लॉकडाउन : जायजा लेने निकले थे लोग तो प्रशासन ने पकड़कर थमाया सफाई का काम हांगकांग के चार वैज्ञानिकों ने 13 साल पहले एक रिसर्च रिव्यू (Research Review) पेश की थी। जिसमें कहा गया था कि बहुत जल्द चीन के वन्यजीव बाजार से सार्स जैसा एक वायरस जन्म ले सकता है। इतने बड़े खतरे की चेतावनी देने के बावजूद किसी ने इस बात पर गौर नहीं किया। अब इसी रिसर्च को लेकर भारत के पंजाब विश्वविद्यालय, नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ फार्मास्युटिकल एजुकेशन एंड रिसर्च (नाइपर) जैसे प्रख्यात संस्थानों के वैज्ञानिकों ने हवाला दिया है। उनका कहना है कि अगर इस पर ध्यान दिया जाता तो आज पूरे विश्व को ये हालात नहीं देखने पड़ते।
वायरस पर हुई रिसर्च में किया था खुलासा
12 अक्तूबर 2007 को हांगकांग यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिक विसेंट सीसी चेंग, सुसन्ना केपी लाउ, पैट्रिक सीवाई वू और क्वॉक युंग यूएन ने मिलकर एक रिसर्च रिव्यू तैयार किया था। जिसमें दुनिया भर में वायरस पर हुई रिसर्च का रिव्यू किया गया था। इसे अमेरिकन सोसाइटी फॉर माइक्रो बायोलॉजी में प्रकाशित भी किया गया था। रिपोार्ट के मुताबिक वैज्ञानिकों ने कहा था कि वर्ष 2002 में दक्षिणी चीन के वन्यजीव बाजार से सार्स जैसे वायरस का उदय हुआ है और आगे चमगादड़ आदि के जरिए कोविड- 2 वायरस (COVID-19) फैल सकता है। इस वायरस का वर्तमान में नाम कोविड-19 है, जो वही है। वैज्ञानिकों ने यह भी कह दिया था कि कोविड- 2 अन्य वायरसों से कई गुना ताकतवर होगा। जानवरों ने अपने बचाव के लिए इस वायरस को विकसित किया है।
12 अक्तूबर 2007 को हांगकांग यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिक विसेंट सीसी चेंग, सुसन्ना केपी लाउ, पैट्रिक सीवाई वू और क्वॉक युंग यूएन ने मिलकर एक रिसर्च रिव्यू तैयार किया था। जिसमें दुनिया भर में वायरस पर हुई रिसर्च का रिव्यू किया गया था। इसे अमेरिकन सोसाइटी फॉर माइक्रो बायोलॉजी में प्रकाशित भी किया गया था। रिपोार्ट के मुताबिक वैज्ञानिकों ने कहा था कि वर्ष 2002 में दक्षिणी चीन के वन्यजीव बाजार से सार्स जैसे वायरस का उदय हुआ है और आगे चमगादड़ आदि के जरिए कोविड- 2 वायरस (COVID-19) फैल सकता है। इस वायरस का वर्तमान में नाम कोविड-19 है, जो वही है। वैज्ञानिकों ने यह भी कह दिया था कि कोविड- 2 अन्य वायरसों से कई गुना ताकतवर होगा। जानवरों ने अपने बचाव के लिए इस वायरस को विकसित किया है।
चेतावनी को गंभीरता से न लेने का हुआ अंजाम
पंजाब विश्वविद्यालय चंडीगढ़ के प्रो. प्रिंस शर्मा, डीन साइंसेज, ने कहा कि जब साल 2002-03 में सार्स वायरस आया था और इसको लेकर वैज्ञानिकों ने आगाह भी किया था। इसके बावजूद किसी भी सरकार ने इस पर ध्यान नहीं दिया। सबने इसे हल्के में लिया। इतने गंभीर मुद्दे को दरकिनार करने का ही नतीजा आज सब भुगत रहे हैं।
पंजाब विश्वविद्यालय चंडीगढ़ के प्रो. प्रिंस शर्मा, डीन साइंसेज, ने कहा कि जब साल 2002-03 में सार्स वायरस आया था और इसको लेकर वैज्ञानिकों ने आगाह भी किया था। इसके बावजूद किसी भी सरकार ने इस पर ध्यान नहीं दिया। सबने इसे हल्के में लिया। इतने गंभीर मुद्दे को दरकिनार करने का ही नतीजा आज सब भुगत रहे हैं।