डॉक्टर ने युवती की हत्या कर क्लीनिक के बगल में दफनाया शव

पुलिस जांच में दो महीने बाद खुला हत्या का राज, लापता बेटी की तलाश में परेशान था परिवार, सिटी कोतवाली के धवारी इलाके का मामला, कार्यपालिक मजिस्ट्रेट की मौजूदगी में निकाला शव

<p>Doctor killed the woman and buried the body next to the clinic</p>
सतना. शहर कोतवाली इलाके के धवारी मोहल्ले में दन्त चिकित्सालय चलाने वाले एक डॉक्टर ने अपने ही क्लीनिक में काम करने वाली युवती को मौत के घाट उतार दिया। गला घोंटकर हत्या करने के बाद डॉक्टर ने क्लीनिक के बगल से ही मजदूरों से गड्ढा खुदवाया और रात के अंधेरे में शव दफन कर दिया। इसका राज तब खुला जब 14 दिसंबर 2020 से अपनी बेटी की तलाश में भटक रहे परिवार ने पुलिस के पास गुमशुदगी दर्ज कराई। पुलिस ने कुछ दिनों पहले ही मामले की जांच शुरू की थी। युवती के कॉल डिटेल से पहला संदेह डॉक्टर पर गया और जब पुलिस ने बारीकी से पूछताछ की तो उसने हकीकत बयां करते हुए जुर्म कबूल कर लिया। डॉक्टर की निशादेही पर ही पुलिस उसके क्लीनिक के पास पहुंची जहां कार्यपालिक मजिस्ट्रेट की मौजूदगी में खनन कराते हुए शव बरामद कर लिया गया। मृतका की पहचान धवारी के मल्लाहन टोला में रहने वाले राम नरेश केवट की पुत्री भानु केवट (24) के रूप में की गई है। वह धवारी में कलेक्ट्रेट रोड स्थित डॉ. आशुतोष त्रिपाठी के फैमिली दंत चिकित्सालय में काम करती थी।
डेढ़ महीने बाद गुमशुदगी दर्ज
बताते हैं कि भानू के परिजन डॉ. आशुतोष त्रिपाठी से भानू के बारे में लगातार पूछताछ कर रहे थे। लेकिन डॉक्टर सही जवाब नहीं दे रहा था कि भानू आखिर कहां गई। 14 दिसंबर से परेशान होते हुए परिजनों ने सिटी कोतवाली में 1 फरवरी को भानू की गुमशुदगी दर्ज कराई। गुमशुदगी दर्ज होने के बाद पुलिस अधीक्षक को भी कार्रवाही के लिए पत्र दिया गया। पुलिस ने जब अपने तरीके से डॉ. आशुतोष त्रिपाठी से पूछताछ की तब भानु की हत्या का सनसनीखेज खुलासा हुआ।
एलएलबी कर रही थी मृतका
पता चला है कि रामनरेश एवं रुकमीना केवट की पांच संतानों में रानू, भानू, आरती, लक्ष्मी और एक पुत्र सागर है। रानू और आरती की शादी हो चुकी है। चार बहनों में दूसरे नंबर की भानू शहर के एक निजी महाविद्यालय में विधि स्नातक की छात्रा थी जो अपनी पढ़ाई के खर्च एवं निजी जरूरतों के लिए डॉ. आशुतोष त्रिपाठी के क्लीनिक में 3000 रुपए प्रतिमाह पर नौकरी करती थी।
खुद छोडऩे जाता था डॉक्टर
मृतका के परिजनों के बताए अनुसार, भानू करीब 2 साल से डॉ. आशुतोष त्रिपाठी के फैमिली दंत चिकित्सालय में सहायक के तौर पर काम कर रही थी। प्रतिदिन सुबह 10 बजे ड्यूटी के लिए घर से जाती थी और दोपहर में खाना खाने घर आती थी। भोजन अवकाश के बाद जब वह दोबारा ड्यूटी पर जाती थी तो रात करीब 9 बजे डॉक्टर त्रिपाठी खुद उसे छोडऩे घर आया करते थे। 14 दिसंबर 2020 को दोपहर बाद भानू घर से क्लीनिक के लिए निकली लेकिन रात में घर नहीं लौटी तब डॉ. आशुतोष त्रिपाठी से संपर्क किया गया। लेकिन उन्होंने इस बारे में कोई जानकारी होने से मना कर दिया। लगातार जब डॉक्टर से कई दिनों तक भानू के बारे में पूछताछ की गई तो एक दिन उन्होंने कहा कि उसने 6000 रुपए लेकर नौकरी छोड़ दी है और कहीं अलग कमरा ले लिया है। यह भी बताया कि उसने फोन नंबर बदल दिया है। जिसकी उन्हें कोई जानकारी नहीं है। डॉक्टर त्रिपाठी के जवाब से असंतुष्ट होने पर ही भानु के लापता होने की जानकारी पुलिस को दी गई।
750 सेकेंड फोन पर बात
