navratra- यहां बेटे की होती है पूजा, माता-पिता छूते है पैर, अनूठी है परंपरा

गोविन्दगंज रामलीला के प्रमुख पात्र 20 दिन परिवार से दूर रहकर ग्रहण करते है पूर्णत: सात्विक आहार

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जबलपुर। शहर मेंं वर्षों पुरानी गोविंदगंज रामलीला में राम का किरदार निभाने वाला पात्र राममय हो जाता है। केवल श्रीराम नहीं बल्कि रामीलाला में भगवान के अन्य किरदारों को जीवंत करने वाले बाकी कलाकारों को भी देवता की तरह पूजा जाता है। रामलीला के किरदारों को जींवत करने वाले इन किरदारों से बेहद रोचक जानकारी ये है कि भगवान का रूप धरते ही इनके माता-पिता भी इन्हें देवता के बराबर सम्मान देते है। बेटों के माथे पर तिलक लगाने के साथ ही माता-पिता उनके पैर छूते है। रामलीला मंचन के दौरान देवताओं का किरदार निभाने वाले कलाकारों की भोजन दिनचर्या भी बिल्कुल अलग होती है। इन 20 दिनों की अवधी में किरदार अपने परिवारों से दूर रहकर सात्विक आहार ग्रहण करते है।
धूमधाम से निकली श्रीराम की बारात
गोविन्दगंज रामलीला में मंगलवार को धूमधाम से प्रभु श्रीराम की बारात निकाली गई। भगवान की बारात में देवी-देवताओं की आकर्षक झांकियों ने दर्शकों का मनमोहा। बारात के दौरान लोग भक्ति भाव और आनन्द के माहौल मंे दिखे। रामलीला प्रांगण से कोतवाली, कमानिया, बड़े महावीर होते हुए निवाडग़ंज, पंचकोसी मंदिर पहुंची। पंचकोसी मंदिर में बारातियों का स्वागत सत्कार किया गया। इस दौरान अध्यक्ष अनिल तिवारी, वासुदेव शास्त्री, दशरथ प्रसाद रावत, हीरा तिवारी, मंगू गोयल आदि थे।
नवरात्र के नव रंग
शैलपुत्री पूजा– लाल रंग
नवरात्र के पहले दिन मां शैलपुत्री की पूजा की जाती है। मां को समस्त वन्य जीव-जंतुओं का रक्षक माना जाता है। इनकी आराधना से आपदाओं से मुक्ति मिलती है।
चंद्र दर्शन– गहरा नीला
चंद्र दर्शन के दिन नीला रंग पहने। नीला रंग शांति और सुकून का परिचायक है। सरल स्वभाव वाले सौम्य व एकान्त प्रिय लोग नीला रंग पसन्द करते हैं।
ब्रह्मचारिणी पूजा– पीला
नवरात्र के दूसरे दिन मां के ब्रह्मचारिणी स्वरुप की आराधना की जाती है। माता ब्रह्मचारिणी की पूजा और साधना करने से कुंडलिनी शक्ति जागृत होती है।
चंद्रघंटा पूजा– हरा
नवरात्र के तीसरे दिन मां दुर्गा की तीसरी शक्ति माता चंद्रघंटा की पूजा अर्चना की जाती है। मां चंद्रघंटा की उपासना से भक्तों को भौतिक , आत्मिक, आध्यात्मिक सुख और शांति मिलती है।
कुष्माण्डा पूजा– स्लेटी
नवरात्र के चौथे दिन मां पारांबरा भगवती दुर्गा के कुष्मांडा स्वरुप की पूजा की जाती है। माना जाता है कि जब सृष्टि का अस्तित्व नहीं था , तब कुष्माण्डा देवी ने ब्रह्मांड की रचना की थी।
स्कंदमाता पूजा– नारंगी
नवरात्र के पांचवें दिन मां स्कंदमाता की पूजा की जाती है। स्कंदमाता की उपासना से बालरूप स्कंद भगवान की उपासना अपने आप हो जाती है। नारंगी रंग ताजगी का सूचक है।
कात्यायनी पूजा– सफेद
नवरात्र के छठवें दिन मां कात्यायनी की पूजा की जाती है। कात्यायन ऋषि के यहां जन्म लेने के कारण माता के इस स्वरुप का नाम कात्यायनी पड़ा।
कालरात्रि पूजा– गुलाबी
माँ दुर्गाजी की सातवीं शक्ति को कालरात्रि के नाम से जाना जाता हैं। दुर्गापूजा के सातवें दिन मां कालरात्रि की उपासना का विधान है।देवी कालरात्रि का यह विचित्र रूप भक्तों के लिए अत्यंत शुभ है।
महागौरी पूजी– आसमानी नीला
दुर्गापूजा के आठवें दिन महागौरी की उपासना का विधान है। जिनके स्मरण मात्र से भक्तों को अपार खुशी मिलती है, इसलिए इनके भक्त अष्टमी के दिन कन्याओं का पूजन और सम्मान करते हुए महागौरी की कृपा प्राप्त करते हैं।
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