धरती की ओर तेजी से बढ़ रहा ‘तबाही का देवता’, महाविनाश की चेतावनी

Asteroid clash with earth : पृथ्वी से टकारा सकता है खतरनाक उल्कापिंड, इसका नाम अपोफिस है
यह ऐस्‍टरॉइड करीब 1000 फुट चौड़ा है। इसकी खोज साल 2004 को हुई थी, तब से इसका आकार बढ़ रहा है

<p>Asteroid clash with earth</p>
नई दिल्ली। वैसे तो अंतरिक्ष में अक्सर उल्कापिंड (Asteroid) टूटकर इधर-उधर घूमते रहते हैं, लेकिन ये उस वक्त खतरनाक बन जाते हैं जब इनका रुख धरती की ओर हो जाता है। वैज्ञानिकों ने हाल ही में ऐसे ही एक तबाही मचाने वाले उल्कापिंड को पृथ्वी की ओर बढ़ता देखा है। इसका नाम ‘अपोफिस (Apophis) है। इसकी रफ्तार और आकार को देखते हुए इसे ‘तबाही का देवता’ भी कहा जा रहा है। वैज्ञानिकों का कहना है कि अगर ये उल्कापिंड पृथ्‍वी से टकराता है तो 88 करोड़ टन TNT के विस्‍फोट के बराबर असर होगा। इससे महाविनाश का खतरा पैदा हो सकता है, इसलिए सतर्क रहने की जरूरत है।
यह ऐस्‍टरॉइड करीब 1000 फुट चौड़ा है। धरती की तरफ तेजी से बढ़ते हुए इस उल्कापिंड का खुलासा सुबारू टेलिस्‍कोप से मिले डेटा के आधार पर हुआ है। अमेरिकी वैज्ञानिकों ने महाविनाशक ऐस्‍टरॉइड की पृथ्वी से टक्कर की चेतावनी जारी की है। हवाई यूनिवर्सिटी के खगोलविद डेविड थोलेन का कहना है कि अपोफिस बहुत तेजी से गति पकड़ रहा है। ये ऐस्टरॉइड वर्ष 2068 में पृथ्‍वी से टकरा सकता है। हालांकि इसकी टक्कर का सटीक समय साल 2029 में चल सकेगा। क्योंकि उस वक्त ये धरती के सबसे नजदीक होगा। इसे बिना दूरबीन के भी देखा जा सकेगा।
सूर्य की रोशनी से उल्कापिंड बन रहा खतरनाक
शोधकर्ताओं ने पाया कि अपोफिस सूर्य की रोशनी में गरम हो रहा है। जिसके चलते विध्वंस का खतरा और बढ़ गया है। इसके धरती से टकराने पर भयंकर परिणाम हो सकते हैं। नासा ने भी इस ऐस्‍टरॉइड को तीसरा सबसे बड़ा खतरा बताया है। उनके अनुसार अगले 48 साल में ऐस्‍टरॉइड के धरती से टकराने की संभावना है। अपोफिस ऐस्‍टरॉइड की खोज एरिजोना की वेधशाला ने 19 जून, 2004 को की थी। तब से वैज्ञानिक लगातार इस पर नजर बनाए हुए हैं।
एफिल टावर से भी आकार में बड़ा
अपोफिस फ्रांस के एफिल टावर से आकार में बड़ा है। यह ऐस्‍टरॉइड अगर केवल ठीक-ठीक दूरी से गुजरता है तो पृथ्‍वी की गुरुत्‍वाकर्षण शक्ति इसका रास्‍ता बदल देगी और यह वर्ष 2068 में वापस आएगा और पृथ्‍वी से टकरा सकता है। इसके टकराने पर 88 करोड़ टन TNT के विस्‍फोट के बराबर असर होगा। यह उल्कापिंड निकेल और लोहे से बना है। इसकी लंबाई लगातार बढ़ रही है। अब इसका आकार मूंगफली की तरह होता जा रहा है।
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