सतना

मध्यप्रदेश में बड़ा गड़बड़झाला: सतना सहित 19 जिलों से 90 हजार मीट्रिक टन फसल गायब!

चना, मसूर व सरसों की सरकारी खरीदी तो हुई पर उपज नहीं पहुंची गोदाम

सतनाAug 20, 2018 / 02:00 pm

suresh mishra

90 thousand metric tons of crop missing in Madhya Pradesh

सतना। समर्थन मूल्य पर चना, मसूर और सरसों की खरीदी गई 90 हजार मीट्रक टन फसल का हिसाब नहीं है। स्थिति यह है कि समितियों में यह फसल खरीदी तो गई लेकिन गोदाम नहीं पहुंची। सवाल यह उठ रहा कि अब जब परिवहन कार्य पूरा हो चुका है ऐसे में यह फसल गई कहां। गोदाम नहीं पहुंचने से इन फसलों के भुगतान का काम भी रुक गया है।
ऐसे में किसान भी हंगामाई हो रहे हैं। यह खुलासा वेयर हाउस रिसीव से हुआ है। इसमें पाया गया कि जो कुल खरीदी हुई है उसमें से 90 हजार टन फसल की वेयर हाउस रिसीव नहीं है। इसमें जिले की चार समितियों में भी फसल गोदाम तक नहीं पहुंचने का मामला सामने आया है।
गोदामों में भंडारीकरण का कार्य पूरा

रबी विपणन वर्ष 2018-19 में समर्थन मूल्य पर की गई चना, मसूर एवं सरसों की खरीदी और उसके गोदामों में भंडारीकरण का कार्य पूरा हो चुका है। लेकिन मामले में जब वेयर हाउस रिसीव (डब्ल्यूएचआर) से जांच की गई तो पाया गया कि खरीदी गई मात्रा और गोदाम में भंडारित मात्रा में काफी अंतर है। जिले में 293 क्विंटल फसल का डब्ल्यूएचआर नहीं है।
खरीदी गई मात्रा का पूरा डब्ल्यूएचआर नहीं मिला

जिन समितियों की खरीदी गई मात्रा का पूरा डब्ल्यूएचआर नहीं मिला है, उनमें क्षेत्रीय सहकारी विपणन संस्था मर्या. सतना मंडी सतना, शारदा विपणन समिति मर्या मैहर मंडी मैहर, सहकारी विपणन संस्था अमरपटान रामनगर मंडी, सहकारी विपणन संस्था नागौद मंडी शामिल है।
यह है डब्ल्यूएचआर
खरीदी केन्द्रों द्वारा जितनी भी फसल खरीदी जाती है उस फसल को वेयर हाउस में जमा करवाया जाता है। वेयर हाउस में जितनी फसल जमा होती है उसकी रिसीव जारी की जाती है, जिसे डब्ल्यूएचआर (वेयर हाउस रिसीव) कहा जाता है। शासन द्वारा इसी को असली खरीदी माना जाता है। कई बार वेयर हाउस में घटिया क्वालिटी का खाद्यान्न पहुंचने पर उसे स्वीकार नहीं किया जाता है तो उसकी डब्ल्यूएचआर जारी नहीं होती। तो कई बार समिति कागजों में खरीदी कर लेती है लेकिन भौतिक रूप से खरीदी नहीं होने पर वह गोदाम नहीं पहुंचती जिससे इसका भी डब्ल्यूएचआर जारी नहीं होता है।
20 अगस्त तक मौका
खाद्य नागरिक आपूर्ति एवं उपभोक्ता संरक्षण विभाग के संचालक ने मामला सामने आने के बाद अब कलेक्टरों से इस मामले में रिपोर्ट तलब की है। बताया गया कि इन जिलों से ९० हजार टन खाद्यान्न गायब है। अब कहा गया कि 20 अगस्त तक जितने खाद्यान्न का डब्ल्यूएचआर जारी हो जाएगा उतनी ही मात्रा नाफेड द्वारा स्वीकार किया जाएगा। उतने का ही भुगतान होगा। कलेक्टर को कहा गया है कि इस मामले में पूरी गंभीरता से काम किया जाए।
इन जिलों में पाई गई कमी
पन्ना, रायसेन, राजगढ़, रतलाम, रीवा, सागर, सतना, सिहोर, सिवनी, शहडोल, शाजापुर, शिवपुरी, सीधी, सिंगरौली, टीकमगढ़, उज्जैन, उमरिया और विदिशा।
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