कोरोना काल में सेल्फ स्टडी से पाए विद्यार्थियों ने अच्छे अंक, 200 से ज्यादा विद्यार्थियों को मिले 90 फीसदी से अधिक अंक

छात्रा नियती जैन ने 98.2 प्रतिशत के साथ हासिल की सफलता

सागर.कक्षा दसवीं के परीक्षा परिणाम से ही बच्चे अपने करियर के लिए पसंदीदा विषय का चयन कर आगे बढ़ते हैं। कक्षा दसवीं की बोर्ड परीक्षा तो नहीं हुई, लेकिन फिर भी बच्चों ने आनलाइन कक्षाओं के दौरान भी अपनी हर एक परीक्षा पर बेहतर प्रदर्शन करने की कोशिश की। मंगलवार को परिणाम आते ही ब’चों में उत्साह देखने को मिला। बच्चे अपने परिणाम को लेकर काफी खुश नजर आए। रिजल्ट अच्छा आया है। शहर के तमाम स्कूलों के परिणाम 100 फीसदी रहे हैं। परीक्षा परिणाम बच्चों की पहले की परफॉर्मेंस और इंटरनल माक्र्स के आधार पर तैयार किया गया।
मंगलवार को दोपहर 12 बजे आए परिणाम को लेकर सभी स्कूलों ने आनलाइन रिजल्ट निकाला और स्कूल के सर्वश्रेष्ठ अंक प्राप्त करने वाले विद्यार्थियों को सराहा। जिले में करीब 200 विद्यार्थियों ने 90 प्रतिशत से अधिक अंक प्राप्त किए। टॉप करने वाले छात्रों ने माना कि मुश्किल समय में उनकी सेल्फ स्टडी की आदत उनके लिए फायदेमंद रही। ऑनलाइन भी मन लगाकर पढ़ाई की।
स्कूल टॉपर से बात नियती जैन/ 98.3

सेल्फ स्टडी से मिली सफलता

कान्वेंट स्कूल की छात्रा नियती जैन ने 98.3 अंक हासिल की है। नियती नेज्ञ रोग विशेष डॉ. सर्वेश जैन और स्मिता जैन की बेटी हैं। उन्होंने बताया कि उन्होंने प्रीबोर्ड परीक्षा के लिए बोर्ड जैसी ही तैयारी की थी। 3-3 घंटे तक सैंपल पेपर हल किए थे। स्कूल खुले नहीं होने के कारण से खुद ही पढऩा होता था। ऐसे में पहले तो खुद से नियम तय किए और फिर वाट्सऐप पर लगातार अपने साथी स्टूडेंट्स और टीचर के संपर्क में रही। पढ़ाई के दौरान जब भी कुछ समझ नहीं आता था, तो अपने शिक्षक से पूछती थी। इसी तरह लगातार सभी के संपर्क में रहने का फायदा मिला। कान्वेंट स्कूल में दूसरे स्थान शुभ जैन 97 और स्पर्श जैन 96.8 प्रतिशत के साथ रहे।
मन लगाकर की ऑनलाइन पढ़ाई
कार्तिकेय दुबे, शमीन रेजा, वैष्णवी उपाध्याय/ 96.6
आर्मी स्कूल में कार्तिकेय दुबे, शमीम रेजा और वैष्णवी उपाध्याय ने 96.6 प्रतिशत हासिल की। तीनों विद्यार्थियों ने ऑनलाइन पढ़ाई मन लगाकर की और सफलता का श्रेय अभिभावकों को दिया। कार्तिकेय ने बताया कि उनकी मां ज्योति दुबे से मदद मिली। वहीं वैष्णवी उपाध्याय ने बताया कि उनके माता-पिता दोनों ही शिक्षा विभाग हैं। जिन्होंने कोरोना संकट के समय मुझे पढ़ाई के लिए गाइड किया। वैष्णवी ने बताया कि उनके पिता बृजेश उपाध्याय शिक्षा विभाग में लेखापाल हैं और लक्ष्मी उपाध्याय शासकीय स्कूल में शिक्षक हैं।
माता-पिता ने पढ़ाया
शंशाक परचुरे/95.0
केंद्रीय विद्यालय मे शंशाक परचुरे प्रथम स्थान पर रहे। शंशाक ने बताया कि उनके पिता डॉ. हरीसिंह गौर विवि के जनसंख्या अनुसंधान केंद्र में अन्वेशक हैं। वहीं मां पौर्णिमा परचुरे गृहणी हैं। गोपालगंज निवासी परचुरे ने बताया कि पढ़ाई के लिए कोई कोचिंग नहीं की। परचुरे ने बताया घर उन्हें उनके माता-पिता ने पढ़ाया। परचुरे ने कहा कि यदि परीक्षा होती तब भी बेहतर अंक लाने की कोशिश थी। एमपी बोर्ड की तरह सीबीएसइ बोर्ड के लिए भी अब ऑफलाइन स्कूल लगाना चाहिए ताकि हम आसानी से पढ़ाई कर सकें।
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