सिस्टम के आगे लाचार हुआ सेना का जवान, संक्रमित पत्नी को लेकर 10 घंटे भटका, देखें वीडियो

12 घंटे तक भटकने के बाद मीडिया के सामने रोते हुए बोला- मैं देश की सेवा करते हुए मर रहा हूं लेकिन पत्नी के इलाज के लिए भटक रहा हूं…

रीवा. कोरोना मरीजों के चलते शासकीय अस्पतालों की व्यवस्था भी पूरी तरह से चरमरा गई है। हालत यह है कि आसानी से मरीज तक भर्ती नहीं हो पा रहे हैं। ऐसा ही एक मामला रीवा में सामने आया है। यहां देश की रक्षा करने वाले सेना के जवान को अपनी संक्रमित पत्नी का इलाज करवाने के लिए दस घंटे तक मशक्कत करनी पड़ी। अंतत: मीडिया के हस्तक्षेप के बाद उनको अस्पताल में भर्ती कराया गया। मामला रीवा जिले के संजय गांधी अस्पताल का है।

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बीमार पत्नी का इलाज कराने छुट्टी लेकर आया जवान
बार्डर सिक्योरिटी फोर्स त्रिपुरा में पदस्थ विनोद तिवारी निवासी सीधी की पत्नी कोरोना संक्रमित हो गई थी जिस पर वे पत्नी का इलाज करवाने के लिए चार दिन की छुट्टी लेकर अपने घर लौटे। मंगलवार को उनकी हालत काफी ज्यादा खराब हो गई जिस पर सुबह वे पत्नी को इलाज के लिए संजय गांधी अस्पताल लेकर आए। यहां पर उनकी किसी ने नहीं सुनी तो वे पत्नी को विंध्या हॉस्पिटल और फिर रीवा अस्पताल पहुंचे लेकिन वहां पर भी उनको भर्ती करने से इंकार कर दिया गया। बिछिया जिला अस्पताल में वे पत्नी को लेकर आए लेकिन वहां भी उनकी किसी ने नहीं सुनी। थकहार कर वे फिर संजय गांधी अस्पताल लेकर आए लेकिन यहां उनको कोई जानकारी देने को तैयार नहीं था। गाड़ी में बीमार पत्नी दर्द से कराह रही थी और वे सिस्टम के सामने लाचार होकर पत्नी को तड़पता हुआ देखने के अलावा कुछ नहीं कर पा रहे थे। देश की रक्षा करने वाला जवान खुद ऐसे अमानवीय व्यवहार का शिकार हुआ जिसने मानवता को भी शर्मसार कर दिया है।

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मीडिया के सामने छलके आंसू
सिस्टम के हाथों लाचार होकर जब सेना के जवान विनोद तिवारी अपनी पत्नी को अस्पताल में भर्ती नहीं करवा पाए तो वे उनका सब्र टूट गया वो अपने आप को रोक नहीं पाए। गाड़ी के अंदर ही बैठकर वे दहाड़ मारकर रोने लगे। बीमारी पत्नी को लेकर अस्पताल में रो रहे सेना के जवान पर जब मीडियाकर्मियों की नजर पड़ी तो उन्होंने समस्या पूछी। कैमरे के सामने ही जवान अपनी व्यथा बताते हुए रोने लगे। उन्होंने कहा कि हम देश की रक्षा के लिए सीमा पर दुश्मनों का मुकाबला करते है और यहां हमारी बीमार पत्नी को डॉक्टर अस्पताल में भर्ती करने को तैयार नहीं है। सुबह से हम पत्नी को लेकर अस्पतालों के चक्कर काट रहे हैं लेकिन उनको भर्ती कर इलाज करने के बजाय टालमटोल किया जा रहा है। हम सुबह से परेशान घूम रहे हैं। जब मामला मीडिया में आया तो जिम्मेदारों की नींद खुली और तत्काल अस्पताल के कर्मचारियों ने जवान की बीमार पत्नी को कोविड वार्ड में पहुंचाया जहां उनको आक्सीजन लगाया गया। वे ठीक तरह से सांस नहीं ले पा रही थीं।

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