ये बताए जाते हैं संवेदनशील विषय
आवासीस योजना: प्रधानमंत्री आवास योजना के बीएलसी घटक, आईएचएसडीपी, राजीव आवास योजना, हाऊसिंग फॉर ऑल जैसे योजनाओं में क्या चल रहा है और उनसे वास्तवित हितग्राही कितने दूर हैं, इस पर परिषद में विस्तार से चर्चा होनी चाहिए।
सीवर प्रोजेक्ट: लक्ष्मी सिविल इंजीनियरिंग नाम की एजेंसी मनमाने ढंग से काम कर रही है। क्रॉस वैरीफिकेशन के लिए निगम के एक भी इंजीनियर को फुरसत नहीं है। झील के चारों ओर सबसे पहले पाइपलाइन बिछाने का काम शुरू किया जाना था लेकिन एजेंसी कहां पर कार्य कर रही है, इसकी जानकारी जिम्मेदारों को नहीं है। हालात यह है कि सिर्फ आंख बंद करके भुगतान हीं किया जा रहा है।
राजघाट: इस पेयजल परियोजना को निगम प्रशासन ने हौआ बनाकर रख दिया है। परिषद के अस्तित्व में आने के बाद से आज तक कैमिस्ट की नियुक्ति नहीं हो पाई है। परमार का आरोप है कि विपक्ष ने कई बार इस परियोजना के संचालन के लिए विस्तृत कार्ययोजना बनाने की मांग की लेकिन महापौर अभय दरे व सत्ता पक्ष इससे भागते आ रहे हैं।
संपत्ति कर: तीन सालों से मामला विवादित है। निगम को भारी राजस्व की क्षति हो रही है। इसके बावजूद इस मामले को निपटाने में अब तक पूरी परिषद असफल साबित हुई है। इस वर्ष के संपत्ति कर का निर्धारण भी नहीं हो पाया है जबकि वित्तीय वर्ष-2018-19 आधे से ज्यादा गुजर चुका है।
जिम्मेदार बोले
विपक्ष ने अपनी भूमिका निभाने में कभी कोई कोर-कसर नहीं छोड़ी। परिषद की बैठक में ही मैंने खुद कहा है कि शहरहित में महीने में दो बैठक बुलाएं ताकि एक भी मामला लंबित न रहे।
अजय परमार, नेता प्रतिपक्ष नगर निगम