धरती से इसके टकराने पर भयंकर तबाही हो सकती है। क्योंकि ये करीब 6.5 फीट लंबा है। इतने बड़े आकार के एस्ट्रॉयड की टक्कर से भयानक तूफान (Massive Storm) और प्रलय (Devastation) आ सकती है। हालांकि इस बार इसकी संभावना काफी कम है। क्योंकि धरती की तरफ इसके आने की आशंका सिर्फ 0.41 फीसदी है। अगर ये धरती के करीब आ भी जाता है तो इसकी गति धीमी हो जाएगी जिससे ये सीधे नहीं टकरा सकेगा। इसलिए डरने की जरूरत नहीं है।
मगर उल्कापिंड के घूमने की गति पर वैज्ञानिक लगातार नजर बनाए हुए है, जिससे कोई अनहोनी न हो। मालूम हो कि इससे पहले यह एस्टेरॉयड 1970 में धरती के बेहद करीब से निकला था। साल 2018 के नवंबर महीने में भी यह धरती के बगल से निकला था। यह अपने सूरज के चारों तरफ चक्कर लगाते हुए हमारे वायुमंडल को छूकर गुजरा था। इसकी दूरी कम से कम 4800 किलोमीटर थी। वैज्ञानिकों के मुताबिक अगर यही उल्कापिंड वायुमंडल को पार करके आ जाए तो धरती के लिए खतरा साबित हो सकते हैं। क्योंकि इनकी वजह से विनाश की स्थिति पैदा हो सकती है। नासा के जेट प्रोपल्शन लेबोरेटरी स्थित सेंटर फॉर नीयर अर्थ ऑब्जेक्ट्स स्टडीज के निदेशक पॉल चोडस का कहना है कि छोटे आकार के एस्टेरॉयड्स को खोजना एक बड़ी उपलब्धि के समान है। क्योंकि ये बहुत तेजी से धरती के बगल से निकल जाते हैं। कई बार इनके गुजरने का पता भी नहीं चल पाता है।