सागर

ओवरलोड हैं सेंट्रल, जिला और उप जेल, अराजकता की स्थिति के बीच कभी भी हो सकता है फसाद

बैरकों में ठूसे जा रहे हत्या, लूट व दुष्कर्म के अपराधियों के आपस में भिडऩे से कभी भी फसाद हो सकता है।

सागरJul 11, 2018 / 04:42 pm

गुलशन पटेल

Central prison, district jail and sub jail Are overloaded

सागर. क्षमता से ओवरलोड सेंट्रल जेल ही नहीं जिला और उपजेलों में भी अराजकता की स्थिति है। बैरकों में ठूसे जा रहे हत्या, लूट व दुष्कर्म के अपराधियों के आपस में भिडऩे से कभी भी फसाद हो सकता है। पुलिस अभियान और आपराधिक वारदातों के बाद सेंट्रल जेल ही नहीं जिला व उपजेलों में भी लोड बढ़ गया है। जघन्य वारदात, आदतन व निगरानी बदमाशों के बीच जेल में आए दिन विवाद की नौबत भी बन रही है पर अधिकारियों की अनदेखी के चलते यह कभी भी बड़ा रूप ले सकती है।
बरामदों, सभाकक्ष को बनाया बैरक
सेंट्रल जेल और जिला, उप जिला जेलों में बंदियों को संभालने के लिए तरह-तरह के इंतजाम किए गए हैं। सेंट्रल जेल और उप जेलों तक में ओवरलोड बैरकों के बाहर बरामदों का उपयोग बैरक बनाकर किया जा रहा है। लेकिन खुली बैरकों में पानी और हवा के सीधे प्रवेश का सामना बंदियों को करना पड़ रहा है। एेसे में पुरानी और जघन्य वारदातों के आरोपी, सजायाफ्ता बंदी तो अंदर बैरक में चले जाते हैं और बरामदों में कमजोर और नए बंदियों को ठूंस दिया जाता है। जिससे उनमें भी असंतोष बढ़ रहा है।
राशन का संकट
सेंट्रल जेल में 36 बैरक हैं जिनमें करीब 846 बंदियों को रखने की क्षमता है पर बढ़ते अपराध और अभियानों के कारण जेल ओवर लोड होती जा रही है। रविवार तक की स्थिति में लॉकअप के समय सेंट्रल जेल में 1598 सजायाफ्ता-विचाराधीन बंदी थे। एेसे में क्षमता से लगभग दोगुने बंदियों के राशन-पानी की व्यवस्था भी लड़खड़ा गई है। सूत्रों के अनुसार राशन का बजट कम होने और बंदियों की संख्या लगातार बढऩे से सेंट्रल और उपजेलों में बंदियों को निर्धारित से कम डाइट मिल रही है।
उपजेलों में संघर्ष की स्थिति

सेंट्रल जेल में 20 प्रहरी, 8 मुख्य प्रहरी, 3 डिप्टी जेलर और एक जेल की कमी है। निगरानी के इंतजाम एक तिहाई कम होने और बंदियों की क्षमता दोगुनी बढऩे से बैरकों में नियंत्रण चरमरा गया है। उप जेलों में तो स्थिति और खराब है, क्योंकि वहां पहले से बल के नाम पर काम चलाऊ व्यवस्था है। वहां आदतन अपराधी और हत्या-लूट के बंदियों को रखा जा रहा है, जो कभी भी व्यवस्था को बिगाडऩे के लिए आपस में भिड़ सकते हैं। सूत्रों के अनुसार रहली जेल में रविवार को लॉकअप के समय क्षमता 70 के मुकाबले 143 बंदी थे। इनमें 4 सजायाफ्ता और 139 ह त्या-दुष्कर्म, लूट आदि वारदातों में विचाराधीन हैं।

जेलों में क्षमता से अधिक बंदी है यह सही है। उनके लिए बैरक के अलावा अन्य इंतजाम किए गए हैं। बैरकों के बाहर बरामदों, सभागृह या अन्य कक्षों को अस्थाई रूप से बैरक बनाया गया है। बंदी आपस में लड़ाई-झगड़ा न करें इसके लिए निगरानी बढ़ाई गई है। – मदन कमलेश, डिप्टी अधीक्षक, सेंट्रल जेल सागर

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