सूत्र बताते हैं कि डेंटल डॉ. आशुतोष त्रिपाठी से पुलिस ने जब पूछताछ शुरू की तो वह गोलमोल जवाब देते रहे लिहाजा पुलिस ने संदेह होने पर भानू के मोबाइल की जांच शुरू कराई। जिसमें पता चला कि आखरी बार भानू की डॉ. त्रिपाठी के मोबाइल नंबर पर 750 सेकंड बात हुई थी। पुलिस ने जब इस बारे में डॉ. आशुतोष त्रिपाठी को कुरेदना शुरू किया तो पता चला कि उसके क्लीनिक के बगल से ही भानू के शव को दफन किया गया है।
डॉक्टर के पिता हैं लेक्चरर
धवारी गली नंबर 1 चांदमारी रोड मंगल भवन के पास रहने वाले डॉ. आशुतोष त्रिपाठी (32) शासकीय कन्या धवारी विद्यालय में पदस्थ अंग्रेजी विषय के व्याख्याता नरेंद्र त्रिपाठी के पुत्र हैं। आशुतोष के बड़े भाई अभिषेक त्रिपाठी छत्तीसगढ़ प्रांत के रायपुर स्थित एक रियल एस्टेट ग्रुप में फाइनेंस मैनेजर के पद पर कार्यरत बताए जाते हैं। इन दो भाइयों की एक बहन भी हैं। आरोप है कि डॉ. आशुतोष त्रिपाठी ने भानू की हत्या करने के बाद साक्ष्य छिपाने का प्रयास किया है।
अगले दिन शव के ऊपर दफनाया कुत्ता
घटना के संबंध में जो जानकारी सामने आ रही है उसके मुताबिक, 14 दिसंबर 2020 की दोपहर 3:30 से 3:45 के बीच भानू डॉ. त्रिपाठी के क्लीनिक पर पहुंची। करीब 5 मिनट बाद ही वह कहीं चली गई। दोबारा लगभग डेढ़ घंटे बाद क्लीनिक आई। इसके बाद उसे किसी ने नहीं देखा। पुलिस अधिकारियों के मुताबिक क्लीनिक के अंदर दुपट्टे से गला घोंट कर भानू की हत्या की गई। रात भर शव को क्लीनिक में रखा गया। 15 दिसंबर को मजदूर बुलाकर क्लीनिक और सुलभ कांप्लेक्स के पास बड़ा गड्ढा खुदवाया गया। भानू का शव रात के सन्नाटे में गड्ढे में दफन कर ऊपर से नमक डाल दिया गया। पुलिस और लोगों कों भ्रमित करने के लिए लाश के ऊपर मरा कुत्ता भी रखकर दफना दिया गया ताकि र्दुगंध फैलने पर लोगों को कुत्ते के मरने की ही जानकारी हो।
तहकीकात में जुटी पुलिस
सिटी कोतवाली पुलिस इस मामले की तहकीकात कर रही है। फिलहाल प्रमुख संदेही के तौर पर डॉ. आशुतोष त्रिपाठी को गिरफ्तार कर लिया गया है। पूछताछ के बाद ही खुलासा होगा कि इस कत्ल की वजह क्या है। पुलिस यह भी पता लगाने का प्रयास कर रही है कि इस सनसनीखेज अपराध में कितने लोग शामिल हैं। शुरुआती जांच में पुलिस को आशंका है कि भानू और डॉक्टर त्रिपाठी के बीच किसी बात पर बड़ी बहस इस हत्या की वजह हो सकती है। यहां बता दें कि शनिवार 20 फरवरी को शव दफन होने की जानकारी मिलने के बाद जिला एवं पुलिस प्रशासन के अधिकारी संयुक्त रूप से घटनास्थल पर पहुंचे। जांच के दौरान आसपास के रास्तों को सील कर दिया गया। नगर निगम के श्रमिक राजनारायण रैकवार, कल्लू राम, रवि करण एवं बसंत को खनन कार्य में लगा कर शव को बाहर निकाला गया। इस दौरान तहसीलदार अनुराधा सिंह, नायब तहसीलदार हिमांशु भलावी, नगर पुलिस अधीक्षक विजय प्रताप सिंह परिहार, निरीक्षक अर्चना द्विवेदी, यातायात थाना प्रभारी राजेंद्र सिंह राजपूत एवं पुलिस लाइन का बल मौजूद रहा।
दोनों के बीच थे संबंध
शव खनन के दौरान यह बात चर्चा में रही कि आरोपी डॉक्टर ने अपने यहां काम करने वाली युवती से गहरे संबंध बना रखे थे और किसी बात को लेकर मृतका धमकाने लगी थी। 14 दिसंबर को भी पहली बार जब भानू क्लीनिक पहुंची तो धमकी देकर चली गई थी।
गले में फंसा था दुपट्टा
बताया जा रहा है कि जो शव बरामद किया गया है उसके बदन पर एक दुपट्टा समेत निचले वस्त्र मौजूद थे। दुपट्टा गले में पुंसा था और कमर केे नीचे लोवर या पायजामा था। केवट परिवार ने शव की पहचान भानू के रूप में की है लेकिन इसकी आधिकारिक पुष्टि के लिए पुलिस डीएनए टेस्ट कराएगी।
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