गुड न्यूज: भारतीय ने बनाया कैंसर का टीका, अमरीका में मानव परीक्षण के पहले चरण की मिली मंजूरी

यह टीका शरीर की एंटीबॉडी का उत्पादन करने में मदद करता है जो प्रतिरक्षा कोशिकाओं का पता लगाने और कैंसर कोशिकाओं को मारने में मदद करते हैं।

<p>गुड न्यूज: भारतीय ने बनाया कैंसर का टीका, अमरीका में मानव परीक्षण के पहले चरण की मिली मंजूरी</p>
वैज्ञानिक बीते कई दशकों से कैंसर के इलाज (Cancer Treatment) के लिए एक असरकारक टीका (Effective Cancer Vaccine ) विकसित करने में जुटे हुए हैं। अब उन्हें पहली सफलता मिली है। हाल ही अमरीका में भारतीय मूल के वैज्ञानिक प्रवीण कौमाया ने कैंसर के लिए एक नया टीका विकसित किया है जो हाल ही पहले चरण के मानव परीक्षण के लिए पूरी तरह तैयार है। इस टीके के जैव परीक्षण में सफलतापूर्वक प्रदर्शन के बाद इसे मानव परीक्षण की मंजूरी मिली है। इस नए अध्ययन में वैज्ञानिकों ने पाया कि एक अन्य इम्यूनोथेरेपी दवा के साथ यह वैक्सीन लगाने पर प्रयोग में शामिल 90 फीसदी पशुओं में वायरस के प्रति पूर्ण प्रतिक्रिया उत्पन्न हुई। इतना ही नहीं वैक्सीन ने कैंसर सैल्स पर कारगर प्रभाव डाला और पशुओं के शरीर में एक मजबूत सुरक्षा इम्यूनिटी विकसित की। यह प्रयोग कैंसर कोशिकाओं के उस मैकेनिज्म को अवरुद्ध करने पर ध्यान केंद्रित करता है जो शरीर की प्रतिरक्षा कोशिकाओं के हमले से खुद को बचाने के लिए उपयोग करती हैं। यह वैक्सीन शरीर की ऐसे एंटीबॉडीज का उत्पादन करने में मदद करती है जो प्रतिरक्षा कोशिकाओं को कैंसर कोशिकाओं का पता लगाने और उन्हें मारने में सक्षम हैं।

किलर इम्यून सैल से बच निकलती हैं कैंसर कोशिकाएं
कैंसर की कोशिकाएं एक खास मैकेनिज्म का इस्तेमाल कर शरीर की किलर इम्यून सैल के हमले से बच निकलती हैं। हमारे शरीर के इम्यून सिस्टम में कोशिकाओं की सतह पर मौजूद पीडी-1 (PD-1) नाम का जांच प्रोटीन शरीर के लिए घातक सैल्स की निगरानी करता है। जब पीडी-1 एक दूसरे प्रोटीन पीडी-एल1 (PD-L1) के साथ मिल जाता है तो यह एक और चेक प्वॉइंट (Check Point) बनाते हैं। ये चेकपॉइंट प्रोटीन स्वस्थ कोशिकाओं के साथ-साथ कुछ कैंसर कोशिकाओं पर भी पाया जाता है। यह शरीर के किलर इम्यून सैल्स (Killer Immune Cells) को यह बताने का काम करते हैं कि कहां कैंसर कोशिकाएं हैं और किलर सेल्स उन्हें नष्ट कर देती हैं। कैंसर सैल्स इन्हीं मारक कोशिकाओं से बच निकलने में सफल हो जाती हैं।

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क्या है पीडी-1
दरअसल, पीडी-1 अवरोधक दवाओं का अपेक्षाकृत एक नया वर्ग है जो मारक प्रतिरक्षा कोशिकाओं (Killer Immune Cells) को कैंसर कोशिकाओं का अधिक प्रभावी ढंग से पता लगाने और उन्हें मारने में सक्षम बनाता है। पहली पीढ़ी के एंटी-पीडी-1 मोनोक्लोनल एंटीबॉडी (Anti-PD-1 Monoclonal Antibodies) को हाल के वर्षों में विभिन्न कैंसर के इलाज के लिए अनुमोदित किया गया है। यह नई थेरेपी, जिसे पीडी1-वीएएक्सएक्स (PD1-VAXX) कहा जाता है, को ज्यादा मजबूत पॉलीक्लोनल एंटीबॉडी प्रतिक्रिया को ट्रिगर करने के लिए डिज़ाइन किया गया है। जो चेकपॉइंट अवरोधकों की पहली पीढ़ी की तुलना में उम्मीद से बेहतर प्रभावकारी है। ओहियो स्टेट यूनिवर्सिटी (Ohio State University) के शोधकर्ताओं के नेतृत्व में एक अन्य इम्यूनोथेरेपी उपचार के साथ पीडी1-वीएएक्सएक्स के प्री-क्लिनिकल परीक्षण (Pre Clinical Test) के लिए स्वीकृति दी गई है।

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भारतीय हैं वैक्सीन के प्रमुख शोधकर्ता
कैंसर की इस वैक्सीन की खोज करने वाले अध्ययन के प्रमुख शोधकर्ता भारतीय मूल (Indian American) के प्रवीण कौमाया (Dr. Praveen Kaumaya) हैं। प्रवीण का कहना है कि पीडी1-वीएएक्सएक्स शरीर में पहुंचकर बी और टी सैल फंक्शंस को एक्टिवेट कर देता है ताकि ट्यूमर का पता लग सके। इसके बाद, उपचार उन रास्तों को अवरुद्ध कर देता है जिनका इस्तेमाल कर ट्यूमर शरीर में पनपता है। इस इम्यूनोथेरेपी दवा के साथ, हम शरीर को सुपर-चार्ज कर देते हैं जिससे शरीर में उत्पन्न किलर इम्यून सैल्स विशेष रूप से कैंसर कोशिकाओं को लक्षित कर उन्हें नष्ट कर देती हैं। प्रयोग में १० में से नौ जानवरों के शरीर में कॉम्बिनेशन थेरेपी के कोलन कैंसर सेल के प्रति प्रभावी प्रतिक्रिया देखने को मिली। नंवबर की शुरुआत में यूएस फूड एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन (एफडीए) ने पीडी१-वीएएक्सएक्स को अमरीका में मानव परीक्षण के पहले चरण के लिए स्वीकृति दे दी है। यह नया शोध ओंकोइम्यूनोलॉजी जर्नल में प्रकाशित किया गया है।

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