जिसका कभी क्षय नहीं हो उसे कहते हैं अक्षय- जैन मुनि पंथक

जैन मुनि पंथक ने बताया अक्षय तृतीया का महत्व, कथा पर भी विस्तार से डाला प्रकाश

बिलासपुर. साल भर में तिथियों का घटना-बढऩा तो लगा रहता है पर वैशाख सुदी तीज का कभी भी क्षय नहीं हो सकता है, और इसीलिए इसे अक्षय तृतीया कहते हैं। इस तिथि में ऋषभ देव ने 400 दिन का उपवास कर उसका पारणा किया था। यह बातें गुरुवार की सुबह जैन मुनि पंथक ने टिकरापारा में श्रावक-श्राविकाओं से प्रवचन के दौरान कहीं। गुजराती जैन समाज भवन में जैन मुनि पंथक का प्रवचन प्रतिदिन सुबह नौ बजे चल रहा है। जिसमें वे श्रावक-श्राविकाओं को आध्यात्म का महत्व बताते हैं। गुरुवार की सुबह उन्होंने अक्षय तृतीया का महत्व बताते हुए कहा कि इस अक्षय तृतीया की घटनाएं ऐसी घटी कि ऋषभदेव भगवान जब सांसारिक अवस्था में राजा थे, तभी वह काल के लोग के समान सरल स्वभाव के थे। उनको कृषि यानी कि खेती करने की और किस्म-किस्म के हल और औजारों के उपयोग की कला अपनी जनता को सिखाते थे, और हल जोतना के लिए बैलों के मुख से रस्सी से त्रिफला बांधकर बैलों से काम लेने का भी सिखाया। किंतु काम पूर्ण हो जाने पर बैलों से रस्सी का त्रिफला को खोल देना नहीं बताया। जिससे कि बैलों को कई दिनों तक भूखा प्यासा रहना पड़ा और राजा ऋषभदेव को बैलों का भूखा-प्यासा रखने का कर्म बंधन हो गया। फिर भगवान ने दीक्षा अंगीकार की और बस इसी दिन से यह कर्म उदय में आ गया और लगातार 400 दिन तक उस बैलों की तरह भूखे-प्यासे रहे। जब साधुओं के गांव में पधारे तो भगवान उनके पीछे चंद्रमा का तेज प्रकाश विद्यमान था।
लोगों ने समझा कि साक्षात भगवान जैसा परमात्मा उनके द्वारे आया है। सभी ने उनका स्वागत किया किसी ने सोना, चांदी दिया तो कोई हीरा जवाहरात देते रहे। वहीं किसी ने कपड़े दिया, यहां तक कि किसी ने तो अपने घर की बेटियों को भी उन्हें दे दिया। पर भगवान ऋषभदेव तो अपने 400 दिनों के निर्जला उपवास का पारणा करने आए थे। उनके ही पोते श्रेयांश कुमार ने गन्ने से भरे रस के घड़ों से उनका पारणा कराया।
भगवान ने 108 घड़े के गन्ने रस का आहार किया। उसी दिन से जैन का वर्षी तप का पारणा अक्षय तृतीया के दिन होता आ रहा है। अक्षय तृतीया ही के दिन जितने भी समाज के श्रावक-श्राविकाओं द्वारा तप, तपस्या, उपवास, वर्षी तप किए रहते हैं उनका आज पारणा होता है। समाज द्वारा उनके सुख साता पूछकर उन्हें आशीर्वाद देते हैं एवं उनके अच्छे स्वास्थ्य की कामना करते हैं। जैन समाज के अमरेश जैन ने बताया कि मुनि की गोचरी सुबह ज्योत्सना हसमुख तेजाणी एवं दोपहर राकेश जैन टिकरापारा को आहार चर्या का लाभ मिला। सुबह व्याख्यान के पश्चात प्रभावना वेलजी भाई परमार गोंदिया वालों की तरफ से सभी श्रावक.श्राविकाओं को दिया गया। इस अवसर पर योगेंद्र तेजाणी, शैलेश तेजाणी, प्रफुल्ल मेहता, सुशील वेलाणी, भरत दामाणी, नरेंद्र तेजाणी, किशोर देसाई, गोपाल वेलाणी, राजू तेजाणी, सुधा गांधी, वत्सला कोठारी, भावना गांधी, प्रज्ञा तेजाणी, रूपल शाहा, रमा तेजाणी सहित समाज के लोग बड़ी संख्या में उपस्थित थे।

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