उड़ान से पहले रॉॅकेट देखा तक नहीं था
उस समय 27 साल के युवा लेफ्टिनेंट यूरी गगारिन को अचानक इस ऐतिहासिक मिशन के लिए छुन लिया गया था। उन्हें रॉकेट लांच के चार दिन पहले मिशन के लिए चुना गया था। ऐसे में यूरी को सामान्य की तुलना में कई गुना ज़्यादा जटिल कड़े परीक्षण और ट्रेनिंग प्रोसेस से गुज़ारना पड़ा। यहां तक की जिस अंतरिक्षयान में यूरी को उड़ान भरनी थी उसके वास्तविक यान तक को उन्होंने राकेट में बैठने से पहले नहीं देखा था।
रूसी सेना ने किया था मिशन का विरोध
भले ही आज यह एक ऐतिहासिक मिशन बन गया हो, लेकिन उस दौर में रूसी अंतरिक्ष प[प्रोग्राम को सेना के कड़े विरोध का सामना भी करना पड़ा था। दरअसल, सेना का मानना था की मानव यान परीक्षण फ़िज़ूलख़र्ची और समय एवं संसाधनों की बर्बादी है। उन्हें इस मिशन में कतई दिलचस्पी नहीं थी। उस समय रूस का धुर प्रतिद्व्न्दी अमरीका भी अंत्तरिक्ष मिशन की तैयारियों में जुटा था। ऐसे में रूसी वैज्ञानिक उनसे आगे निकलने का कोई अवसर नहीं छोड़ना चाहते थे।