ऑन लाइन शिक्षा लेने वाले छात्रों की दर्ज होगी उपस्थित, गूगल डाक्स से मानीटरिंग

स्कूल शिक्षा विभाग ऑन लाइन शिक्षा को लेकर गंभीरता दिखाई है। इसके लिए छात्रों की उपस्थित ली जाएगी। वहीं ऑन लाइन शिक्षा ग्रहण नहीं करने वाले छात्रों के लिए ब्रीज कोर्स चलाया जाएगा। इसके लिए विकासखंड स्तर में गठित मानीटरिंग सेल को इसका जिम्मा सौंपा है।

<p>आईसीटी लैब में नई तकनीक अनुकूलित शिक्षण मंच (adaptive learning platform) और लर्निंग मेनेजमेंट सिस्टम का उपयोग किया जाएगा।</p>

रीवा। स्कूल शिक्षा विभाग ऑन लाइन शिक्षा को लेकर गंभीरता दिखाई है। इसके लिए छात्रों की उपस्थित ली जाएगी। वहीं ऑन लाइन शिक्षा ग्रहण नहीं करने वाले छात्रों के लिए ब्रीज कोर्स चलाया जाएगा। इसके लिए विकासखंड स्तर में गठित मानीटरिंग सेल को इसका जिम्मा सौंपा है। जिसकी जानकारी जल्द ही उपलब्ध कराई जाएगी।
बताया जा रहा है कोविड़-19 में संक्रमण को रोकने लॉक डाउन के कारण विद्यालय बंद है। ऐसे में स्कूल शिक्षा विभाग कक्षा 1 से 12 तक ऑन लाइन पाठय क्रम संचालित कर रहा है। इसमें कक्षा 1 से 8 तक जहां राज्य शिक्षा केन्द्र ऑन लाइन पाठयक्रम चला रहा है। वहीं 9 से 12 तक के छात्रों के लिए लोक शिक्षण संचालित कर रहा है ।इसके लिए तीन माध्यम अपनाए गए है। इनमें पहला जिला स्तर में बना डिजीलैंप लर्निंग प्रोग्राम। इसमें मोबाइल के माध्यम से छात्रों केा प्रतिदिन सामग्री भेजी जा रही है। वहीं दूसरे माध्यम के के बिल आपरेटर के माध्यम से कक्षाओं का संचालन है। इसके बावजूद ग्रामीण क्षेत्रों में सामग्री पहुंचाने के लिए कक्षा १० व १२ के लिए टीवी प्रोग्राम संचालित किया है। इसके बावजूद अभी १८ फीसदी तक पहुंच रहा है। ऐसे में अब ऑन लाइन शिक्षा का लाभ लेेने छात्रों की जानकारी तलब की है।
गूगल डाक्स से होगी मानीटरिंग-
ऑन लाइन शिक्षा के लिए मानीटरिंग सेल बनाया गया है। यह सेल गूगल डाक्स के माध्यम से ऑन लाइन शिक्षा पाने वाले छात्रों को डाटा एकत्र करेंगा। जिससे से यह जानकारी मिल सके कि ऑन लाइन शिक्षा आखिर कितने छात्रों तक पहुंच रही है। बताया जा रहा है अभिभावकों के पास स्मार्ट फोन नहीं होने के कारण शैक्षणिक सामग्री नहीं पहुंच पा रही है।
अब निजी व सीबीएसई स्कूलों को जोडऩे की तैयारी
स्कू ल शिक्षा विभाग अब निजी एवं सीबीएसई स्कूलों को जोडऩे की तैयारी कर रहा है। जिससे कि ऑन लाइन पाठयक्रम की शैक्षिणक सामग्री लोगों तक पहुंचाई जा सके। इसके लिए निजी स्कूल संचालकों को मोबाइल गुप्र व नम्बर मांग गए है।

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