कोरोना का कहर : मुक्तिधाम में शव जलाने तक की जगह नही बची, लकड़ियां भी खत्म होने की कगार पर

अब शहर के भक्तन की बावड़ी स्थित मुक्ति धाम में शवों को जलाने तक की जगह नहीं बची। साथ ही, शवों को मुखाग्नि देने वाली लकड़ियां भी खत्म होने की कगार पर हैं।

<p>कोरोना का कहर : मुक्तिधाम में शव जलाने तक की जगह नही बची, लकड़ियां भी खत्म होने की कगार पर</p>

रतलाम/ मध्य प्रदेश के रतलाम में तेजी से फैल रहे कोरोना संक्रमण और संक्रमण का शिकार होकर जान गवानें वालों की संख्या का आलम इसी बात से लगाया जा सकता है कि, अब शहर के भक्तन की बावड़ी स्थित मुक्ति धाम में शवों को जलाने तक की जगह नहीं बची। यही नहीं, शवों को मुखाग्नि देने के लिये इस्तेमाल की जाने वाली लकड़ियां भी खत्म होने की कगार पर हैं।

 

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मुक्तिधाम के बाहर तक हो रहा अंतिम संस्कार

आलम ये है कि, मुक्तिधाम में जिसको जहां जैसी जगह मिल रही है, वो समय पर अपने परिचित के शव को मुघाग्नि देने में जुटा हुआ है। प्राप्त जानकारी के मुताबिक, मुक्तिधाम में 10 शवों के मुखाग्नि देने की जगह बनी है। लेकिन, मुक्तिधाम के आंकड़ों के मुताबिक, यहां रोजाना औसतन 25 से अधिक शव कोरोना प्रोटोकॉल के तहत अंतिम संस्कार के लिये आ रहे हैं। यही वजह है कि, अब न सिर्फ मुक्तिधाम में बने प्लेटफॉर्म की जगह पर ही नहीं बल्कि, यहां के हर कोने और खाली स्थान में लोग शवों को जलाने में जुटे हुए हैं। कई शवों को तो मुक्तिधाम परिसर के बाहर तक अंतिम संस्कार किया जा रहा है।

 

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खत्म हो रही हैं लकड़ियां

मुक्ति धाम के व्यवस्थापक रामसिंह भाटी (पहलवान) का कहना है कि, यहां स्थितियां लगातार बिगड़ती जा रही हैं। मुक्तिधाम में शवों को व्यवस्थित ढंग से अंतिम संस्कार न कर पाना तो बहुत दूर की बात हो गई है। अब बड़ी चुनौती ज्वलंत लकड़ी बनने जा रही है। उन्होंने बताया कि, अब मुक्तिधाम के स्टॉक में सिर्फ 50 शव का अंतिम संस्कार कर सकने वाली लकड़ी ही बची है। इस संबंध में प्रशासन को सूचित किया जा चुका है। जल्द ही अगर लकड़कियों व्यवस्था नहीं हुई, तो एक बड़ी समस्या से दोृचार होना पड़ेगा।

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