बेटी से यौन दुराचार के आरोपी पिता को पांच वर्ष की कठोर कैद

तीस हजार रुपए का अर्थदंड भी सुनाया, राजसमंद पॉक्सो कोर्ट का फैसला

<p>बेटी से यौन दुराचार के आरोपी पिता को पांच वर्ष की कठोर कैद</p>
राजसमंद. 14 मार्च पूर्व नाबालिग पुत्री से यौन दुराचार के मामले में आरोपी पिता को अदालत ने पांच साल के कठोर कारावास तथा 30 हजार रुपए का अर्थदण्ड सुनाया है। पिता-पुत्री के पवित्र रिश्ते को शर्मसार करने की इस घटना को लेकर पॉक्सो न्यायालय, राजसमंद ने प्रकरण की सुनवाई तेजी से पूरी कर ली।
प्रकरण के अनुसार एक महिला ने 22 जनवरी, 2020 को पुलिस अधीक्षक के समक्ष परिवाद प्रस्तुत कर किशनलाल नामक व्यक्ति पर पिता-पुत्री के पवित्र रिश्ते को शर्मसार करने वाली हरकत करने का आरोप लगाया था। पुलिस जांच के बाद न्यायालय विशिष्ट न्यायाधीश (लैंगिक अपराधों से बालकों का संरक्षण अधिनियम मामले), राजसमंद में चालान पेश किया गया। प्रकरण में अभियोजन की ओर से विशिष्ट लोक अभियोजक राहुल सनाढ्य ने 13 गवाह एवं 18 दस्तावेज पेश किए। पॉक्सो न्यायालय की विशिष्ट न्यायाधीश ममता व्यास ने सतत् सुनवाई करते हुए विभिन्न पक्षों को सुना, गवाहों, दस्तावेजों और तथ्यों का अवलोकन करने के बाद शुक्रवार को फैसला सुनाया। इसमें आरोपी को धारा 354 सी भारतीय दंड संहिता के तहत दोषी पाए जाने पर एक वर्ष के कठोर कारावास एवं पांच हजार रुपए अर्थदंड, पॉक्सो एक्ट की धारा 9 एन/10 के तहत पांच वर्ष का कठोर कारावास एवं 30 हजार रुपए अर्थदंड सुनाया। अर्थदंड जमा नहीं कराने पर पन्द्रह माह का अतिरिक्त कारावास भुगतने का आदेश दिया। न्यायालय ने अभियुक्त से प्राप्त समस्त अर्थदंड की राशि पीडि़ता को प्रदान करने का आदेश दिया।
अदालत ने कहा- यह समाज के विरुद्ध कृत्य
न्यायालय ने फैसले में क्रम संख्या 12 पर तल्ख टिप्पणी करते हुए लिखा कि अभियुक्त का कृत्य न सिर्फ पीडि़ता के विरुद्ध है, बल्कि संपूर्ण समाज के विरुद्ध है। अभियुक्त ने पिता-पुत्री के रिश्ते को कलंकित किया है। पुत्री यदि घर में ही सुरक्षित नहीं होगी तो समाज में कैसे रह पाएगी। अपराध की गंभीरता एवं परिस्थितियों के परिपेक्ष में अभियुक्त किसी नरमी के व्यवहार का पात्र नहीं है। उक्त प्रकरण में अभियोजन की ओर से विशिष्ट लोक अभियोजक राहुल सनाढ्य ने 13 गवाह व 18 दस्तावेज पेश किए।
किरण माहेश्वरी मामले में फैसला सुरक्षित
इधर, हाईकोर्ट में शुक्रवार को किरण माहेश्वरी के 2018 के नामांकन-पत्र मामले में सुनवाई हुई। प्रकरण में कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रख लिया है। याचिकाकर्ता जितेंद्र कुमार खटीक ने नामांकन-पत्र में तथ्य छुपाने का आरोप लगाया था। दोनों पक्षों की ओर से बहस सुनने के बाद अदालत ने आदेश सुरक्षित रखा है।
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