विज्ञान और टेक्नोलॉजी

43 वर्षीय राणा की ‘इमोशन एआइ’ भविष्य में बचाएगी ड्राइवर्स की जान

मिस्र मूल की अमरीकी कम्प्यूटर साइंटिस्ट मैसाचुसेट्स इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी से ‘इमोशन एआइ’ में पीएचडी कर रही हैं

बगरूSep 12, 2021 / 06:01 pm

Mohmad Imran

43 वर्षीय राणा की ‘इमोशन एआइ’ भविष्य में बचाएगी ड्राइवर्स की जान

आज ऐसे स्मार्ट सुपर कम्प्यूटर्स का दौर है जो पलक झपकते ही करोड़ो-अरबों की गणना कर लेते हैं, जटिल से जटिल भाषा का तुरंत अनुवाद कर सकते हैं, यहां तक कि स्मार्ट मशीनरी का संचालन भी करते हैं। बावजूद इसके, कम्प्यूटर अब तक इंसानी भावनाओं को समझने का कौशल विकसित नहीं कर सके हैं। आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस और मशीन लर्निंग तकनीक के बावजूद मानवीय भावनाओं को समझ पाने में अब भी ये स्मार्ट मशीन बहुत पीछे हैं। मिस्र मूल की अमरीकी कम्प्यूटर साइंटिस्ट राणा एल कलियूबी इस ढर्रे को बदलने का काम कर रही हैं। 43 वर्षीय राणा ने मैसाचुसेट्स इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी से ‘इमोशन एआइ’ में पीएचडी करते हुए अपनी कंपनी ‘अफेक्टिवा’ की स्थापना की। ‘इमोशन एआइ’ का उपयोग कर वह कलियूबी कम्प्यूटर्स को मानवीय भावनाओं को पहचानना और उन्हें मापना सिखा रही हैं। कलियूबी का कहना है कि उनका यह मिशन आने वाली पीढ़ी और भविष्य के कम्प्यूटर्स के लिए वरदान साबित होगा।

कम्प्यूटर्स को सिखा रहीं महसूस करना
इमोशन एआइ तकनीक की मदद से कलियूबी ने सबसे पहले एक ऐसा चश्मा बनाया था, जो ऑटिज्म से पीडि़त बच्चों के चेहरे के भाव पढऩे में मदद करता है। यह चश्मा पहनने वाले को संकेत देता है कि मुस्कुराने या भौहों को सिकोडऩे जैसी सांकेतिक भाव-भंगिमाओं को कैसे पहचानें और उनका जवाब कैसे दें। राणा के अनुसार, चश्मे के उपयोग से इन बच्चों में वास्तव में बहुत सकारात्मक सुधार देखने को मिले। वर्षों के शोध और अपडेशन के बाद, इसी तकनीक से प्रेरित 2017 में गूगल ग्लास जैसे स्मार्ट डिवाइस के रूप में लॉन्च किया गया था। मिस्र में जन्मी, कलियूबी के माता-पिता दोनों कम्प्यूटर प्रोग्रामर थे और उसने 2009 में काहिरा स्थित अमरीकी विश्वविद्यालय में कंप्यूटर साइंस की पढ़ाई की। आज राणा की कंपनी ‘अफेक्टिवा’ यूनिवर्सिटी के प्रयोग से बोस्टन स्थित एक अंतरराष्ट्रीय मल्टी-मिलियन डॉलर उद्यम के रूप में विकसित हुई है।

43 वर्षीय राणा की 'इमोशन एआइ' भविष्य में बचाएगी ड्राइवर्स की जान

जीवन बचा सकेगी तकनीक
कलियूबी का मानना है कि इमोशन एआइ ऑटोमोटिव उद्योग में, ड्राइवर मॉनिटरिंग सिस्टम में काफी काम आ सकती है। यह कारों में लगे एआइ कैमरों की मदद से ड्राइवर की मनोदशा, व्याकुता औ उनींदेपन को पहचानकर उन्हें सचेत कर सकती है जिससे दुर्घटनाओं पर रोक लगाने में मदद मिलेगी। यूरोपीय आयोग की एक रिपोर्ट के अनुसार, 90 फीसदी सड़क दुर्घटनाएं मानवीय भूल के कारण होती हैं। इसके अलावा, ‘इमोशन एआइ’ कारों के लिए अन्य तरीकों से भी उपयागी है। कार केबिन की रोशनी को जरुरत के अनुसार कम या ज्यादा कर सकता है, संगीत बंद कर सकता है, तापमान में बदलाव कर सकता है।साथ ही वह काम में सवार लोगों के व्यक्तिगत अनुभव को भी बता सकता है, मसलन उनकी तबीयत ठीक है या नहीं।

43 वर्षीय राणा की 'इमोशन एआइ' भविष्य में बचाएगी ड्राइवर्स की जान
2019 के एक मेटा-अध्ययन में 1000 से अधिक शोध पत्रों के निकर्ष के अनुसार, ‘इमोशन एआइ’ यूनिवर्सल फेशियल एक्सप्रेशन में पूर्ण रूप से सक्षम है। 2020 के एक अध्ययन के अनुसार, ‘इमोशन पहचानने वाली एआइ’ मनुष्यों की तुलना में कम सटीक है लेकिन इसे बेहतर किया जा सकता है। 90 देशों से 11 मिलियन (1.1 करोड़) चेहरे की प्रतिक्रियाओं के साथ, कलियूबी एक विविध डेटाबेस बना रही हैं, जो अपने सिस्टम से उम्र, gender और नस्लीय पूर्वाग्रहों को दूर करता है। वह एक ऐसे मॉडल पर काम कर रही हैं, जिसमें चेहरे की अभिव्यक्ति और आवाज का स्वर शामिल है। उनकी ‘इमोशन एआइ’ तकनीक संस्कृति और संदर्भ जैसी बारीकियों पर भी ध्यान देती है।

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