव जरूरी है। अभिभावक भी बच्चों की इस परेशानी को लेकर बेहद गंभीर हैं। स्मार्टफोन से बच्चों की पढ़ाई, मानसिक स्वास्थ्य और सामाजिक स्थिति पर बुरा प्रभाव पड़ रहा है। बच्चों में स्मार्टफोन पर अधिक समय बिताने को लेकर गूगल और एक स्मार्टफोन कंपनी ने सॉफ्टवेयर भी तैयार किया है जिससेे अभिभावक पता कर लेंगेे कि बच्चा कितना समय स्मार्टफोन पर दे रहा है।
पढ़ाई पर भी बुरा असर
तकनीक का बुरा असर बच्चे के स्वभाव और शिक्षा पर पड़ रहा है। अमरीकन साइकोलॉजिकल एसोसिएशन की रिपोर्ट के अनुसार सोशल मीडिया और स्मार्टफोन के बढ़ते इस्तेमाल से युवाओं में पढऩे की आदत तेजी से कम हो रही है। नतीजा ये है कि उनके सोचने की क्षमता भी तेजी से कमजोर हो रही है। 1970 के दशक में हाई स्कूल में पढऩे वालों से बात की गई तो बताया कि वे उस दौर में 60 फीसदी समय किताब, मैगजीन व समाचार पत्र पढऩे में व्यतीत करते थे। 2016 में इस बारे में हाईस्कूल के छात्रों से पूछा गया तो ये आंकड़ा 16 फीसदी पर सिमट गया।
वाशिंगटन पोस्ट से विशेष अनुबंध के तहत