जिन चट्टानों से पृथ्वी बनी है उनमे हमारे महासागरों से तीन गुना ज़्यादा पानी की क्षमता मौजूद

उल्कापिंडों के अध्ययन में सामने आया कि शुरुआत से ही पानी से लबालब थी पृथ्वी

<p>जिन चट्टानों से पृथ्वी बनी है उनमे हमारे महासागरों से तीन गुना ज़्यादा पानी की क्षमता मौजूद</p>
वाशिंगटन यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों ने एनास्टैटाइट चोंडराईट उल्कापिंडों में पर्याप्त पानी खोजा है जिनसे शुरुआत में पृथ्वी का निर्माण हुआ था। वैज्ञानिकों ने इस नए अध्ययन से यह अनुमान लगाया है कि पृथ्वी पर मौजूद महासागरों का अथाह जल उन सामग्रियों से आया हो सकता है जो पृथ्वी के निर्माण के समय आंतरिक सौर प्रणाली में मौजूद थे। वैज्ञानिकों का तर्क है कि अध्ययन इस ओर इशारा करता है कि हमारी पृथ्वी अपनी शुरुआत से ही पानी से लबालब रही होगी, यानी सुदूर अंतरिक्ष के किसी धूमकेतु या क्षुद्रग्रह (Aestroid) के टकराने से पानी के स्रोत बनने की अवधारणा के ठीक विपरीत।
वैज्ञानिकों ने हाल ही उन उल्कापिंडों का गहराई से अध्ययन किया है जो पृथ्वी के शुरुआती निर्माण में शामिल थे। वैज्ञानिक अध्ययन के निष्कर्ष केआधार पर दावा कर रहे हैं कि हमारी पृथ्वी पर मौजूद 70 फीसदी जल उन सामग्रियों से आया हो सकता है जो पृथ्वी के बनने के समय उसकी आंतरिक सौर प्रणाली में मौजूद पहले से ही मौजूद थीं। अभी तक वैज्ञानिक यह मानते आए थे कि पृथ्वी शुरुआत में बहुत गर्म थी और लाखों वर्षों के दौरान तापमान कम होने पर दूर के धूमकेतु या क्षुद्रग्रह के टकराने से पानी के स्रोत बने होंगे। साइंस मैगजीन में प्रकाशित इस अध्ययन के निष्कर्ष बताते हैं कि पृथ्वी अपने शुरुआत से ही अथाह महासागरो से लबालब रही होगी।

उल्कापिंड में मौजूद 3 गुना पानी
फ्रांस के नैंसी स्थित सेंटर डी रिचरैच पेट्रोग्राफिक वेट जीओचिमिक्स (CRPG, CNRS) यूनिवर्सिट डी लोरेन और वॉशिंगटन यूनिवर्सिटी, सेंट लुईस के शोधकर्ताओं ने एक प्रकार के उल्कापिंड ‘एनस्टैटाइट चोंडराईट’ का अध्ययन किया था। उन्होंने पाया कि इन उल्कापिंडों में पृथ्वी के महासागरों में मौजूद जल भण्डार से कम से कम तीन गुना अधिक पानी देने जितनी पर्याप्त हाइड्रोजन (Hydrogen) मौजूद थी। यह अनुमान तीन गुना से भी ज्यादा हो सकता है। ‘एनस्टैटाइट चोंडराईट’ उल्कापिंड पूरी तरह से हमारे आंतरिक सौर प्रणाली में मौजूद सामग्री से बने होते हैं। मूल रूप से यह वही सामग्री है जिससे हमारी पृथ्वी का निर्माण हुआ है। अध्ययन के प्रमुख शोधकर्ता लीडर लॉरेट पियानी ने कहा कि पृथ्वी को बनाने वाली इस सामग्री ने ही अथाह जल भण्डार में महत्वपूर्ण योगदान दिया होगा। इस अध्ययन के निष्कर्ष इसलिए भी हैरान करते हैं क्योंकि अभी तक पृथ्वी के निर्माण में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाने वाली इन ‘एनस्टैटाइट चोंडराईट’ चट्टानों को ‘सूखा’ माना जाता था। लेकिन अब ये उल्कापिंड यह इशारा कर रहे हैं कि हमारे ग्रह पर पानी सुदूर अंतरिक्ष की गहराइयों से नहीं बल्कि हमारे सौरमंडल से ही आया है।

बहुत दुर्लभ हैं ये उल्कापिंड
‘एनस्टैटाइट चोंडराईट’ उल्कापिंड बहुत दुर्लभ हैं जो पृथ्वी पर संग्रहीत कुल ज्ञात चट्टानोंका केवल 2% हिस्सा हैं। लेकिन उनमें पृथ्वी के ही समान ऑक्सीजन, टाइटेनियम और कैल्शियम के कण मौजूद होते हैं। अध्ययन से यह भी पता चला है कि इस उल्कापिंड के हाइड्रोजन और नाइट्रोजन आइसोटोप (Isotop) भी पृथ्वी के समान हैं। ऐसी दुर्लभ और अलौकिक सामग्रियों के अध्ययन में उनमें मौजूद किसी एक खास तत्व की प्रचुरता का उपयोग एक विशिष्ट हस्ताक्षर के रूप में किया जाता है ताकि यह पता लगाया जा सके कि उस तत्व की उत्पत्ति असल में कहां से हुई।

अध्ययन यह भी बताता है कि वायुमंडल में बहुतायत में मौजूद नाइट्रोजन पृथ्वी के वायुमंडल का सबसे प्रचुर घटक है जो इन एनास्टेटाइट चोंड्रेइट्स चट्टानों से उत्पन्न हुई होगी। पियानी का कहना है कि केवल कुछ ही प्राचीन एनेस्टैटाइट चोंड्रेइट उल्कापिंड हें जिनकी प्रकृति और बनावट उनके वास्तविक क्षुद्रग्रह पर और पृथ्वी पर दोनों ही जगह बदले नहीं हैं।
Copyright © 2024 Patrika Group. All Rights Reserved.