रामपुर

Azam Khan के बेटे अब्दुल्ला पर योगी सरकार का शिकंजा, 6 साल तक चुनाव लड़ने पर लग सकती है रोक

Highlights
-समाजवादी पार्टी के कद्दावर सांसद आजम खान के बेटे अब्दुल्ला को लग सकता है बड़ा झटका
-विधानसभा सचिवालय और शासन में मंथन, चुनाव आयोग और न्याय विभाग को पत्र भेजकर विधिक राय मांगी
-2017 में रामपुर की स्वार सीट से विधानसभा का चुनाव जीतने वाले अब्दुल्ला के निर्वाचन को हाईकोर्ट ने कर दिया था रद्द

रामपुरSep 12, 2020 / 01:45 pm

Rahul Chauhan

रामपुर। समाजवादी पार्टी के कद्दावर नेता और रामपुर सांसद आजम खान की मुश्किलें कम होने का नाम नहीं ले रही हैं। जहां एक तरफ वह अपनी पत्नी और बेटे सहित जेल में बंद हैं तो वहीं दूसरी तरफ योगी सरकार आजम खान और उनके बेटे को एक और बड़ा झटका देने की तैयारी कर ली है। दरअसल, मीडिया रिपोर्ट के अनुसार योगी सरकार कुछ ऐसी व्यवस्था करने जा रही है, जिससे आजम खान के बेटे अब्दुल्ला आजम अगले 6 वर्षों तक चुनाव नहीं लड़ सकेंगे। यह कार्रवाई रामपुर भाजपा नेता आकाश हनी के पत्र पर संज्ञान लेकर की जा रही है।
बता दें कि गत साल दिसंबर में रामपुर की स्वार सीट से चुनाव जीतने वाले अब्दुल्ला आजम के निर्वाचन को इलाहाबाद हाईकोर्ट ने रद्द कर दिया था। जानकारी के अनुसार तभी से सरकार अब्दुल्ला आजम पर सख्त कार्रवाई की तैयारी कर रही थी। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक काफी पहले इसके लिए चुनाव आयोग को चिट्ठी भी भेजी गई थी, लेकिन चुनाव आयोग ने यह कहते हुए उसे वापस भेज दिया कि इसका फैसला उसके कार्यक्षेत्र में नहीं आता है। जिसके बाद राज्य सरकार ने अपने स्तर पर ही इसकी तैयारी शुरू कर दी है और विधानसभा सचिवालय व शासन में इसकी तैयारी तेज हो गई।
आकाश हनी ने भेजा था पत्र

भाजपा नेता आकाश सक्सेना ने राज्यपाल और विधानसभा सचिवालय को पत्र भेजकर अब्दुल्ला को 6 साल के लिए चुनाव लड़ने से डिबार किए जाने की मांग की थी। मीडिया रिपोर्ट के अनुसार आकाश के इस पत्र व इस संबंध में आए तीन और पत्रों (जो नवाब काजिम अली खां, अधिवक्ता मुस्तफा हुसैन और शफीक अंसारी की ओर से थे) पर 16 जुलाई 2020 को राज्यपाल के अनुसचिव ने प्रमुख सचिव व विधानसभा को पत्र लिखकर मामले में नियमानुसार आवश्यक कार्रवाई को कहा था। इसके बाद से विधानसभा सचिवालय में इस मसले पर विचार-विमर्श चल रहा है।
कानूनी सलाह ली जा रही

मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, इस मामले पर विधिक सलाह लेने के लिए न्याय विभाग को फाइल भेजी गई। जिसके बाद न्याय विभाग इस पूरे मामले का अध्ययन कर रहा है और कोशिश ये की जा रही है कि इस मामले को लेकर कोई कानूनी अड़चन सरकार के सामने न खड़ी हो। इसीलिए न्याय विभाग से परामर्श लिया जा रहा है। हालांकि, मामले में प्रमुख सचिव (न्याय) जेपी सिंह का कहना है कि उनके दफ्तर में ऐसी कोई फाइल नहीं आई है।
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