साम्राज्य की इस लड़ाई में वह अपनी मां को ही चुनौती दे रही है। शुक्रवार को उनके बीच करीब दस मिनट तक टरेटरी को लेकर संघर्ष चला। कभी मां तो कभी बेटी एक-दूसरे पर वार करती रही। जोर-जोर से दहाड़ कर एक दूसरे को ललकारती रही। पर्यटक रोमांचित हो उठे।
बेटी रिद्धि ने फिर टेके घुटने
इस भिड़ंत में भी मां एरोहेड का अनुभव बेटी रिद्धि पर भारी पड़ा। मां से भिड़ंत में हारकर पहले तो बाघिन रिद्धि जमीन पर बैठ गई। इसके कुछ देर बाद रिद्धि पदम तालाब होते हुए जोगी महल क्षेत्र में बड़े गेट के पास झाडिय़ो में ओझल हो गई। इससे पहले आठ अक्टूबर को भी दोनों के बीच जोन नम्बर तीन में ही भिड़न्त हुई थी। इसमें भी बेटी रिद्धि को मुंह की खानी पड़ी थी।
इस भिड़ंत में भी मां एरोहेड का अनुभव बेटी रिद्धि पर भारी पड़ा। मां से भिड़ंत में हारकर पहले तो बाघिन रिद्धि जमीन पर बैठ गई। इसके कुछ देर बाद रिद्धि पदम तालाब होते हुए जोगी महल क्षेत्र में बड़े गेट के पास झाडिय़ो में ओझल हो गई। इससे पहले आठ अक्टूबर को भी दोनों के बीच जोन नम्बर तीन में ही भिड़न्त हुई थी। इसमें भी बेटी रिद्धि को मुंह की खानी पड़ी थी।
रणथम्भौर का सबसे खूबसूरत एवं रणथम्भौर की ‘राजस्थली’ अगर किसी ऐरिए को कहा जाता है तो वह है कि जोन नम्बर तीन का राजबाग क्षेत्र। ये क्षेत्र रणथम्भौर का ताज जैसा ही है। प्रकृति से भरपूर आबाद इस क्षेत्र में झीलें, एनिकट, टाइगर साइटिंग की सपाट जगह है, जो देखते ही भाती है।
‘मछली’ ट्री का रहा कब्जा
रणथम्भौर राजस्थली पर सबसे ज्यादा राज दुनिया की सबसे प्रसिद्ध व उम्रदराज बाघिन रही मछली व उसकी संतानों ने किया है। सबसे पहले मछली को उसकी ही बेटी कृष्णा ने युवा होने के बाद बाघिन मछली को इस इलाके से खदेड़ दिया था। वहीं बाघिन कृष्णा ने 2014 में बेटी ऐरोहेड को जन्म दिया। लेकिन जब दो साल बाद ऐरोहेड बड़ी हुई तो उसने भी इतिहास को दोहराया। ऐरोहेड भी अपनी मां कृष्णा को इस इलाके से बेदखल कर अपना कब्जा जमा लिया। अब वही इतिहास रिद्धि दोहरा रही है। वह अपनी मां ऐरोहेड को अपनी ताकत दिखा इलाके से बेदखल कर अपना साम्राज्य बनाना चाहती है। वन्यजीव प्रेमियों में ये उत्सुकता है कि रिद्धि भी ऐसा ही इतिहास दोहराएगी या नहीं।
रणथम्भौर राजस्थली पर सबसे ज्यादा राज दुनिया की सबसे प्रसिद्ध व उम्रदराज बाघिन रही मछली व उसकी संतानों ने किया है। सबसे पहले मछली को उसकी ही बेटी कृष्णा ने युवा होने के बाद बाघिन मछली को इस इलाके से खदेड़ दिया था। वहीं बाघिन कृष्णा ने 2014 में बेटी ऐरोहेड को जन्म दिया। लेकिन जब दो साल बाद ऐरोहेड बड़ी हुई तो उसने भी इतिहास को दोहराया। ऐरोहेड भी अपनी मां कृष्णा को इस इलाके से बेदखल कर अपना कब्जा जमा लिया। अब वही इतिहास रिद्धि दोहरा रही है। वह अपनी मां ऐरोहेड को अपनी ताकत दिखा इलाके से बेदखल कर अपना साम्राज्य बनाना चाहती है। वन्यजीव प्रेमियों में ये उत्सुकता है कि रिद्धि भी ऐसा ही इतिहास दोहराएगी या नहीं।
वन विभाग बोला…ये वाइल्ड लाइफ की सामान्य प्रक्रिया
ये वाइल्ड लाइफ की सामान्य प्रक्रिया है। जो ताकतवर है, वह जंगल पर राज करता है। यहां भी टरेट्री की जंग है। ऐरोहेड व कृष्णा का संघर्ष ही तय करेगा कि इस टरेट्री पर कौन राज करेगा। फिलहाल वन विभाग पूरी निगरानी कर रहा है।
संजीव शर्मा, सहायक वन संरक्षक, रणथम्भौर राष्ट्रीय उद्यान, सवाईमाधोपुर
ये वाइल्ड लाइफ की सामान्य प्रक्रिया है। जो ताकतवर है, वह जंगल पर राज करता है। यहां भी टरेट्री की जंग है। ऐरोहेड व कृष्णा का संघर्ष ही तय करेगा कि इस टरेट्री पर कौन राज करेगा। फिलहाल वन विभाग पूरी निगरानी कर रहा है।
संजीव शर्मा, सहायक वन संरक्षक, रणथम्भौर राष्ट्रीय उद्यान, सवाईमाधोपुर