अंटार्कटिका में 900 मीटर गहराई में पहली बार मिले विचित्र जीव, वैज्ञानिक भी हुए हैरान

अंटार्कटिका के हिमखंडों के नीचे की गहराई में विचित्र प्रकार के जीवों की खोज हुई है
इससे पहले इंसानों को कोई जानकारी नहीं थी
ये जीव समुद्री बर्फीले पत्थरों पर चिपके रहते हैं

<p> creatures found in Antarctica </p>

नई दिल्ली। नई-नई खोज से ऐसा लगता है कि हम अपनी धरती के बारे में जितना जानते हैं वह अभी काफी कम जानकारी है। अगर बात करें बर्फ के रेगिस्तान अंटार्कटिका की तो वहां के हालात ऐसे हैं जहां जीवन (Life found in Antarctica) की कल्पना भी मुश्किल है। यहां बर्फ के रेगिस्तान में जीवन की तलाश में जुटे वैज्ञानिकों को एक बड़ी जानकारी मिली है। ब्रिटिस अंटार्कटिक सर्वे के वैज्ञानिकों को यहां की बर्फ की वादियों के नीचे लगभग 900 मीटर गहराई में दो तरह के Sea-sponges होने की जानकारी मिली है। यहां की सतह से 900 मीटर नीचे का दृष्य देख कर वैज्ञानिक भी हैरान हैं।

अंटार्कटिका में न्यूनतम तापमान -80.2 डिग्री सेल्सियस के आसपास हो जाता है ऐसे में यहां जीवित रहने के लिए ज़बरदस्त संघर्ष करना पड़ता है। खासकर रिसर्च के लिए तो वैज्ञानिकों को जान की बाजी तक लगानी पड़ती है। ब्रिटिस अंटार्कटिक सर्वे के वैज्ञानिकों ने यहां के सुदूर इलाके में ज़मीन के 900 मीटर नीचे ड्रिलिंग करके बर्फ के बोरहोल में कैमरा उतारा तो वहां ज़मीन के नीचे का नजारा देख कर वैज्ञानिक भी हैरान रह गए। वैज्ञानिक इस नई खोज से इतने हैरत में हैं कि उन्होंने इस रिसर्च का नाम ही ‘Breaking all the Rules’ यानी ‘सारे नियम तोड़ने वाला’ रख दिया है।

जीवन की मौजूदगी है हैरानी भरा

ब्रिटिस अंटार्कटिक सर्वे के वैज्ञानिकों में से प्रमुख वैज्ञानिक डॉ. हूव ग्रिफिथ की माने तो अंटार्कटिका में जीवित रहने के लिए जीवों में परिस्थिति के मुताबिक खुद को ढ़ालने की क्षमता नजर आती है। इस नई खोज ने कई सवाल भी उठाए हैं। जैसे- जहां जीवन जीने की संभावना भी नहीं हो सकती है उस निर्जन इलाके में ये जीव कैसे पहुंचे होंगे, इन्हें यहां क्या खाने को मिलता होगा। ये यहां कब से निवास कर रहे होंगे, क्या ये नई प्रजातियां हैं? इस निर्जन इलाके में जीवन कैसे संभव होगा?

सफेद बर्फ के निर्जन इलाके में हुई हैं कई घटनाएं

भूवैज्ञानिक डॉ एलन लेस्टर ने तो यह भी बताया है कि व्हाइटआउट के दौरान इंसान को केवल सफेद रंग ही नज़र आता है। ऐसे में यहां ऐसी स्थिति बन जाती है जहां हर जगह सफेद ही सफेद दिखाई देता है। नीचे सफेद ग्लेशियर तो ऊपर आसमान में सफेद बादल, जिसके कारण यहां पर कई बड़ी घटनाएं भी घट चुकी हैं। ऐसे माहौल में ऊपर या नीचे क्या है यह भी पता कर पाना मुश्किल हो जाता है।

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