MUST READ : आदि ग्रंथों में है कोरोना महामारी की भविष्यवाणी, जानिये कैसे बचें इससे
1. दूध – दूध की महत्ता तो सभी जानते हैं यह पवित्र माना जाता है इसलिये देवताओं का स्नान तक दूध से करवाया जाता है। साथ ही दूध को शुभता का प्रतीक भी माना जाता है। हमारी बोलचाल की भाषा में भी हम किसी की शुद्धता के लिए दूध का धुला का इस्तेमाल करते हैं यदि किसी पर संदेह हो और वह स्वयं को निष्कलंक बताये तो यही कहा जाता है ना कि यह कोई दूध का धुला थोड़े है।
तो दूध के महत्व को देखते हुए ही दूध को एक प्रकार अमृत ही शास्त्रों में कहा जाता है। लेकिन यह दूध भी गाय का दूध होता है जिसे अमृत के समान कहा जाता है।
2. दही – दही दूध से बना ही पदार्थ है और दही को भी काफी शुभ माना जाता है। प्रत्येक शुभ कार्य के लिये घर से बाहर जाते समय दही का सेवन किया जाता है। इस तरह दही को भी अमृत के समान माना जाता है और पंचामृत में एक अमृत रूप दही का भी शामिल होता है।
3. घी – दूध और दही के पश्चात दूध से ही घी भी बनाया जाता है गाय के दूध से बना हर पदार्थ अमृत के समान माना जाता है। देवी देवताओं की पूजा के लिये आम तौर पर शुद्ध घी का दिया जलाने को ही प्राथमिकता दी जाती है यदि सामर्थ्य न हो तो ही अन्य विकल्पों पर विचार किया जाता है। इस तरह घी भी पंचामृत में एक अमृत के तौर पर इस्तेमाल किया जाता है।
MUST READ : इस दिन लुप्त हो जाएगा आंठवा बैकुंठ: बद्रीनाथ – जानें कैसे : फिर यहां होंगे प्रकट
4. शहद – शहद भी अमृत के समान होता है। औषधि के तौर पर तो कभी से शहद का इस्तेमाल होता है। खांसी सर्दी आदि से लेकर मोटापा कम करने तक अनेक चीज़ों में शहद का प्रयोग किया जाता है। इस प्रकार शहद को भी अमृत माना जाता है और पंचामृत में इसे मिलाया जाता है।
5. चीनी – चीनी वैसे तो मिठास के लिये होती है। मिठास मधुरता का प्रतीक, खुशी का प्रतीक, सद्भावना का प्रतीक है। इस तरह चीनी को भी अमृत माना जाता है। चीनी के स्थान पर मिश्री इसके लिये ज्यादा शुद्ध और उपयुक्त मानी जाती है मिश्री को ही चीनी रूप में पंचामृत में मिलाया जाता है।
ऐसे होता है तैयार…
पंचामृत के लिए दूध की मात्रा का आधा दही, दही की मात्रा का आधा घी, घी की मात्रा का आधा शहद और शहद की मात्रा की आधी शक्कर मिला कर पंचामृत तैयार किया जाता है।
MUST READ : नौकरी जाने का हो खतरा, तो ये उपाय आपको देगा राहत
इस प्रकार दूध, दही, घी, शहद और चीनी आदि पांच अमृतों को मिलाकर ही पंचामृत का निर्माण किया जाता है। ये सभी तत्व हमारी सेहत के लिये बहुत लाभकारी होते हैं इस कारण पंचामृत के सेवन से स्वास्थ्य बेहतर बना रहता है।
माना जाता है कि ये पंचामृत भगवान विष्णु, शिव, सूर्य, दुर्गा व गणेश आदि को प्रिय है।
इसके लाभ और नियम
यदि पंचामृत का सेवन अत्यधिक मात्रा में नहीं करना चाहिए, बल्कि जिस तरह अमृत का सेवन किया जाता है उसी तरह इसे भी ग्रहण करना चाहिए। यदि पंचामृत में तुलसी की पत्तियां और डाल ली जायें और रोजाना इसका सेवन किया जाए तो माना जाता है कि कोई भी बीमारी आपके पास नहीं फटकेगी।
इसके अलावा यदि आपका इम्युनिटी सिस्टम यानि रोग प्रतिरोधक क्षमता कमजोर है तो भी आपको घबराने की आवश्यकता नहीं है पंचामृत के नियमित सेवन से आप इसमें सुधार महसूस कर सकते हैं।
MUST READ : कोरोना वायरस / पुराणों में हैं संक्रमण से बचने के ये खास उपाय
पंचामृत के सेवन से आप फैलने वाली बीमारियों यानि संक्रामक रोगों से भी काफी हद तक बच सकते हैं, क्योंकि इससे आपकी रोगों से लड़ने की क्षमता में चमत्कारिक रूप से सुधार होता है।
वहीं पंचामृत हाथ में लेते समय निम्न श्लोक के उच्चारण करें –
अकालमृत्युहरणं सर्वव्याधिविनाशनम्।
श्रीराम पादोदकं पीत्वा पुनर्जन्म न विद्यते।।
अर्थात… पंचामृत अकाल मृत्यु को दूर रखता है। सभी प्रकार की बीमारियों का नाश करता है। इसके सेवन से पुनर्जन्म नहीं होता। अत: पंचामृत को ग्रहण करते समय इस मंत्र का उच्चारण करना अति शुभ माना गया है।
वहीं वेदों में भी पंचामृत बनाने में प्रयोग किए गए पदार्थो का अलग-अलग महत्व है, जिससे अभिषेक करके सांसारिक प्राणियों को संतति, ज्ञान, सुख, संपत्ति व कीर्ति की प्राप्ति होती है।
MUST READ : लॉकडाउन में आपको भी परेशान कर रही है नकारात्मकता, तो उसे ऐसे करें दूर
इसमें मिश्रित पदार्थो द्वारा अभिषेक करने से ईष्ट देव वरदान देने के लिए विवश हो जाते हैं। इसके मिश्रित दुग्ध से योग्य व धर्मात्मा पुत्र और सद्गुणशीला विदुषी पुत्री, राजसुख, सामाजिक सम्मान, पद-प्रतिष्ठा व आरोग्य की प्राप्ति होती है।
दही से उत्तम स्वास्थ्य, सुंदर स्वर-वाणी, शारीरिक सौंदर्य, सुख-शान्ति, पशुधन, वाहन और भौतिक सुखों की प्राप्ति होती है। घी से विपुल शक्ति, पारलौकिक ज्ञान, अचल सम्पति, सफल कारोबार व कमलासन लक्ष्मी की कृपा बरसती है। शहद का प्रयोग करने से ऋण से छुटकारा, दारिद्रय, कारागार व अकाल मृत्यु से मुक्ति, शत्रुओं पर विजय और बेरोजगारी से मुक्ति मिलती है।
शक्कर से सुंदर पति-पत्नी, विवाह में आ रही रुकावट का दूर होना, प्रखर मस्तिष्क, दिल को छू लेने वाली आवाज और खोई हुई पद-प्रतिष्ठा मिलती है। साथ ही इसका पान कराते ही देव स्नेहवश आशीर्वाद-वरदान देते हैं, जिसके फलस्वरूप प्राणी का जीवन सुखमय-सानंद बीतता है।