सूर्य ग्रहण 2018: 15 फरवरी को इस समय लग जाएगा सूतक, जानें सूतक काल और ग्रहण का समय

परिक्रमा के दौरान कभी ऐसी स्थिति भी आ जाती है जब चंद्रमा सूर्य और पृथ्वी एक ही कतार में आ जाते हैं

<p>surya grahan in india</p>

जबलपुर। साल का पहला सूर्य ग्रहण 16 फरवरी को होगा। वैसे तो इसका सूतक काल 15 फरवरी गुरुवार की रात 12:25 बजे से सुबह 4:28 तक रहेगा। ऐसे में यह सूर्य ग्रहण 16 फरवरी को माना जाएगा। भारत में यह दिखाई नहीं देगा लेकिन प्रशांत महासागर के कई देशों में इसे देखा जा सकेगा। भारत पर ना दिखाई देने के बावजूद कुछ राशियों पर और उच्च ग्रहों की स्थितियों के अनुसार जातकों पर यह नकारात्मक प्रभाव डाल सकता है। ज्योतिषाचार्य सत्येंद्र स्वरूप शास्त्री के अनुसार वैसे तो 15 फरवरी को है लेकिन भारतीय समय अनुसार देखें तो यह मध्यरात्रि से 4:00 तक रहेगा। जिसके मुताबिक 16 फरवरी को पड़ेगा। ग्रहण के दौरान भगवान के दर्शन ना करें और पूजा घर वालों को पर्दा दरवाजे बंद कर दे।
भौतिक वैज्ञानिकों के अनुसार पृथ्वी सूरज का उपग्रह है और उसके चक्कर लगाती है। चन्द्रमा पृथ्वी का उपग्रह माना जाता है और वह पृथ्वी के चक्कर लगाता है। परिक्रमा के दौरान कभी ऐसी स्थिति भी आ जाती है जब चंद्रमा सूर्य और पृथ्वी एक ही कतार में आ जाते हैं। इसे सूर्यग्रहण के नाम से भी जाना जाता है।

शास्त्रों के अनुसार ग्रहणकाल के समय मूर्ति छूना, भोजन तथा नदी में स्नान करना वर्जित माना जाता है। सूतक काल के समय किसी भी शुभ कार्य की शुरुआत नहीं करनी चाहिए। भोजन ग्रहण करने और पकाने से दूर रहना अच्छा माना जाता है। देवी देवताओं और तुलसी आदि को स्पर्श नहीं करना चाहिए। सूतक के दौरान गर्भवती स्त्री का घर से बाहर निकलना और ग्रहण देखना वर्जित माना जाता है। ये शिशु की सेहत के लिए अच्छा नहीं माना जाता क्योंकि इससे उसके अंगों को नुकसान पहुँच सकता है।
इसके अलावा नाख़ून काटना, बात कटवाना, निद्रा मैथुन आदि जैसी गतिविधियों से भी ग्रहण व् सूतक काल के समय परहेज करना चाहिए। माना जाता है इस काल में स्त्री प्रसंग से बचना चाहिए अन्यथा आंखों से संबंधित बिमारियों के होने का खतरा बना रहता है।
ग्रहण समाप्त होने के पश्चात् पुरे घर को गंगाजल से शुद्ध करना चाहिए और सूतक काल प्रारंभ होने से पूर्व दूध, जल, दही, अचार आदि खान-पान की सभी चीजों में कुशा या तुलसी के पत्ते दाल देने चाहिए। माना जाता है ग्रहण के दौरान खान पान की सभी चीजें बेकार हो जाती है और वे खाने लायक नहीं रहती। ऐसा करने से आप ग्रहण समाप्त होने के बाद इन्हें पुनः खा सकते है।
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