सतना

बहुचर्चित जुड़वा भाइयों के अपहरण व हत्या मामले में दोषियों पर आरोप तय, सभी को आजीवन कारावास

-फरवरी 2019 की है घटना-सभी आरोपी केंद्रीय कारागार में हैं बंद-एक आरोपी कर चुका है खुदकुशी

सतनाJul 26, 2021 / 05:30 pm

Ajay Chaturvedi

जुड़वा भाई श्रेयांश और प्रियांश जिनका अपहरण कर हत्या कर दी गई थी

सतना. जुड़वा भाइयों के अपहरण व हत्या के चित्रकूट के बहु चर्चित केस की सुनवाई पूरी हो चुकी है। अदालत ने सभी पांच आरोपियों को दोषी करार दे दिते हुए सभी को आजीवन कारावास की सजा सुनाई है। बता दें कि फरवरी 2019 में जुड़वा भाई श्रेयांश और प्रियांश का स्कूल बस से अपहरण करके उनकी हत्या कर दी गई थी। इतना ही नहीं इस ममले में अपहरणकर्ताओं ने अपहृत जुड़वा भाइयों के मामले में उनके परिजनों से फिरौती भी वसूल की थी। यह प्रकरण पूरे देश में चर्चित हुआ था।
बहुचर्चित एवं सनसनीखेज अपराध जुड़वा मासूम हत्याकांड के मामले में (एंटी डकैती कोर्ट) सतना मध्य प्रदेश की अदालत ने सभी पांच आरोपितों को दोषी पाते हुए दोयम आजीवन कारावास की सजा सुनाई है। इनमें तीन आरोपित पदमकांत, राजू और लकी को धारा 302, 364 ए, और 328, 201, 120 बी भादवि, 25/27 आयुध अधिनियम एवं 11/13 एडी एक्ट के तहत दोषी पाते हुए तीन लाख 20 हजार रुपये जुर्माना भी लगाया गया। वहीं आरोपित विक्रमजीत सिंह और अपूर्व उर्फ पिंटा यादव को धारा 120बी, 364 ए, 328, 25/27 आयुध अधिनियम एवं 11/13 एडी एक्ट के तहत दोषी पाते हुए सजा सुनाई गई है।
घटना 12 फरवरी 2019 की है जब सद्गुरु सेवा संघ ट्रस्ट से बदमाशों ने कर्वी कोतवाली की सीतापुर पुलिस चौकी अंतर्गत रामघाट निवासी तेल व्यापारी बृजेश रावत के दो मासूम बेटे श्रेयांश और प्रियांश का स्कूल बस से असलहे की नोक पर अपहरण कर लिया था। इतना ही नहीं, बदमाशों ने दोनों भाइयों की हत्या भी कर दी। फिर 20 लाख रुपये फिरौती तक वसूल ली थी। चार दिन बाद दोनों के शव उत्तर प्रदेश के बांदा जिला में यमुना नदी में मिले थे।
हत्याकांड में चित्रकूट के नयागांव थाने में पांच आरोपियों पदमकांत शुक्ला पुत्र रामकरण निवासी जानकीकुंड रघुवीर मंदिर के पास, राजू द्विवेदी पुत्र राकेश द्विवेदी निवासी भभुआ बांदा, आलोक उर्फ लकी तोमर पुत्र सत्येंद्र सिंह निवासी तेंदुरा बांदा, विक्रम जीत पुत्र प्रहलाद सिंह निवासी जमुई, बिहार और अपूर्व उर्फ पिटा यादव पुत्र रामनरेश मौदहा हमीरपुर के खिलाफ मामला दर्ज है। सभी आरोपी केंद्रीय जेल में बंद हैं, जबकि एक आरोपित रामकेश पुत्र रामचरण यादव निवासी चित्रकूट, जेल में ही फांसी लगा कर खुदकुशी कर चुका है। यह जब घटना हुई थी तो प्रदेश में कांग्रेस सरकार थी और तब इस वारदात को लेकर सरकार की देशभर में बड़ी आलोचना हुई थी।
यह फैसला शाम 5 बजे आया। दरअसल आरोपी लकी तोमर की ओर से लिखित तर्क के लिए 6 जुलाई 2021 को अदालत के समक्ष आवेदन के प्रस्तुत किया गया था। अदालत ने 26 जुलाई 2021 की तारीख फैसले के लिए नियत की थी। कोर्ट में दिन भर चली सुनवाई के दौरान बचाव पक्ष के अधिवक्ता ने दोषी साबित पाए जाने के पश्चात सजा पर बहस के दौरान आरोपियों को कम से कम दंड देने की अपील की। वहीं अभियोजन ने अपने मामले को विरल से विरलतम साबित करने के लिए बहस करते हुए उच्चतम न्यायालय के कई न्यायिक दृष्टांत प्रस्तुत किए और आरोपितों को फांसी की सजा दिए जाने की मांग की।
इस मामले की सुनवाई सतना जिले के एंटी डकैती कोर्ट के विशेष न्यायाधीश प्रदीप सिंह कुशवाहा की अदालत में हुई। लगभग 26 माह बाद इस बहुचर्चित मामले का फैसला आ रहा है। अतिरिक्त अभियोजन अधिकारी (एडीपीओ) धर्मेंद्र प्रताप सिंह और फरियादी तेल कारोबारी बृजेश रावत के अधिवक्ता रामरूप पटेल के अनुसार कोर्ट में अपराध सिद्ध पाए जाने के बाद अदालत से आरोपियों को फांसी की सजा की मांग की जाएगी।
इसी दौरान प्रकरण के फरियादी मृतक बच्चों के पिता बृजेश रावत ने भी रोते हुए यह अपील की थी कि आरोपियों को फांसी की सजा दी जाए। लेकिन आजीवन कारावास होने पर उन्होंने दुख प्रकट करते हुए आगे भी फांसी की सजा दिलाने के लिए उच्च न्यायालय में जाने कहा है। इस मामले में मप्र राज्य शासन की ओर नियमित कैडर के वरिष्ठ सहायक जिला अभियोजन अधिकारी धर्मेंद्र सिंह ने शासन का पक्ष रखा। वहीं आरोपी पक्ष के अधिवक्ता सुरेंद्र सिंह ने भी दोयम आजीवन कारावास की सजा को फांसी से भी बड़ी करार देते हुए जिला न्यायालय के आदेश के खिलाफ उच्च न्यायालय जाकर सजा कम कारने की मांग किए जाने की बात कही।

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