रतलाम

Coronavirus Medicine : कोरोना वायरस में कारगर एमपी में बन रही इस दवा की अमेरिका में भारी डिमांड

दो साल पहले ही अमेरिका ने इप्का कंपनी की दवाओं को अपने देश में बेचे जाने पर प्रतिबंध लगाया था, लेकिन कोरोना महामारी के अब अमेरिका ने कंपनी पर लगे बैन को हटाकर सबसे ज्यादा दवा की डिमांड की है।

रतलामApr 08, 2020 / 05:44 pm

Faiz

Coronavirus Medicine : कोरोना वायरस में कारगर एमपी में बन रही इस दवा की अमेरिका में भारी डिमांड

रतलाम/ मध्य प्रदेश के रतलाम की एक दवाई कंपनी ईप्का (IPKA) इन दिनों देश ही नहीं विदेशों में भी काफी चर्चा में है। जानकारी के मुताबिक, कंपनी में बनने वाली एंटी मलेरियल ड्रग कोरोना वायरस की एक स्टेज तक के लिए कारगर दवा मानी जा रही है। जिसके चलते इस जवा की अमेरिका समेत कई देशों में भारी मांग हो गई है। हालांकि, इस निर्यात के कारण भारत ने इस दवा की बाहर बिकेरी पर रोक लगा दी थी। अब खबर है कि, अमरीकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने खुद इस दवा की मांग के संबंध में भारत के प्रधानमंत्री पीएम मोदी से चर्चा भी की। जिसके बाद पीएम ने अमरीका को पूरी मदद का भरोसा दिया है। इसके बाद विदेश मंत्रालय ने मंगलवार को दवा के निर्यात पर रोक हटाकर फैसला लेते हुए कोरोना वायरस से प्रभावित अमरीका और अन्य पड़ोसी देशों को दवा सप्लाई करने की हरी झंडी दी है।

 

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पहले लगाई थी रोक अब कर रहा भारी डिमांड

हालांकि, ये स्पष्ट नहीं है कि, इस दवा से कोरोना का इलाज पूरी तौर पर संभव है। लेकिन, कोरोना के शुरुआती लक्षण दिखाई देने पर इस दवा के देने से बेहतर परिणाम सामने आए हैं। इसलिए अमेरिका समेत दुनियाभर के कई देश इस दवा की भारी मात्रा में डिमांड कर रहे हैं। रतलाम स्थित इस दवाई निर्माता कंपनी ‘ईप्का’ को विश्वभर में एंटी मलेरियल ड्रग बनाने के मामले में लीडर कहा जाता है। हालांकि, कोरोना महामारी आने से पहले तक अमेरिका ने अपने यहां इस कंपनी की दवाओं पर प्रतिबंध लगाया हुआ था, लेकिन इसके कारगर परिणामों के चलते अब अमेरिका खुद ही इस कंपनी से प्रतिबंध हटाकर खास दवा की भारी डिमांड कर रहा है।

 

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कोरोना के भी इलाज में आता है काम

रतलाम की यह दवा कंपनी क्लोरोक्विन फास्फेट और हाइड्रोक्सी कलोरोक्विन सल्फेट नाम की दो एंटी मलेरियल ड्रग के रूप में बनाई जाती हैं। वैसे मूल रूप से इसका उपयोग मलेरिया के मरीजों को ठीक करने के लिए होता है, लेकिन कोरोना के शुरुआती सिमटम्स भी कुछ हद तक मलेरिया सिम्टम्स से मेल खाते हैं। जिसके चलते इस दवा को कोरोना के शुरुआती लक्षणों में ग्रस्त व्यक्ति को दिये गए, जिसके बेहतर नतीजे सामने आए। इस दवा से कोरोना से ग्रस्त व्यक्ति के फेफड़ों में होने वाले इंफेक्शन और सूजन में कमी आई।

 

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सरकार से कंपनी को मिला 10 करोड़ टेबलेट बनाने का टेंडर

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, विदेशों को दवा सप्लाई करने के अलावा, भारत सरकार ने भी ईप्का कंपनी को 10 करोड़ टेबलेट बनाने का टेंडर दिया है। कंपनी विदेशी मांग को पूरा करने के साथ साथ भारत की डिमांड के मुताबिक, रोजाना 32 लाख से ज्यादा एंटी मलेरियल टेबलेट बना रही है। कंपनी के मुताबिक, जल्द ही वो सरकार की डिमांड की पूर्ति कर देगी। आपको बता दें कि, इप्का कंपनी अपनी ड्रग की प्लाई विश्व के 50 से ज्यादा देशो में करती है।

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