सिवनी में बागरी सामान्य
जानकारी के अनुसार वंदना बागरी को जो अनुसूचित जाति का प्रमाण पत्र बनाया गया है उसमें वंदना बागरी पुत्री भोगेन्द्र बागरी (पिता) एवं सुदामा बागरी (माता) नगर सतना तहसील रघुराजनगर जिला सतना मध्यप्रदेश बागरी जाति की सदस्य बताया गया है। जबकि भोगेन्द्र बागरी का मूल निवास सिवनी जिले में है। इसके साथ ही राज्य शासन की उच्च स्तरीय जांच कमेटी ने भी यह स्पष्ट किया हुआ है कि सिवनी जिले के बागरी अनुसूचित जाति में नहीं आते हैं। इस मामले को सदस्य संचालक आदिम जाति अनुसंधान जाति विषय विशेषज्ञ संस्था म.प्र. भोपाल एवं सचिव अनुसूचित जाति आयोग म.प्र. शासन भी यह स्पष्ट कर चुके है। पुलिस अधीक्षक सिवनी ने 23 जुलाई 2018 को अपने जांच प्रतिवेदन में भी स्पष्ट रूप से लिखा है कि सिवनी जिले में निवासरत बागड़ी/बागरी जाति अश्यपृश्यता से ग्रसित नहीं है। उन्हें अनुसूचित जाति की सुविधाएं प्रदान करने का कोई औचित्य नहीं है। आदिम जाति एवं अनुसूचित जाति कल्याण विभाग के पत्र क्रमांक एफ 23-55/98/25/04 भोपाल 14 जुलाई 2003 में भी इस बात को स्पष्ट किया जा चुका है। लिहाजा इस आधार पर वंदना बागरी का रघुराजनगर तहसील से जारी किया गया अनुसूचित जाति का जाति प्रमाण पत्र अब सवालों में घिर गया है।
जानकारी के अनुसार वंदना बागरी को जो अनुसूचित जाति का प्रमाण पत्र बनाया गया है उसमें वंदना बागरी पुत्री भोगेन्द्र बागरी (पिता) एवं सुदामा बागरी (माता) नगर सतना तहसील रघुराजनगर जिला सतना मध्यप्रदेश बागरी जाति की सदस्य बताया गया है। जबकि भोगेन्द्र बागरी का मूल निवास सिवनी जिले में है। इसके साथ ही राज्य शासन की उच्च स्तरीय जांच कमेटी ने भी यह स्पष्ट किया हुआ है कि सिवनी जिले के बागरी अनुसूचित जाति में नहीं आते हैं। इस मामले को सदस्य संचालक आदिम जाति अनुसंधान जाति विषय विशेषज्ञ संस्था म.प्र. भोपाल एवं सचिव अनुसूचित जाति आयोग म.प्र. शासन भी यह स्पष्ट कर चुके है। पुलिस अधीक्षक सिवनी ने 23 जुलाई 2018 को अपने जांच प्रतिवेदन में भी स्पष्ट रूप से लिखा है कि सिवनी जिले में निवासरत बागड़ी/बागरी जाति अश्यपृश्यता से ग्रसित नहीं है। उन्हें अनुसूचित जाति की सुविधाएं प्रदान करने का कोई औचित्य नहीं है। आदिम जाति एवं अनुसूचित जाति कल्याण विभाग के पत्र क्रमांक एफ 23-55/98/25/04 भोपाल 14 जुलाई 2003 में भी इस बात को स्पष्ट किया जा चुका है। लिहाजा इस आधार पर वंदना बागरी का रघुराजनगर तहसील से जारी किया गया अनुसूचित जाति का जाति प्रमाण पत्र अब सवालों में घिर गया है।
कांग्रेस करेगी अध्ययन
चूंकि वंदना बागरी ने रैगांव विधानसभा से अपनी दावेदारी प्रस्तुत की हुई है। लिहाजा प्रमुख विपक्षी दल कांग्रेस की इस जाति प्रमाण पत्र पर नजर गड़ गई है। जिलाध्यक्ष दिलीप मिश्रा ने कहा है कि वे इस प्रमाण पत्र का अवलोकन करने के बाद सिवनी जिले से जानकारी लेकर विस्तृत अध्ययन करेंगे। अगर जाति प्रमाण पत्र फर्जी तरीके से जारी किया गया है तो इसकी विस्तृत जांच की मांग करेंगे। जिले में प्रशासन भाजपा के लिये काम कर रहा है। उसे नियमों से कोई सरोकार नजर नहीं आ रहा है।
