बता दें कि गत साल दिसंबर में रामपुर की स्वार सीट से चुनाव जीतने वाले अब्दुल्ला आजम के निर्वाचन को इलाहाबाद हाईकोर्ट ने रद्द कर दिया था। जानकारी के अनुसार तभी से सरकार अब्दुल्ला आजम पर सख्त कार्रवाई की तैयारी कर रही थी। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक काफी पहले इसके लिए चुनाव आयोग को चिट्ठी भी भेजी गई थी, लेकिन चुनाव आयोग ने यह कहते हुए उसे वापस भेज दिया कि इसका फैसला उसके कार्यक्षेत्र में नहीं आता है। जिसके बाद राज्य सरकार ने अपने स्तर पर ही इसकी तैयारी शुरू कर दी है और विधानसभा सचिवालय व शासन में इसकी तैयारी तेज हो गई।
आकाश हनी ने भेजा था पत्र भाजपा नेता आकाश सक्सेना ने राज्यपाल और विधानसभा सचिवालय को पत्र भेजकर अब्दुल्ला को 6 साल के लिए चुनाव लड़ने से डिबार किए जाने की मांग की थी। मीडिया रिपोर्ट के अनुसार आकाश के इस पत्र व इस संबंध में आए तीन और पत्रों (जो नवाब काजिम अली खां, अधिवक्ता मुस्तफा हुसैन और शफीक अंसारी की ओर से थे) पर 16 जुलाई 2020 को राज्यपाल के अनुसचिव ने प्रमुख सचिव व विधानसभा को पत्र लिखकर मामले में नियमानुसार आवश्यक कार्रवाई को कहा था। इसके बाद से विधानसभा सचिवालय में इस मसले पर विचार-विमर्श चल रहा है।
कानूनी सलाह ली जा रही मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, इस मामले पर विधिक सलाह लेने के लिए न्याय विभाग को फाइल भेजी गई। जिसके बाद न्याय विभाग इस पूरे मामले का अध्ययन कर रहा है और कोशिश ये की जा रही है कि इस मामले को लेकर कोई कानूनी अड़चन सरकार के सामने न खड़ी हो। इसीलिए न्याय विभाग से परामर्श लिया जा रहा है। हालांकि, मामले में प्रमुख सचिव (न्याय) जेपी सिंह का कहना है कि उनके दफ्तर में ऐसी कोई फाइल नहीं आई है।