शोध के प्रमुख लेखक जीसस रिवेरा और उनके सहयोगियों ने अध्ययन में पाया कि इस बीटल के कवच की कठोरता और ताकत इसके बाहरी पंख के ऊपर मौजूद खोलनुमा दो खास हिस्से हैं जो किसी जिग्सा पजल की तरह एक-दूसरे में इंटरलॉक हो जाते हैं। यह उभरा हुआ खोल और उसकी इंटरलॉकिंग की पांच बिल्कुल सही संख्या इसे इतना मजबूत बख्तरबंद जैसा कवच प्रदान करता है। इतना ही नहीं विंग कवर और शरीर के बीच भी दबाव झेलने के लिए प्राकृतिक रूप से ससपेंशन जैसे अंग हैं ताकि कुचले जाने के दौरान या अत्यधिक दबाव पडऩे पर शरीर के महत्वपूर्ण अंगों को नुकसान न पहुंचे।
दरअसल, जब कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय के एन्टोमोलॉजिस्ट्स ने पहली बार इस नूडेसट ब्लैक बीटल को देखा तो इसे सामान्य कीट ही समझा था। पश्चिमी अमरीका में ओक और ऐसे ही अन्य छाल वाले पेड़ों पर रहने वाले इस झींगुर (बीटल) का वैज्ञानिक नाम फ्लोयोड्स डायबोलिकस है। यह इन पेड़ों और आस-पास उगने वाले कवक खाता है। अन्य बीटल की तरह, खतरा भांपकर यह भी मरने का ढोंग करता है। वैज्ञानिक अब कार, साइकिल यहां तक कि हवाई जहाज में भी इस कीट के इस बख्तरबंद कवच का डिजाइन उपयोग करने पर काम कर रहे हैं ताकि उन्हें संभावित रूप से सड़क दुर्घटना के दौरान होने वाली क्षति को सहने लायक बना सकें।