स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती का बद्रिकाश्रम ज्योतिषपीठ के शंकराचार्य पद पर मानसरोवर के जल से हुआ अभिषेक, देखें वीडियो

झोतेश्वर में आयोजन, द्विपीठाधीश्वर बने

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जबलपुर/गोटेगांव। द्वारका शारदापीठ के शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती का तपोस्थली झोतेश्वर में ज्योतिषपीठ बद्रिकाश्रम के शंकराचार्य के पद पर बुधवार को अभिषेक किया गया। बनारस से भारत धर्म मंडल एवं काशी विद्वत परिषद के सदस्यों ने देश के विविध तीर्थ स्थलों एवं मानसरोवर से लाए गए जल से उनका अभिषेक किया। गंगा आश्रम में विराजमान राजराजेश्वरी के मंदिर में आयोजित अभिषेक कार्यक्रम में शंकराचार्य का भारत धर्म महामंडल के वरिष्ठ उपाध्यक्ष सत्यनारायण पांडे, काशी विद्वत परिषद उपाध्यक्ष वशिष्ठ त्रिपाठी, श्रृंगेरी शंकराचार्य के प्रतिनिधि एवं महामंडलेश्वरों की ओर से रामकृष्णानंद ने बारी-बारी से अभिषेक किया। इस अवसर पर बड़ी संख्या में श्रद्धालु मौजूद रहे।
36 सदस्यीय समिति का निर्णय
भारत धर्म महामंडल के वरिष्ठ उपाध्याक्ष पांडे ने बताया कि तीनों पीठों के शंकराचार्यों से विचार-विमर्श के बाद ३६ सदस्यीय समिति के 20 सदस्यों ने सर्वसम्मति से प्रस्ताव पारित किया। उन्होंने बताया कि 1973 में जो अभिषेक किया गया था, उसको इलाहाबाद हाईकोर्ट ने तकनीकी गड़बड़ी बता कर ज्योतिषपीठ शंकराचार्य पद को रिक्त कर दिया था। समिति को पुन: अभिषेक करने की जिम्मेदारी सांैपी थी। यहांपर अभिषेक करके पुराने अभिषेक पर मुहर लगाने का कार्य किया गया है।
भारत धर्म महामंडल ने किया अभिनंदन
परमहंसी गंगा आश्रम के प्रवचन पंडाल मे आयोजित कार्यक्रम मे अभिषेक के बाद भारत धर्म महामंडल की ओर से वरिष्ठ उपाध्यक्ष सत्यनारायण पांडे ने प्रस्ताव का वाचन करने के बाद उसकी प्रति शंकराचार्य को सौपते कहा कि कुछ लोग उनके अभिषेक को गलत निरूपित करने की बात कर रहे है वह पूरी तरह से मिथ्या है। इसके बाद मचं से एक ऑडियो सभी को सुनाया गया। इसके बाद भारत धर्म महामंडल के सदस्यों की ओर से अभिनंदन पत्र शंकराचार्य को भेट किया। अभिषेक होने पर शंकराचार्य की पादुकाओ का पूजन भारत धर्म महामंडल के सदस्यो के द्वारा किया गया।
हर-हर महादेव की गूंज
ज्योतिष पीठ शंकराचार्य के साथ ही द्वारका शारदापीठ के शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती के अभिषेक के साथ ही मंदिर परिसर हर-हर महादेव के जयकारे से गूंज उठा। मंदिर के बाहर भक्तों ने ढोल बाजकर उत्सव मनाया। इस अवसर पर अनुयायियों ने पटाखें भी चलाएं।
विदेशों से आए भक्त
देश में पहली बार किसी शंकराचार्य का अभिषेक उनकी तपोस्थली में ही किया गया है। प्रदेश में पहली बार शंकराचार्य अभिषेक अनुष्ठान हुआ है। इस क्षण के साक्षी बनने के लिए शंकराचार्य स्वामी स्वरुपानंद के कुछ अनुयायी विदेशों से झोतेश्वर पहुंचे।
ट्रेन की चाल से विलंब
अभिषेक अनुष्ठान में बनारस से आने वाले सदस्यों और विद्वानों को शामिल होना था। लेकिन कोहरे और अन्य तकनीकी कारणों से ट्रेनों की बिगड़ी चाल के कारण वे विलंब से पहुंचे। इनकी ट्रेन करीब 3 घंटे विलंब से आयी। इसके चलते अभिषेक अनुष्ठान में विलंब हुआ। सुबह १० बजे शुरू होने वाला कार्यक्रम दोपहर लगभग दो बजे प्रारम्भ हुआ। अनुष्ठान की प्रक्रिया शाम तक चलती रही।

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