‘झूठे को कभी अपना दोस्त मत बनाओ। झूठ बोलने वाला व्यक्ति अपनी बात को सच साबित करने के लिए कुछ भी कर सकता है। झूठा दुनिया में कभी किसी का वफादार नहीं रहा और न ही होगा’- आचार्य चाणक्य
आचार्य चाणक्य के इस बात का मतलब है कि मनुष्य को हमेशा अच्छा सोचकर ही दोस्ती पर विचार करना चाहिए। एक सच्चा और सार्थक दोस्त वही होता है जो आपसे हमेशा सच कहता है, चाहे सच उसके खिलाफ हो या आपकी उम्मीदों के खिलाफ। सच्चाई वो रास्ता है जिस पर रिश्ता लंबे समय तक चलता है। इसके लिए किसी प्रमाण की आवश्यकता नहीं है।
कई बार ऐसा होता है कि इंसान दोस्ती में झूठ का सहारा लेता है। यह एक छोटा सा झूठ हो सकता है जो कहने वाले की नजर में सही हो, लेकिन यह जरूरी नहीं है कि इसे प्राप्त करने वाला भी इसे स्वीकार करे। उस समय बोला गया झूठ शुरुआत में आपके पक्ष में काम करता प्रतीत हो सकता है लेकिन यह ज़्यादा समय तक नहीं चल सकता।
ऐसा इसलिए है क्योंकि झूठ की नींव हमेशा कमजोर होती है। झूठ ही रिश्तों को कमज़ोर और खोखला बनाता है जिसे एक झटके से तोड़ा जा सकता है। इसलिए व्यक्ति को दोस्ती या किसी भी रिश्ते में झूठ बिल्कुल भी नहीं बोलना चाहिए। झूठ आपको एक पल के लिए खुश कर सकता है, लेकिन जिस व्यक्ति की आप परवाह करते हैं उसे अपने जीवन में रखना मुश्किल है अगर आपके रिश्ते की नींव झूठ से बनी है। इसी कारण आचार्य चाणक्य ने कहा है कि कभी भी झूठे या झूठे व्यक्ति को अपना मित्र न बनाएं। झूठ बोलने वाला व्यक्ति अपनी बात को सच साबित करने के लिए कुछ भी कर सकता है जो खतरनाक साबित हो सकता है।