यह सुनसान जगह है सुरखी थाने के पुलिस क्वार्टरों की। तपती दुपहरी मेें यहां इंसान तो क्या परिंदे भी छांव तलाशने में डरते हैं। यह वीरान जगह लोगों को डराती है। जी हां, यह नजारा है सुरखी थाना के उन पुलिस क्वार्टरों का, जो अब खंडहर में तब्दील हो चुके हैं। वर्ष 2003-04 में बने इन पुलिस क्वार्टरों में अब भूतों का डेरा है। यह कहना है सुरखी के स्थानीय लोगों का। इन पुलिस क्वार्टरों में शैतानी आत्माएं भटकती हैं।
हालात यह हैं कि जब से पुलिस क्वार्टर बने हैं तभी से पुलिसकर्मी यहां नहीं रह रही। कथित रूप से खौफ खाकर यहां आना नहीं आना चाहते। आप देखकर हैरान होंगे कि खुद यहां के थाना प्रभारी रेस्ट हाउस में अपना रहने का ठिकाना बनाए हुए हैं।
वर्तमान में सुरखी थाने का पुलिस स्टाफ पुराने जर्जर मकानों में रह रहा है। इन मकानों की तस्वीर देखकर ऐसा लगता है कि यह मानो 2018 की पहली बारिश भी नहीं झेल पाएंगे। कुछ स्थानीय लोगों का दावा है कि इन खंडहरों में आग का पलीता निकलता है। डरावनी आवाजें आती हैं।
वहीं कुछ स्थानीय कहते हैं कि यहां रूह नहीं बल्कि चोरों का डेरा है, जो इन क्वार्टरों के दरवाजे, खिड़कियां, कांच और मार्बल तक उखाड़ ले गए स्थानीय लोगों की मानें तो पुलिस महकमे ने सरकार को लाखों का चूना लगाकर इन क्वार्टरों को खंडहर बना दिया। तत्कालीन पुलिस अधिकारियों और पुलिसकर्मियों पर कार्रवाई होनी चाहिए।
जिले के पुलिस कप्तान सतेंद्र शुक्ला ने इस मामले में कहा है- मुझे जानकारी के हिसाब से मालूमात है कि यह खंडहर हो चुके क्वार्टर थाने और कस्बे से दूर थे। बुनियादी व्यवस्था यहां नहीं थी। इस वजह से इन क्वार्टरों में कोई पुलिसकर्मी शिफ्ट नहीं हुआ।
जब पुलिस कप्तान से मीडिया ने सवाल किया कि इन क्वार्टरों को बनाने से पहले सुविधाओं की पड़ताल क्यों नहीं की गई तो उनका कहना था- मैं तात्कालिक समय की जानकारी और परिस्थितियों को नहीं बता सकता। हालांकि उन्होंने भूत-प्रेत जैसी अंधविश्वास की घटनाओं को मानने से इनकार किया है।
बहरहाल यह क्वार्टर अब खंडहर में तब्दील हो गए हैं। अब सवाल उन तात्कालिक अफसरों और निर्माण एजेंसी से है, जिन्होंने बुनियादी सुविधाओं की पड़ताल किए बिना यहां पुलिस क्वार्टर बनवाकर सरकार को करोड़ों का चूना लगा दिया।