चूंकि वंदना बागरी ने रैगांव विधानसभा से अपनी दावेदारी प्रस्तुत की हुई है। लिहाजा प्रमुख विपक्षी दल कांग्रेस की इस जाति प्रमाण पत्र पर नजर गड़ गई है। जिलाध्यक्ष दिलीप मिश्रा ने कहा है कि वे इस प्रमाण पत्र का अवलोकन करने के बाद सिवनी जिले से जानकारी लेकर विस्तृत अध्ययन करेंगे। अगर जाति प्रमाण पत्र फर्जी तरीके से जारी किया गया है तो इसकी विस्तृत जांच की मांग करेंगे। जिले में प्रशासन भाजपा के लिये काम कर रहा है। उसे नियमों से कोई सरोकार नजर नहीं आ रहा है।
भाजपा ने साधी चुप्पी
इस मामले के उजागर होते ही भाजपा खेमे में चुप्पी छा गई है। हालांकि भाजपा ने पहले ही दावेदारों की कुण्डलियां खंगाली थी। जिसमें वंदना बागरी की जाति को लेकर संदेह था। जिसकी जानकारी प्रदेश स्तर तक दी जा चुकी है। लेकिन अब जब उपचुनाव सिर पर है ऐसे में यह जाति प्रमाण पत्र जारी होना सरकार को घेरता नजर आ रहा है।
इस मामले के उजागर होते ही भाजपा खेमे में चुप्पी छा गई है। हालांकि भाजपा ने पहले ही दावेदारों की कुण्डलियां खंगाली थी। जिसमें वंदना बागरी की जाति को लेकर संदेह था। जिसकी जानकारी प्रदेश स्तर तक दी जा चुकी है। लेकिन अब जब उपचुनाव सिर पर है ऐसे में यह जाति प्रमाण पत्र जारी होना सरकार को घेरता नजर आ रहा है।
मामला कमलनाथ तक पहुंचा
उधर यह भी जानकारी मिली है कि कांग्रेस खेमे से कुछ लोगों ने इस प्रमाम पत्र को पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ तक पहुंचा दिया है। साथ ही इस मामले में प्रशासन की भूमिका पर भी सवाल खड़े किये गये हैं।
उधर यह भी जानकारी मिली है कि कांग्रेस खेमे से कुछ लोगों ने इस प्रमाम पत्र को पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ तक पहुंचा दिया है। साथ ही इस मामले में प्रशासन की भूमिका पर भी सवाल खड़े किये गये हैं।
यह आई सफाई
उधर इस मामले में वंदना बागरी की ओर से सफाई आई है कि उनका जाति प्रमाण पत्र पूरी तरह से सही है। सिवनी में भी उनका अनुसूचित जाति का प्रमाण पत्र बना था। जिले में भी पहले हस्तलिखित अनुसूचित जाति का प्रमाण-पत्र बना है। इसी के आधार पर इसे डिजिटल किया गया है। इसमें कहीं कोई गलती नही है। ट
उधर इस मामले में वंदना बागरी की ओर से सफाई आई है कि उनका जाति प्रमाण पत्र पूरी तरह से सही है। सिवनी में भी उनका अनुसूचित जाति का प्रमाण पत्र बना था। जिले में भी पहले हस्तलिखित अनुसूचित जाति का प्रमाण-पत्र बना है। इसी के आधार पर इसे डिजिटल किया गया है। इसमें कहीं कोई गलती नही है। ट
सरकारी महकमे में खलबली
यह मामला सामने आने के बाद सरकारी महकमें में भी खलबली मच गई है। कलेक्ट्रेट में इस बात की दिनभर चर्चा रही। बताया गया है कि आला अधिकारी ने इस मामले के सामने आने के बाद पूरी जानकारी तलब की है। संकेत दिये गये हैं कि जल्द ही इस मामले में ठोस निर्णय लिया जाएगा।
यह मामला सामने आने के बाद सरकारी महकमें में भी खलबली मच गई है। कलेक्ट्रेट में इस बात की दिनभर चर्चा रही। बताया गया है कि आला अधिकारी ने इस मामले के सामने आने के बाद पूरी जानकारी तलब की है। संकेत दिये गये हैं कि जल्द ही इस मामले में ठोस निर्णय लिया जाएगा।