स्वच्छ ऊर्जा स्रोतों को महंगी भंडारण तकनीक के साथ जोडऩे के लिए अतिरिक्त बचत की आवश्यकता होगी। बड़े कारखानों, स्वचालन के उपयोग और अधिक कुशल उत्पादन विधियों से सौर क्षेत्र में श्रम लागत कम हुई है। साथ ही सामान की बर्बादी भी कम हुई है। 2010 से 2020 के बीच सोलर पैनल की औसत लागत में 90 प्रतिशत की गिरावट आई है। प्रति पैनल ऊर्जा उत्पादन बढ़ाने से आशय है कि छोटे आकार के पैनल से भी बड़े जितनी ही बिजली पैदा की जा सके। पिछले दशक तक जहां ज्यादातर सोलर पैनल 400 वाट के ही हैं, वहीं 2020 तक आते-आते 500 व 700 वाट तक के सोलर पैनल मिलने लगे।