दरअसल, अस्पताल में डॉक्टरों को 300 मिनट की ओपीडी में प्रतिदिन औसतन 1500 रोगियों का उपचार करना है। इसके अलावा मेडिसिन, गायनी, शिशु रोग, अस्थि रोग, नाक-कान-गला विभाग में दाखिल मरीजों को भी चिकित्सा मुहैया कराना होता है। मरीजों की संख्या ज्यादा होने के कारण चिकित्सक प्रॉपर तरीके से इलाज नहीं कर पाते हैं।
सभी को इलाज देना चुनौती
जिला अस्पाल की ओपीडी बाह्य रोग विभाग में 1500 से 1800 और अंत: रोग विभाग में दाखिल 600 से 700 मरीजों को चिकित्सा व परामर्श मुहैया कराने का जिम्मा ड्यूटी पर तैनात चिकित्सकों का होता है। उन्हें ही ऑन कॉल, वीआइपी ड्यूटी भी करनी होती है। ऐसे में विशेषज्ञ चिकित्सकों की संख्या 15 से 20 रह जाती है। इन चिकित्सकों को चार घंटे ओपीडी और भर्ती रोगियों को चिकित्सा मुहैया कराना चुनौती होता है। नतीजा, चिकित्सक भर्ती पीडि़तों को पांच मिनट का भी समय नहीं दे पाते।
जिला अस्पाल की ओपीडी बाह्य रोग विभाग में 1500 से 1800 और अंत: रोग विभाग में दाखिल 600 से 700 मरीजों को चिकित्सा व परामर्श मुहैया कराने का जिम्मा ड्यूटी पर तैनात चिकित्सकों का होता है। उन्हें ही ऑन कॉल, वीआइपी ड्यूटी भी करनी होती है। ऐसे में विशेषज्ञ चिकित्सकों की संख्या 15 से 20 रह जाती है। इन चिकित्सकों को चार घंटे ओपीडी और भर्ती रोगियों को चिकित्सा मुहैया कराना चुनौती होता है। नतीजा, चिकित्सक भर्ती पीडि़तों को पांच मिनट का भी समय नहीं दे पाते।
ऐसी है दशा
– सकरिया निवासी प्रदीप मिश्रा की दादी महिला मेडिसिन विभाग में भर्ती हैं। चिकित्सक राउंड के दौरान पर्याप्त समय नहीं दे पाते हैं। इस कारण स्वास्थ्य में सुधार नहीं हो रहा है।
– बिहरा के ओम प्रकाश पाण्डेय ने अपनी बिटिया को शिशु रोग वार्ड में दाखिल कराया पर डॉक्टर देखने के लिए समय नहीं दे पा रहे थे। अंत में उन्होंने अपनी बच्ची का निजी क्लीनिक में इलाज कराया।
– सकरिया निवासी प्रदीप मिश्रा की दादी महिला मेडिसिन विभाग में भर्ती हैं। चिकित्सक राउंड के दौरान पर्याप्त समय नहीं दे पाते हैं। इस कारण स्वास्थ्य में सुधार नहीं हो रहा है।
– बिहरा के ओम प्रकाश पाण्डेय ने अपनी बिटिया को शिशु रोग वार्ड में दाखिल कराया पर डॉक्टर देखने के लिए समय नहीं दे पा रहे थे। अंत में उन्होंने अपनी बच्ची का निजी क्लीनिक में इलाज कराया।
सर्जरी में ओपीनियन भी जरूरी
जिला अस्पताल के रेकॉर्ड की मानें तो रोजाना 30 से 40 प्रसव सीजर के बाद होते हैं। अन्य विभागों में भी प्रतिदिन 15 से 20 ऑपरेशन होते हैं। इसके लिए संबंधित विभाग के चिकित्सक का ओपीनियन भी आवश्यक होता है।
जिला अस्पताल के रेकॉर्ड की मानें तो रोजाना 30 से 40 प्रसव सीजर के बाद होते हैं। अन्य विभागों में भी प्रतिदिन 15 से 20 ऑपरेशन होते हैं। इसके लिए संबंधित विभाग के चिकित्सक का ओपीनियन भी आवश्यक होता है।
ऐसी है हकीकत
1. शिशु रोग विभाग
चिकित्सक-4
ओपीडी- 300 से 400 प्रतिदिन 2. मेडिसिन विभाग
चिकित्सक-5, वार्ड- 3
दाखिल रोगी- 170
ओपीडी- 800 से 900 प्रतिदिन 3. अस्थि रोग विभाग
चिकित्सक-2, दाखिल रोगी- 150
ओपीडी- 300 से 400 प्रतिदिन
1. शिशु रोग विभाग
चिकित्सक-4
ओपीडी- 300 से 400 प्रतिदिन 2. मेडिसिन विभाग
चिकित्सक-5, वार्ड- 3
दाखिल रोगी- 170
ओपीडी- 800 से 900 प्रतिदिन 3. अस्थि रोग विभाग
चिकित्सक-2, दाखिल रोगी- 150
ओपीडी- 300 से 400 प्रतिदिन
4. सर्जिकल विभाग
चिकित्सक-3, वार्ड- 2
दाखिल रोगी- 150
ओपीडी- 100 प्रतिदिन 5. गायनी विभाग
चिकित्सक-4, वार्ड-3
दाखिल रोगी- 180
ओपीडी- 200 से 300
चिकित्सक-3, वार्ड- 2
दाखिल रोगी- 150
ओपीडी- 100 प्रतिदिन 5. गायनी विभाग
चिकित्सक-4, वार्ड-3
दाखिल रोगी- 180
ओपीडी- 200 से 300