धर्म और अध्यात्म

5 चमत्कारी मंदिर, दर्शन मात्र से हो सकती है हर मन्नत पूरी

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Published: December 21, 2017 09:47:37 am
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08 सिद्घ पीठों में से एक मां पूर्णागिरी मंदिर टनकपुर से 21 किमी दूर है। माना जाता है पूर्णागिरि शक्ति पीठ स्थल पर सती पार्वती की नाभि गिरी थी। नेपाल बॉर्डर पर पड़ने वाला टनकपुर क्षेत्र उत्तराखंड के चंपावत जिले में पड़ता है। यह स्थान महाकाली की पीठ माना जाता है। जहां हरे-भरे पहाडों में पूर्णागिरी का निवास स्‍‌थान है। यहां हर साल हजारों भक्त मुरादें मांगने आते हैं।

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उत्तराखंड के छोटे से हिल स्टेशन पर स्थित माँ देवीधुरा मंदिर 52 पीठों में से एक माना जाता है। मुख्य मंदिर में तांबे की पेटिका में मां बाराही देवी की मूर्ति है, मगर पेटिका में रखी इस देवी मूर्ति के दर्शन अभी तक किसी ने नहीं किए हैं।

हर साल भाद्रपद कृष्ण प्रतिपदा को बागड़ जाती के क्षत्रीय वंशज द्वारा ताम्र पेटिका को मुख्य मंदिर से नंद घर में लाया जाता है, जहां आंखों में पट्टी बांध कर मां का स्नान कर श्रृंगार किया जाता है। यह भी मान्यता है कि जिसने माँ की मूर्ति के दर्शन खुली आँखों से किए, मूर्ति के तेज से उसकी आँखों की रोशनी चली जाती है।

 

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गुजरात में स्थित पावागढ़ महाकाली मंदिर भी एक शक्तिपीठ है, जिसे देवी का जागृत निवास माना जाता है। ग्रंथों के अनुसार जहां-जहां माता सती के अंग के टुकड़े, धारण किए हुए वस्त्र या आभूषण गिरे, वहां-वहां शक्तिपीठ बन गए। इस जगह को लेकर मान्यता है कि यहां देवी सती के दाहिने पैर की उंगलियां गिरी थी। जिसके चलते लोगों की यहां अटूट आस्था है। मान्यता है कि यहां दर्शन करने के बाद मां भक्तों की हर मुराद पूरी कर देती हैं।

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आपको बता दें सरहद पार पाकिस्तान के बलूचिस्तान प्रांत में पहाड़ियों के बीच हिंगलाज माता का मंदिर बसा है। यह देवी सती के सभी शक्तिपीठों में सबसे प्रमुख माना जाता है। मान्यताओं के अनुसार यहां देवी सती का सिर गिरा था। हिंगलाज माता के इस चमत्कारिक मंदिर की देखभाल मुसलमानों द्वारा की जाती है। यहां मान्यता है कि इस मंदिर में जो अपनी मनोकामना माता हिंगलाज के सामने रखता है, वह जरूर पूरा होती है।

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आप तो जानते ही हैं पुरी स्थित श्री जगन्नाथ मंदिर एक विख्यात हिन्दू मंदिर , जो भगवान श्रीकृष्ण को समर्पित है। ये छार पवित्र धामों में से एक है। पुराणों के अनुसार जगन्नाथ पुरी को धरती का बैकुंठ है। पुराणों में कहा गया है कि यहां भगवान विष्णु ने पुरुषोत्तम नीलमाधव के रूप में अवतार लिया था और वे यहां सबर जनजाति के परम पूज्य देवता बन गए। ऐसी मान्यता है कि यहां आने वाले श्रद्धालुओं की मनोकामना जगन्नाथ भगवान अवश्य पूरी करते हैं।

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