निजी स्कूल की जितनी मनमर्जी उतनी फीस,एमबीए ज्यादा नर्सरी की फीस

निजी स्कूलों की फीस निर्धारण का कोई मापदंड नहींहै।जिसकी जितनी मर्जी उतनी फीस ले रहे हैं।बर्तमान शहर के अंग्रेजी स्कूलों की नर्सरी क्लास की फीस एम बीए ज्यादा है। नर्सरी कक्षा में 30 हजार से अधिक शुल्क प्राइवेट स्कूल संचालक ले रहे है।हैरान करने वाली बात यह है कि शासन द्वारा यह क्लास नहीं होने से न मॉनिटरिंग होती है और ना ऑडिट।

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रीवा। निजी स्कूलों की फीस निर्धारण का कोई मापदंड नहींहै।जिसकी जितनी मर्जी उतनी फीस ले रहे हैं।बर्तमान शहर के अंग्रेजी स्कूलों की नर्सरी क्लास की फीस एम बीए ज्यादा है। नर्सरी कक्षा में 30 हजार से अधिक शुल्क प्राइवेट स्कूल संचालक ले रहे है।हैरान करने वाली बात यह है कि शासन द्वारा यह क्लास नहीं होने से न मॉनिटरिंग होती है और ना ऑडिट।इसकी पूरी कमाई निजी स्कूलों के प्रबंधन के जेब मे जाती है।
बताया जा रहा है कि शासन निजी स्कूलों को बेहतर सुविधा के आधार में आवश्यक मापदंड के आधार पर स्कूल संचालन की अनुमति देता है। इसमें निजी स्कूल संचालकों पालक संघ की समिति गठित करना है।इस समिति के स्कूल की फीस सहित अन्य मुद्दों पर निर्णय लेने का अधिकार है।लेकिन इस समिति की बैठक होती ही नहीं है। इसका पूरा फायदा निजी संचालक उठाते हैं।इतना ही नहीं सुविधाओं के अभाव में पूरी शुल्क अभिभावकों से वसूल रहे हैं। इस महामारी के संकट के दौर में स्कूल बंद होने पर पूरी फीस वसूल कर रहे है।

फीस वसूली के दोहरे मापदंड
निजी स्कूल की फीस वसूलने के दोहरे मापदंड बना रखे। शिक्षा के अधिकार के तहत सरकार से निजी स्कूल संचालक को एक छात्र के 33 सौ रूपये मिलते है। वहीं अभिभावक से इसका दो गुना वसूल करते हैं।

सिर्फ 10 फीसदी फीस व्रद्धि का अधिकार
सरकार ने निजी स्कूलों की फीस की मापदण्ड को लेकर कोई दिशा निर्धारित नहीं है।वर्ष 2018 में एक समिति बनाई थी।लेकिन इसका कोई निर्धारण नहीं हो पाया है। इस बीच सरकार ने स्कूलों की फीस में व्रद्धि 10 फीसदी तक करने के जिला स्तर में समिति बनाई है। यह समिति के अध्यक्ष कलेक्टर को बनाया गया है।

अपने विधायक की नहीं सुन रही सरकार
इस महामारी के दौर में भाजपा के विधायक भी अभिभावकों के साथ है।उनकी मांगो को जायज बताते हुए तीन माह की फीस की रियायत के लिए मुख्यमंत्री को पत्र लिखा है बावजूद सरकार इस और कोई कदम नहीं उठा रही हैं।इससे अभिभावकों आक्रोशित है।

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